पर्यावरण एवं मानव अस्तित्व को लेकर दो दिवसीय सेमिनार प्रारंभ फोटो 27 बांका 19 सेमिनार में मंचासीन प्रतिकुलपति एके राय व अन्य. 20 सेमिनार में उपस्थित शिक्षक व छात्र- छात्रा.प्रतिनिधि, बांकाआज पर्यावरण एवं मानव अस्तित्व का संकट कई गुणा बढ़ गया है. हमारी जीवन शैली, बढ़ता औद्योगिकीकरण, वनों की अंधाधुंध कटाई, ऊर्जा प्राप्ति हेतु थर्मल पावर स्टेशन जैसी गतिविधियों से कार्बन उत्सर्जन कई गुणा बढ़ गया है. जिसकी परिणति है ग्लोबल वार्मिंग, ग्लेशियर का पिघलना, जिससे बाढ़ का खतरा उत्पन्न होता है. उक्त बातें बांका के पीबीएस कॉलेज के प्रशाल में आयोजित राष्ट्रीय सेमिनार भारतीय चिंतन में पर्यावरण एवं मानव अस्तित्व एक चुनौती विषय पर आयोजित कार्यशाला में प्रतिकुलपति एके राय ने कही. इससे पूर्व दो दिवसीय कार्यशाला की शुरुआत संयुक्त रूप से प्रतिकुलपति, इग्नू भागलपुर के क्षेत्रीय निदेशक डॉ एसजे निधि राजन, डिप्टी डायरेक्टर ओपी तिवारी ने दीप प्रज्ज्वलित कर की. वही महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ सुवास चंद्र सिंह ने अपने संबोधन में कहा कि भारतीय दर्शन में आदि काल से पर्यावरण के प्रति संरक्षण का सिद्धांत अपनाया गया है. हमारे सभी लोकाचार, सामाजिक रीति रिवाज में कही ने कही पर्यावरण एवं मानव के बीच सामंजस्यता झलकती है. अब आवश्यकता है अपनी सांस्कृति प्राचीन अवधारणाओं को अर्वाचीन विकास संबंधी धारणाओं के साथ सामंजस्य बनाया जाये. ताकि मानव अस्तित्व सुरक्षित रहे. मंच संचालन कर रहे महाविद्यालय के अंगेजी के व्याख्याता प्रो पवन कुमार सिंह ने कहा कि मानव के अस्तित्व की सुरक्षा के लिए समाज के हर क्षेत्र में जागरूकता फैलाने की आवश्यकता है. सेमिनार के संयोजक सह महाविद्यालय के अर्थशास्त्र के व्याख्याता डॉ राजेश कुमार मिश्रा ने कहा कि आज विचार विहीन विकास परियोजना के अंधा धुन क्रियान्वयन एवं पश्चिमी सभ्यता के आधुनिकीकरण ने मानव सभ्यता पर बड़ा ही संकट उत्पन्न कर दिया है. टीएनबी महाविद्यालय के जन्तु विज्ञान के वरिष्ठ प्राध्यापक डॉ फारूक अली ने कहा कि पिछले 50 सालों से इस विषय पर विचार एवं मंथन चल रहा है लेकिन अभी भी विज्ञान एक मत नहीं हो पा रहा है. कार्बन उत्सर्जन करने, पर्यावरण प्रदूषण को निम्न स्तर पर करने एवं संपूर्ण विश्व के लोगों के स्वास्थ्य भोजन, अपेक्षित विकास हेतु किस प्रकार से योजना बनायी जाये जिससे मानव का कल्याण हो सके. साइंस फॉर सोसाइटी बिहार के उपाध्यक्ष डॉ एसकेपी कहा कि हमारी संस्कृति एवं भारतीय दर्शन में स्पष्टत: उल्लेखित किया गया है कि पंच भूत जल, भूमि, वायु, आकाश एवं अग्नि जिससे हमारा शरीर निर्मित होता है. उनके कारकों व मानव आचार एवं व्यवहार में तार्किक समन्वय ही पर्यावरण एवं मानव अस्तित्व को बचाया जा सकता है. इग्न के डिप्टी डायरेक्टर ने कहा कि हम अपने दैनिक जीवन में अपने आदतों में पर्यावरण संरक्षण में योगदान दे सकते हैं. सीएस कॉलेज बेलहर की व्याख्याता डॉ रेना कुमारी ने पर्यावरण संरक्षण में संगीत की महत्ता संबंधी शोध पत्र प्रस्तुत किया. आरडी एवं डीजे कॉलेज मुंगेर के प्रध्यापक डॉ संजय कुमार, पटना विश्व विद्यालय के शोध छात्र पवन कुमार, एसएम कॉलेज भागलपुर के शिक्षक डॉ रवि शंकर चौधरी ने अपना शोध प्रस्तुत किया. डॉ निधि राजन ने संपूर्ण प्रस्तुतीकरण के निष्कर्ष के रूप में अपने विचार को प्रकट करते हुए कहा कि यह विषय सिर्फ महाविद्यालयी सेमिनार तक सीमित न रहे बल्कि इस विचार को गांव- गांव तक पहुंचाने की आवश्यकता है. आवश्यकता है कि कैसे हम अपने जीवन शैली में थोड़ा बदलाव लाकर देश, पर्यावरण एवं मानव अस्तित्व के संरक्षण में अपना योगदान दे सकते हैं. कार्यक्रम के सफल संचालन में सेमिनार के सह आयोजक डॉ अनिता गुप्ता, शिक्षक संघ के सचिव विश्वजीत कुमार सिंह, सेवानिवृत प्रो. कौशल कुमार सिंह, प्रो. राम नरेश भगत, प्रो. जीपी श्रीवास्तव, प्रो. एसएस ठाकुर, सुधीर कुमार झा, हरेंद्र कुमार, विशाल कुमार सिंह, समरेश कुमार, अनुप, राजदूबे, पवन, कृष्णा, शिल्पी, कादम्बिनी सहित एनएसएस के सदस्य महाविद्यालय के अन्य कर्मी उपस्थित थे.———-30 नवंबर तक इग्नू में लें दाखिला बांका. इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्व विद्यालय अध्ययन केंद्र बांका के समन्वयक डॉ सुवास चंद्र सिंह ने बताया कि जनवरी सत्र 2016 में इग्नू के सभी कोर्स में प्रवेश के लिए बिना विलंब दंड की तिथि 30 नवंबर तक है. जबकि विलंब दंड के साथ 21 दिसंबर 2015 तक प्रवेश भरा जा सकता है.
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पर्यावरण एवं मानव अस्तत्वि को लेकर दो दिवसीय सेमिनार प्रारंभ
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