तकनीक को धरातल पर उतारने की कृषि विज्ञान केंद्र ने बनायी योजना
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पशुपालकों के लिए वरदान सिद्ध होगा यूरिया उपचारित चारा
तकनीक को धरातल पर उतारने की कृषि विज्ञान केंद्र ने बनायी योजना पशुपालन व्यवसाय में नयी क्रांति का वाहक बनेगी नयी चारा तकनीक बांका : पशु चारा की कमी को दूर करने हेतु कृषि विज्ञान केंद्र बांका ने यूरिया उपचारित पशु चारा की तकनीक धरातल पर उतारने की योजना बनायी है. इसे लेकर यहां विशेष […]
पशुपालन व्यवसाय में नयी क्रांति का वाहक बनेगी नयी चारा तकनीक
बांका : पशु चारा की कमी को दूर करने हेतु कृषि विज्ञान केंद्र बांका ने यूरिया उपचारित पशु चारा की तकनीक धरातल पर उतारने की योजना बनायी है. इसे लेकर यहां विशेष तैयारियां चल रही है. जल्द ही यहां के किसानों को पुआल एवं भूसा के उपचारित पशु चारा की जानकारी मुहैया करायी जायेगी.
जिस प्रकार से आज पशु चारा की कमी हो रही है, इसको देखते हुए यहां इसकी आवश्कता पड़ी है और इसी माह में 27 मई से पशु पालकों को यूरिया उपचारित पशु चारा के लिए केवीके में प्रशिक्षण दिया जायेगा. वैज्ञानिकों ने कहा कि उपचारित भूसे को छह माह से अधिक उम्र के किसी भी जुगाली करने वाले पशुओं को खिलाया जा सकता है.
यह पशुओं के लिए सुपाच्य एवं प्रोटीन युक्त होता है. उपचारित भूसे के विकल्प से दाने की खपत में 25 से 30 प्रतिशत तक की कमी लायी जा सकेगी.
क्या है यूरिया उपचारित चारा: यूरिया खाद का घोल बनाकर पुआल, गेंहू आदि सूखा चारा में नियमानुसार इस घोल का झिड़काव कर भंडारण किया जाता है. भंडारण के दौरान भंडारण गृह खुला न हो. प्लास्टिक से इसको बंद कर रखें. पशुपालक यदि वृहत रूप में पुआल एवं गेंहू के भूसे को उपचारित करना चाहते हैं तो एक बार मे कम से कम 10 क्विंटल भूसे का उपचार सटीक रहता है. 10 क्विंटल भूसे के लिए 40 किलो यूरिया और 400 लीटर पानी की आवश्यकता पड़ती है.
वहीं कम पैमाना में उपचारित के लिए 4 किलो यूरिया को 40 लीटर पानी में घोला जाता है.
27 मई से केवीके में मिलेगा पशुचारा बनाने का प्रशिक्षण
उपचार की विधि
100 किलोग्राम भूसा ले और उसे सीमेंट या पक्के फर्श पर बिछाएं
भूसे को जमीन में इस तरह फैलाये कि पर्त की मोटाई लगभग 3 से 4 इंच रहे
उपर तैयार किये गये 40 लीटर घोल को इस फैलाये गये भूसे पर हजारे से छिड़के, फिर भूसे को पैरों से अच्छी तरह चल चल कर या कूद कूद कर दबायें
इस दबायें गये भूसे के उपर 100 किलो भूसा पुन: फैलाएं और पुन: 4 किलो यूरिया को 40 लीटर पानी में घोल कर छिड़काव करे और पुन: वही प्रक्रिया से दबाये और अपने हिसाब से जितनी मात्रा में चाहे इसे स्टॉक कर सकते हैं.
उपचारित भूसे को अब प्लास्टिक शीट से ढक दे और उससे जमीन में छूने वाले किनारों पर मिट्टी डाल दे ताकि बाद में बनने वाली गैस बाहर न निकले
प्लास्टिक शीट न मिलने की स्थिति में ढ़ेर के उपर थोड़ा सूखा भूसा डालें उस पर थोड़ी सूखी मिट्टी या पुआल डाल कर चिकनी गीली मिट्टी या गोबर से लीप सकते हैं
उचारित चारा को तीन सप्ताह तक छोड दे
यूरिया उपचारित भूसे का रंग पीले से गहरा भूरा हो जाता है. इस प्रकार उपचारित भूसा पशुधन के लिए आहार के रूप में तैयार हो जाता है.
बरती जाने वाली सावधानियां
भूसे के ढेर पर यूरिया के घोल का छिड़काव समान रूप से करें और अच्छी तरह मिलायें
यूरिया को कभी जानवर को सीधे खिलाने का प्रयास नहीं करना चाहिए, यह पशु के लिए जहर हो सकता है.
भूसे के उपचार के समय यूरिया के तैयार घोल को पशुओं से बचाकर रखा चाहिए.
उपचार किये गये भूसे के ढ़ेर को गरमी में 21 दिन व सर्दी में 28 दिन बाद ही खोले, खिलाने से पहले भूसे को लगभग 10 मिनट तक खुली हवा में फैला दें, जिससे उसका गैस उड जाये.
शुरुआत में पशु को उपचारित भूसा थोड़ा दे, धीरे धीरे आदत पड़ने पर पशु चाव से खाने लगता है.
बच्चों को उपचारित ढेर से दूर रहे ताकि उनके स्वास्थ्य पर किसी तरह का प्रतिकूल प्रभाव न पड़े.
कहते हैं विषेशज्ञ
यूरिया उपचारित पशु चारा पशु पालकों के लिए वरदान सिद्ध होगा. इससे पशुपालन की लागत में 30 से 40 प्रतिशत तक की कमी आयेगी. इस प्रकार का चारा सघन प्रोटीन और कैल्सियम युक्त होने के बावजूद काफी सुपाच्य होता है. इसके उपयोग से दुग्ध उत्पादन में भी वृद्धि होगी.
डॉ धर्मेद्र कुमार, पशु वैज्ञानिक, कृषि विज्ञान केंद्र, बांका
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