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चांदन नदी से कपेटा बहियार की ओर जाने वाले डांड़ का अस्तत्वि खतरे में

चांदन नदी से कपेटा बहियार की ओर जाने वाले डांड़ का अस्तित्व खतरे में डांड़ को भर कर बनाया जा रहा भवन1905 ई के नक्शे से हुई छेड़छाड़ 1982 में बदला डांड़ का स्वरूपडांड़ में पानी नहीं आने से किसान उपजाते हैं सिर्फ एक फसलदूसरी फसल के लिए लेना होता है पंप सेट का सहाराडांड़ […]

चांदन नदी से कपेटा बहियार की ओर जाने वाले डांड़ का अस्तित्व खतरे में डांड़ को भर कर बनाया जा रहा भवन1905 ई के नक्शे से हुई छेड़छाड़ 1982 में बदला डांड़ का स्वरूपडांड़ में पानी नहीं आने से किसान उपजाते हैं सिर्फ एक फसलदूसरी फसल के लिए लेना होता है पंप सेट का सहाराडांड़ भरने के बाद बारिश पर आधारित हुई खेतीफोटो 9 बांका 17 से 23 परिचर्चा की तसवीर 24 बदहाल स्थित में डांड़ प्रतिनिधि, बांका शहर के बीचोंबीच स्थित बह रहे डांड़ का अस्तित्व समाप्ति के कगार पर है. जिस डांड़ से वर्षों पर्व शहर के करीब तीन सौ एकड़ खेतों का पटवन हुआ करता था. आज खेत पानी के अभाव में वर्षा की आस में हैं. डांड़ से पटवन होता था, तो खेतों में किसान बहुरंगी फसलें उपजाते थे. किसान सालाना अच्छी आमदनी प्राप्त करते थे. आज किसानों के पास खेत हैं, लेकिन वो सिर्फ धान के फसल ही उगा पा रहे हैं, जो पूर्णत: वर्षा पर आधारित है. कुछ किसान पंप सेट से पटवन कर दो फसल उपजा रहे हैं. नगर पंचायत उदासीनशहर के अलीगंज स्थित एमआरडी स्कूल के पीछे चांदन नदी से निकले डांड़ के अस्तित्व पर संकट मंडरा रहा है. समय रहते यदि जिला प्रशासन के द्वारा इस ओर ध्यान नहीं दिया गया तो वह दिन दूर नहीं जब डांड़ का अतिक्रमण लोग उस पर भवन खड़ा कर देंगे. डांड़ में समाने वाला पानी, घरों से निकलने वाला नाले का पानी किस ओर जायेगा, यह बड़ा सवाल है. इस संबंध में शहर के बुजुर्ग वामाचरण मित्रा बताते हैं कि वर्ष 1905 के नक्शे में भी उक्त डांड़ का जिक्र है. लेकिन वर्ष 1982 के सर्वे में स्थानीय लोगों द्वारा सर्वे अधिकारी से मिली भगत कर डांड़ की रूप रेखा बदल दी गयी. पानी की निकासी अवरुद्धशहर के बीच से निकलने वाले डांड़ की सफाई व खुदाई नहीं होने पर डांड़ पूरी तरह जाम हो चुका है. उस उक्त डांड़ में गंदा पानी जमा होने से उसमें मच्छरों का घर बन चुका है. इससे शहर वासी मच्छरों के आतंक से परेशान हैं. खास कर शिवाजी चौंक, पुरानी बस स्टैंड, शास्त्री चौंक, करहरिया, दुर्गा स्थान सहित अन्य मुहल्ले के लोग इससे प्रभावित हैं. कहते हैं शहर वासीइस संबंध में डांड़ के किनारे बसे बिंदु झा, हुस्नयार आलम, गौरी प्रसाद मंडल, उमेश प्रसाद मंडल, रितेश कुमार एवं रंजन कुमार मंडल बताते हैं कि डांड़ की सफाई कब हुई, पता नहीं है. दूसरी बात यह कि डांड़ के किनारे रहने वाले लोगों द्वारा डांड़ का अतिक्रमण किया जा रहा है. जिस पर न तो नगर पंचायत और न ही अंचल कार्यालय का ध्यान है. सरकारी जमीन का अतिक्रमण करना कानूनन अपराध है. बावजूद इसके स्थानीय लोग अतिक्रमण कर रहे हैं. कहते हैं नगर पंचायत अधिकारीइस संबंध में विरेंद्र कुमार तरुण ने बताया कि शहर में जितने भी डांड़ हैं, जिनकी सफाई व खुदाई नहीं हुई, उसकी सफाई एक पखवारे के अंदर करा ली जायेगी.

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