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गोलियों की तड़तड़ाहट से सहमा रहा परमेश्वर का परिवार

बाप और दादा को बचाने भी नहीं निकले बच्चे घटना के वक्त पास में सोयी थी चार साल साल की बच्ची औरंगाबाद/देवकुंड : देवकुंड थाना क्षेत्र के महाराजगंज गांव में पिता व उसके दो पुत्रों की हत्या ने जिले में सनसनी फैला दी. सदर अस्पताल में पोस्टमार्टम के लिए शव पहुंचने के पहले लोगों की […]

बाप और दादा को बचाने भी नहीं निकले बच्चे
घटना के वक्त पास में सोयी थी चार साल साल की बच्ची
औरंगाबाद/देवकुंड : देवकुंड थाना क्षेत्र के महाराजगंज गांव में पिता व उसके दो पुत्रों की हत्या ने जिले में सनसनी फैला दी. सदर अस्पताल में पोस्टमार्टम के लिए शव पहुंचने के पहले लोगों की भीड़ जमा होने लगी थी, लेकिन जब उन्हें पता हुआ कि शव का पोस्टमार्टम हो गया है, तो लोग धीरे-धीरे निकल गये. अस्पताल प्रशासन पूरी तरह मुस्तैद नजर आया. इसमें पुलिस प्रशासन का भी पूर्णत: सहयोग मिला. यही कारण है कि बगैर हंगामा हुए शव का पोस्टमार्टम करा कर महाराजगंज भेज दिया गया. महाराजगंज गांव में हुई इस घटना से पूरे हसपुरा क्षेत्र में चर्चाओं का बाजार गरम है.
तिहरे हत्याकांड के पीछे कोई प्रेम प्रसंग बता रहा है, तो कोई पूर्व से चली आ रही दुश्मनी. सोमवार की रात 11 बजे परमेश्वर पासवान पूरे परिवार के साथ खाना खाने के बाद सो गये थे. परमेश्वर के साथ उनका पुत्र विनय पासवान एक ही दालान में सोये हुए थे. ठीक बगलवाली दालान में परमेश्वर का दूसरा पुत्र चंद्रेश पासवान सोया हुआ था. रात 12 बजे के करीब 10 से 12 की संख्या में शस्त्रों से लैस अपराधी परमेश्वर पासवान के पास पहुंचे और सीधे उस पर धारदार हथियार से हमला कर हत्या कर दी.
फिर दोनों भाई विनय पासवान और चंद्रेश पासवान की गोली मार हत्या कर दी. गोली की आवाज और दोनों भाईयों की चीत्कार ने पूरे परिवार के भीतर एक डर पैदा कर दिया. यही कारण था कि घर का एक सदस्य भी जान जाने के डर से घर से बाहर नहीं निकला. विनय पासवान के पुत्र सनोज पासवान ने बताया कि गोलियों की आवाज ने पूरे परिवार को एक ही कमरे में रहने को विवश कर दिया था. घर की महिलाओं व अन्य सदस्यों की आवाज भी मुंह से नहीं निकल रही थी, क्योंकि छोटे- छोटे बच्चों के जान की फिक्र थी. लगभग आधे घंटे के बाद जब खूनी दौर शांत हो गया, तब परिवार के लोग घर से बाहर निकले.
पोती के सामने ही दादा की हुई हत्या
परमेश्वर पासवान के साथ उनकी चार वर्षीय पोती निशा कुमारी भी सोयी हुई थी. हालांकि, अपराधियों को उस वक्त उसकी मौजूदगी नहीं दिखी. वरना उसे भी काल के गाल में भेज दिया गया होता. निशा अपने दादा की चादर में दुबकी हुई थी. अपराधियों के हमला के दौरान उसे मामूली चोट भी लगी. घटना के बाद सहमी मासूम बच्ची रोते हुए एक ही बात कह पा रही है – ‘दादा के चार आदमी मारइत हलथी. ‘
परिजनों की चीत्कार से दहला गांव का कोना-कोना
एक साथ एक ही घर के तीन प्रमुख लोगों की हत्या के बाद परिवार पर पहाड़ टूट गया. भरा-पूरा परिवार के साथ जीवन बसर कर रही रेशमी पासवान को अपने पति परमेश्वर पासवान को साथ छोड़ कर जाने का गम तो सता ही रहा था, उससे अधिक गम अपने दो बेटे विनय पासवान और चंद्रेश पासवान का है.
अपने ठीक सामने बिलख रही रेशमी देवी, पूनम देवी को देख कर उसका हौसला और भी टूट रहा था. पास में ही विनय के पुत्र मनोज, सनोज, पुत्री सोनी, चंद्रेश पासवान की बेटी मिनता, रिंता, अंजनी, सुगन, रीना, पूजा और कल्लू की चीत्कार से गांव का कोना-कोना दहल रहा था.

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