प्रसव के बाद जमीन पर सोने को विवश होता है नवजात
साहेबपुरकमाल सरकार भले ही आम लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने का दंभ भरती हो, परंतु आमलोगों को आज सरकारी अस्पताल में बेहतर स्वास्थ्य सुविधा नसीब नहीं हो रही है. प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र साहेबपुरकमाल को आलिशान दो तल्ला एक भवन तो है. परंतु यहां एक्स-रे और अल्ट्रासाउंड जांच जैसी कई महत्वपूर्ण स्वास्थ्य सुविधा का आज भी अभाव है. जिस कारण समुचित इलाज के लिए क्षेत्र की जनता को निजी हॉस्पिटल की और मुखातिब होने पर मजबूर होना पड़ रहा है.
चिकित्सक व दवा का है घोर अभाव :छह बेड वाला यह सरकारी अस्पताल आज भी डॉक्टर और दवा का अभाव से जूझता नजर आ रहा है. क्योंकि अस्पताल में आउटडोर सेवा के लिए कुल 33 प्रकार की जीवन रक्षक दवा उपलब्ध रहना चाहिये. जिसमें मात्र 25 से 27 प्रकार की दवाइयां ही उपलब्ध रहता है. वहीं इनडोर रोगी की चिकित्सा हेतु 112 प्रकार का औषधी में मात्र 75 से 78 प्रकार की दवा से ही काम चलाया जा रहा है. सर्दी, खांसी के लिए महत्वपूर्ण दवा कफ सीरप अस्पताल में विगत दो वर्षों से नदारद है.
पीएचसी में चिकित्सक के हैं आठ पद सृजित :हॉस्पिटल में चिकित्सक का 08 पद सृजित है. परंतू यहां मात्र दो नियमित और एक अनुबंध का चिकित्सक ही पदस्थापित है. इसके अलावे एक आयुष चिकित्सक भी पदस्थापित है. आंख, कान, नाक, गला रोग विशेषज्ञ डॉक्टर की कोई व्यवस्था तो नहीं है. परंतू अनुबंध पर बहाल एक चिकित्सक जरूर है. फिर भी डेंटल चेयर और अन्य चिकित्सा सामग्री के अभाव में दंत रोग का इलाज भी नहीं हो पा रहा है.यहां इमरजेंसी सेवा उपलब्ध है. एएनएम का 40 पद में मात्र 27 नियमित एन एम ही कार्यरत है.
दो वर्षों से रिक्त पड़ा है ड्रेसर का पद:ड्रेसर का भी दो पद वर्षों से रिक्त पड़ा है. प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में एक पैथोलॉजिस्ट भी पदस्थापित है. यहां प्रतिमाह औसतन 04 हजार रोगी का निबंधन होता है. अस्पताल में एक निबंधन और एक दवा वितरण काउंटर बनाया गया है. रोगी को बैठने के लिए कोई समुचित व्यवस्था नहीं रहने के कारण मरीज फर्श पर बैठने पर मजबूर है. कुल मिला कर अस्पताल की स्थिति यह है कि यहां इलाज के नाम पर सिर्फ खानापूर्ती हो रही है.
बाजार से खरीदनी पड़ती है दवा :प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में इलाजरत साहेबपुरकमाल गांव की प्रसूति महिला सुनीता देवी ने बताया कि बेड पर कोई बिछावन नहीं दिया गया है. रात से अब तक न तो चाय और न ही नास्ता है. दवा भी बाजार से ही खरीदनी पड़ती है. बेड पर पंखा नहीं है.गरमी से परेशान है.
इलाज के नाम पर खानापूर्ति :पंचवीर गांव का मरीज विंदेश्वरी सदा ने बताया कि अस्पताल में कफ सीरप,खुजली आदि बीमारी की दवा उपलब्ध नहीं है. इलाज के नाम सिर्फ खानापूरी की जाती है.