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रेशम की खेती से हर साल कमाते हैं चार लाख

रेशम की खेती से हर साल कमाते हैं चार लाख फोटो : 15 बांका 3 और 4 : तैयार कोकून और अर्जुन का पौधा दिखाते किसान प्रतिनिधि, जयपुरओपी नक्सल प्रभावित क्षेत्र के दर्जनों गांव में रेशम की खेती होती है. क्षेत्र के बंजर भूमि को भी किसानों ने अपने जीने का आधार बनाया. जिस जमीन […]

रेशम की खेती से हर साल कमाते हैं चार लाख फोटो : 15 बांका 3 और 4 : तैयार कोकून और अर्जुन का पौधा दिखाते किसान प्रतिनिधि, जयपुरओपी नक्सल प्रभावित क्षेत्र के दर्जनों गांव में रेशम की खेती होती है. क्षेत्र के बंजर भूमि को भी किसानों ने अपने जीने का आधार बनाया. जिस जमीन को किसान के पूर्वज बेकार समझते थे, आज वह जमीन रेशम दे रही है. अपने पैरों पर खड़े हुए किसान सरकार के महत्वाकांक्षी योजना जलछाजन से यहां के किसान अपना जीवन यापन कर रहे हैं. पहले जहां यहां के किसान अपने रोजगार के लिए बाहर जाते थे, अब वह यहीं रह कर गुजर बसर करते हैं. यहां के किसानों ने रेशम के कीट पालना शुरू कर दिया है. अर्जुन के पौधे पर किसान कीट डाल रहे हैं. हर साल कमा सकते हैं दो से चार लाखकिसानों ने बताया कि नवंबर व अगस्त माह में बाजार से रेशम के अंडे खरीद कर लाते हैं. घर में पॉकेट खोल कर रख देते हैं. 15 दिनों के बाद अंडे से कीट बाहर निकल जाता है. उसे अर्जुन के पौधे पर डालते हैं. पौधे पर कीट को रखने के बाद 40 से 45 दिन तक खेत की देख-रेख करनी पड़ती है. पौधे पर ही गोटीनुमा कोकून तैयार हो जाता है. उसे तोड़ कर डेढ़ से दो रुपये में एक कोकून बेच देते हैं. किसान अपने खेत में एक से दो लाख तक कोकून तैयार करते हैं. इससे उनका मुनाफा सलाना दो से चार लाख रुपया हो जाता है.कहते हैं किसान क्षेत्र के इनारावरण, दुखनसार, माथासार, भीड़ीसीमर, तेतरिया, जोगीकुप्पा, लेटवा, लीला आदि गांवों में किसान रेशम उत्पादन करते हैं. किसान करीम अंसारी, मोजाला अंसारी, रमेश मरांडी, अभिमन्यु सिंह, दुखी यादव आदि ने बताया कि अगर कोकून का बाजार हो, तो यह मुनाफा और अधिक होगा. क्योंकि व्यापारी यहां आकर एक कोकून एक से डेढ़ रुपये में खरीद लेते हैं. जबकि दूसरे स्थानों पर इसकी कीमत दस से पंद्रह रुपये तक है.

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