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विभागीय उदासीनता के कारण हिरंबी बांध से किसानों को नहीं मिल रहा लाभ

विभागीय उदासीनता के कारण हिरंबी बांध से किसानों को नहीं मिल रहा लाभ फोटो : 1 बांका 3 : हिरंबी बांध की तस्वीर 22 मौजा के खेतों की सिंचाई हो रही है प्रभावितधोरैया के किसानों को निवाला देता था यह बांधबांध के नाम पर सिर्फ की गयी सियासतराजनीतिक प्रतिद्वंद्विता के कारण विवादों की भेंट चढ़ी […]

विभागीय उदासीनता के कारण हिरंबी बांध से किसानों को नहीं मिल रहा लाभ फोटो : 1 बांका 3 : हिरंबी बांध की तस्वीर 22 मौजा के खेतों की सिंचाई हो रही है प्रभावितधोरैया के किसानों को निवाला देता था यह बांधबांध के नाम पर सिर्फ की गयी सियासतराजनीतिक प्रतिद्वंद्विता के कारण विवादों की भेंट चढ़ी प्रस्तावित योजनासीएम ने किया था शिलान्यासबार बार शटर गिरने से खेतों में नहीं पहुंचता है पानीप्रदीप कुमार, धोरैयाआश्वासन और वादा, चुनाव आते ही ऐसे शब्दों का खेल शुरू हो जाता है़ ऐसा नहीं कि नेताओं द्वारा दिये गये आश्वासन और वादे पूरे नहीं होते, लेकिन कुछ ऐसे वादे होते हैं जिन्हें पूरा नहीं होते देख लोगों की भावना आहत होती है़ंजिले का अति महत्वपूर्ण धोरैया प्रखंड का बहुचर्चित हिरंबी बांध का निर्माण वर्ष 2008 के दिसंबर में चालू हुआ था, जो अब तक अधूरा है़ वैसे भी इस बांध का भविष्य इसके शिलान्यास के समय से ही राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता के कारण विवादित रहा है़ 5 करोड 85 लाख की लागत से करीब एक दशक से निर्माणाधीन इस महत्वपूर्ण सिंचाई परियोजना से किसानों के खेतों तक पानी नहीं पहुंच सका़ विभागीय उदासीनता भी आखिरकार इलाके के किसानों को तबाह कर गयी़ शटर गिरने से नहीं पहुंच रहा पानीधोरैया के मिनी डेम के नाम से चर्चित इस बांध का निर्माण कार्य प्रारंभ होने से क्षेत्र के 22 मौजा के किसानों में यह आस जगी थी कि उनके खेतोंं में अब फसल लहलहायेगी, लेकिन उनका यह सपना अधूरा ही रह गया़ सिंचाई सुविधा नहीं मिलने से किसान अभी अपने धान को बचाने में पंपसेट का सहारा ले रहे हैं. चलना के मुखिया शम्स तबरेज आलम, हिरंबी के किसान अरुण सिंह, ब्रह्मदेव पासवान, दुर्योधन पासवान, अरविंद यादव आदि बताते हैं कि पूर्व में बांध में जगह जगह पानी निकासी हेतु पुल था, लेकिन बांध निर्माण के वक्त उसे भर दिया गया़ बांध में लगाये गये शटर के हल्का होने के कारण बार बार गिरने से पानी नहीं पहुंच पाता़ होती थी रखवालीकभी इस बांध की रखवाली का जिम्मा संभाल रहे हिरंबी निवासी अंजनी पासवान ने बताया कि जमींदार द्वारा उनके पूर्वजों को इस बांध की रखवाली का जिम्मा दिया जाता था़ वे खुद 22 मौजे के गांवों के घरों में घूम कर अनाज इकट्ठा करते थे, लेकिन गत 25 वर्षों से यह कार्य बंद है़भारी पैमाने पर हुई लूटकभी इलाके के 84 मौजा की हजारों एकड़ जमीन की सिंचाई करने वाला अपने समय में इस क्षेत्र का यह मिनी डैम हुआ करता था़ लेकिन मिट्टी भराव के कारण इसका स्वरूप सीमित हो चुका है़ जब तब इसके जीर्णोंद्धार के नाम पर विभिन्न मद की लाखों की राशि बंदरबांट होती रही है़छह बार हो चुका है शिलान्यासहिरंबी बांध का शिलान्यास एक बार नहीं बल्कि छह बार किया जा चुका है़ लेकिन हर बार शिलान्यास राजनीतिक लाभ के लिये किया गया और किसान मूर्ख बनते रहे़ सबों ने अपने अपने तरीके से इस बांध के निर्माण को लेकर क्षेत्र में राजनीतिक रोटी सेंकी़ हिरंबी बांध निर्माण को लेकर पिछले चार विधानसभा, तीन लोकसभा चुनाव एवं एक लोकसभा उपचुनाव के समय इस बांध के निर्माण को लेकर जम कर राजनीतिक लाभ उठाने की कोशिश की गयी़ संबंधित दल के नेता एवं प्रत्याशी अपने अपने तरीके से इस मुददे को लेकर किसानों को प्रभावित करते थे़ सर्वप्रथम इस बांध का दो बार शिलान्यास धोरैया के तत्कालीन विधाय़क व पूर्व सांसद भूदेव चौधरी ने किया़ उसके बाद भागलपुर के तत्कालीन प्रमंडलीय आयुक्त एके चौहान ने हिरंबी बांध शिलान्यास के लिये कार्यक्रम तय किये, लेकिन शिलान्यास कार्यक्रम के दो दिन पूर्व तत्कालीन विधान पार्षद संजय कुमार द्वारा शिलान्यास के लिये शिलापट लगा दिया गया़ जब इसकी जानकारी आयुक्त को हुई तो वहां भारी संख्या में पुलिस बल को प्रतिनियुक्त कर दिया गया़ स्थिति को तनावपूर्ण देखते हुये आयुक्त द्वारा शिलान्यास कार्यक्रम को स्थगित कर दिया गया़सीएम ने भी किया शिलान्यास2004 एवं 2006 के लोकसभा उपचुनाव के बतौर भाजपा प्रत्याशी क्रमश: सुशील कुमार मोदी व शाहनवाज हुसैन ने भी धोरैया के कई कार्यक्रमों में सार्वजनिक तौर पर हिरंबी बांध निर्माण का आश्वासन देकर किसानों से जम कर तालियां बटोरी़ 16 अगस्त 2006 को सीएम नीतीश कुमार, उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी, तत्कालीन जल संसाधन मंत्री रामाश्रय प्रसाद सिंह समेत आधे दर्जन मंत्री एवं विभागीय अधिकारियों के साथ धोरैया पहुंच दो दर्जन से भी अधिक विकास कार्य योजना का शिलान्यास किया था़ जिसमें हिरंबी बांध भी प्रमुख रुप से शामिल है़ सभा में सीएम, विभागीय मंत्री व अधिकारियों ने घोषणा की थी कि बांध का निर्माण कार्य एक साल के अंदर किसी भी कीमत पर पूरा कर लिया जायेगा़ क्या कहते है अधिकारी इसका निर्माण मैकेनिकल डिविजन बौंसी के द्वारा किया गया है. विभाग ने उक्त डीविजन पर दबाव देकर इस वर्ष इसका पुणर्निर्माण कराया है. विभाग ने संज्ञान लेते हुए इसको हल्का कर दिया गया है. रिमोट वाइज कर दिया गया है. यह ठीक है. किसी प्रकार की समस्या नहीं है.रविंद्र चौधरी कार्यपालक अभियंता,सिंचाई प्रमंडल बौंसी

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