1927 में योगाचार्य सान्याल बाबा ने रखी थी आश्रम की नींव
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गुरु की स्मृति में सान्याल ने की थी गुरुधाम की स्थापना
1927 में योगाचार्य सान्याल बाबा ने रखी थी आश्रम की नींव 1944 में बन कर तैयार हुआ आश्रम आश्रम के शिष्य देश-विदेश में कर रहे वेद का प्रचार बौंसी : महामहिम राष्ट्रपति डॉ प्रणब मुखर्जी सोमवार को गुरुधाम पहुंचे. महामहिम के आगमन को लेकर हर तरफ गुरुधाम की ही चर्चा थी. महामहिम के माताजी-पिताजी ने […]
1944 में बन कर तैयार हुआ आश्रम
आश्रम के शिष्य देश-विदेश में कर रहे वेद का प्रचार
बौंसी : महामहिम राष्ट्रपति डॉ प्रणब मुखर्जी सोमवार को गुरुधाम पहुंचे. महामहिम के आगमन को लेकर हर तरफ गुरुधाम की ही चर्चा थी. महामहिम के माताजी-पिताजी ने गुरुधाम के संस्थापक भूपेंद्र नाथ सान्याल से दीक्षा ली थी. बंगोत्कल योग विद्या से जुड़े महान साधक भूपेंद्र नाथ सान्याल ने मंदार क्षेत्र में अपने गुरुदेव योग प्रवर्तक श्यामाचरण लाहिड़ी की स्मृति में गुरुधाम की स्थापना की. गुरु की कृपा से उन्होंने वेद विद्या योग एवं देव भाषा संस्कृत को जन-जन तक फैलाने के लिए श्यामाचरण देव विद्यापीठ की स्थापना की. आज देश और दुनिया के लिए मिसाल है.
गुरुधाम आश्रम के गुरुकुल में रह कर विद्या अर्जित करने वाले कई ऐसे ज्ञानी एवं कर्मकांडी पंडित हुए हैं, जो आज देश के विभिन्न क्षेत्र में ऊंचे पदों पर आसीन हैं. अन्य राज्यों में होने वाले बड़े धार्मिक आयोजनों में यहां के वेदज्ञ एवं सामवेदी बटुकों की भागीदारी रहती है. गुरुधाम से विद्या अध्ययन करने वालों में भारतीय पुलिस प्रशासनिक सेवा के डीके ठाकुर, भारतीय थल सेना के जूनियर कमांडिंग ऑफिसर अशोक कुमार झा, संस्कृत कॉलेज देवघर के प्राचार्य जयकिशोर पांडेय आदि के नाम शामिल हैं. वहीं नटवर झा, भृगुवर झा, डॉ रतीश चंद्र झा, पंडित देवनारायण शर्मा, राजकुमार झा एवं वर्तमान में गुरुधाम आश्रम के दीक्षा गुरु आचार्य प्रभात कुमार सान्याल ने इसी आश्रम में जीवन की ज्ञान यात्रा शुरू की और अपना जीवन इसी उद्देश्य में लगा दिया.
1940 में शुरू हुआ आश्रम का निर्माण कार्य
मूल रूप से पश्चिम बंगाल के नदियामा जिले के निवासी योगाचार्य सान्याल बाबा ने 1927 में इस आश्रम की नींव रखी थी. आश्रम का निर्माण कार्य 1940 से प्रारंभ हुआ, जो 1944 में बन कर तैयार हुआ. वे इस आश्रम में आने से पूर्व शांति निकेतन में गुरु रविन्द्र नाथ टैगोर के समकालीन थे. इस आश्रम में क्रिया योग (ब्रह्म दीक्षा) शिष्यों को दी जाती थी, यह आज भी जारी है. उन्होंने क्रिया योग की दीक्षा अपने परम गुरुदेव योगीराज श्यामाचरण लाहिड़ी से प्राप्त की थी.
वेद की चारों शाखा की होती है पढ़ाई
गुरुधाम में हजारों लोगों को क्रिया योग की दीक्षा दी गयी और देखते ही देखते उनके अनुयायी देश भर में और फिर विदेशों में भी फैल गये. इस आश्रम का उद्देश्य यह है कि आनेवाली पीढ़ियों को सदा मार्गदर्शन मिलता रहे और शांति, प्रेम और आनंद प्राप्त हो. गुरुधाम आश्रम से सटी इसकी एक और शाखा है जहां पर श्यामाचरण वेद विद्यापीठ की स्थापना की गयी है. वेद की चारों शाखाओं की पढ़ाई होती है. यहां से अध्ययन कर छात्र देश-विदेश में वेद की शिक्षा का प्रचार-प्रसार कर रहे हैं.
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