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सुविधाओं का टोटा, कैसे संवरे बच्चों का भविष्य

बदहाली . संसाधन के अभाव में िवद्यालय नहीं आते हैं छात्र-छात्राएं बदहाली की कहानी बयां कर रहा शहर का बेसिक स्कूल बेगूसराय : बिहार सरकार जहां एक ओर शिक्षा को बेहतर करने के लिए नयी-नयी योजनाओं का श्री गणेश कर रही है, वहीं उन योजनाओं को अमलीजामा सिर्फ कागजों पर पहनाया जाता है. कुछ ऐसा […]

बदहाली . संसाधन के अभाव में िवद्यालय नहीं आते हैं छात्र-छात्राएं

बदहाली की कहानी बयां कर रहा शहर का बेसिक स्कूल
बेगूसराय : बिहार सरकार जहां एक ओर शिक्षा को बेहतर करने के लिए नयी-नयी योजनाओं का श्री गणेश कर रही है, वहीं उन योजनाओं को अमलीजामा सिर्फ कागजों पर पहनाया जाता है. कुछ ऐसा ही नजारा देखने को मिला शहर के सर्वाेदय नगर स्थित बेसिक स्कूल में. जहां शिक्षा की नींव रखने वाले बेसिक विद्यालय की हालत सिर्फ इस बात से आंकी जा सकती है कि इस विद्यालय में मूलभूत आवश्यकताएं हैं ही नहीं, जो होनी चाहिए. आज बुनियादी स्कूल अपनी बदहाली की कहानी स्वयं बयां कर रहा है.
जर्जर है स्कूल का भवन : बेगूसराय में बेसिक विद्यालय जहां बच्चों के भविष्य का और राष्ट्र निर्माण होता है, वही विद्यालय अपनी दुर्दशा की कहानी बयां कर रहा है. दरअसल नगर निगम स्थित बुनियादी विद्यालय का भवन बिल्कुल जर्जर हो गया है.आलम यह है कि बरसात में न सिर्फ कमरे बल्कि बरामदा सहित सारे वर्ग पानी टपकने से पानी-पानी हो जाते हैं. जर्जर भवन की न तो मरम्मत होती है और न ही उसका कायाकल्प.
235 छात्र-छात्राओं की संख्या पर हैं 11 शिक्षक : स्कूल की प्राचार्या शबनम कुमारी ने बताया कि मेरे विद्यालय में कुल 11 शिक्षक-शिक्षिकाएं हैं, जिनमें नियोजित शिक्षकों की संख्या पांच है. जबकि कुल छात्र छात्राओं की संख्या है 235 है.
शौचालय की हालत दयनीय : बेसिक स्कूल में शौचालय की भी समुचित व्यवस्था नहीं है. इस संबंध में पूछे जाने पर प्राचार्या ने बताया विद्यालय में दो शौचालय हैं, जिसमें से एक जाम पड़ा हुआ हैै और दूसरा काम कर रहा है, जबकि स्थिति यह है कि शौचालय सिर्फ नाम के हैं.
नहीं है बच्चों के बैठने की व्यवस्था : विद्यालय में कुल छात्र-छात्राओं की संख्या 235 है, जिसमें 84 छात्राएं और 151 छात्र हैं. बच्चों के बैठने के लिए बेंचों की संख्या मात्र 40 है. आलम यह है कि वर्ग सात और आठ के बच्चों को ही बेंच पर बैठने की व्यवस्था है. अब इस स्थिति में सारे बच्चों को बेंच पर बैठा कर पढ़ना कितना संभव है. बुनियादी विद्यालय में कक्षाएं तो हैं लेकिन उन कक्षाओं में न दरवाजे हैं न खिड़कियां. विद्यालय में कुल मिला कर 13 कमरे हैं, जिनमें कार्यालय और हॉल शामिल हैं. वहीं विद्यालय की जर्जर स्थिति की वजह से विद्यार्थी भी विद्यालय नहीं आते हैं.
जंगल से भरा है बेसिक विद्यालय : रख-रखाव और साफ-सफाई के अभाव में पूरे विद्यालय कैंपस में जंगल-सा बन गया है. इस बाबत प्राचार्य ने अपनी विवशता जाहिर करते हुए बताया कि इस मामले में विभाग कुछ मदद नहीं कर रहा है, तो मैं क्या करूं. वहीं विद्यालय में आवारे जानवरों का आना-जाना लगा रहता है, जिससे बच्चों को खतरा बना रहता है.
मौन हैं पदाधिकारी
जर्जर हालत होने के बावजूद विद्यालय संचालन करना किसी चुनौती से कम नहीं है. यह सिर्फ कहने के लिए विद्यालय है, लेकिन इसी दयनीय हालत में काम करना पड़ता है.इस बाबत मैंने कई बार जिला शिक्षा पदाधिकारी से इस संबंध में ध्यान आकृष्ट कराया, लेकिन कोई समुचित कार्रवाई नहीं की गयी.
शबनम कुमारी,प्राचार्या

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