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थाने के नजदीक हत्या ने खोल दी पुलिसिंग की पोल

सनसनी. रात में आग की तरह फैल गयी हत्या की खबर, सोने की तैयारी में ही था शहर कि मिली दहशत वाली सूचना औरंगाबाद सदर : नगर थाने से महज 50 मीटर की दूरी पर हुई हत्या की घटना ने शहर की पुलिसिंग की पोल खोल कर रख दी है. अपराध पर नियंत्रण को लेकर […]

सनसनी. रात में आग की तरह फैल गयी हत्या की खबर, सोने की तैयारी में ही था शहर कि मिली दहशत वाली सूचना

औरंगाबाद सदर : नगर थाने से महज 50 मीटर की दूरी पर हुई हत्या की घटना ने शहर की पुलिसिंग की पोल खोल कर रख दी है. अपराध पर नियंत्रण को लेकर पुलिस की तैयारी कितनी दुरुस्त है और अपराध के बाद स्थिति को नियंत्रित करने को लेकर क्या तैयारी है, यह सब शुक्रवार की घटना के बाद साफ हो गया. शुक्रवार की रात 10 बजे बेखौफ अपराधी ने धारदार हथियार से डीएवी के एक शिक्षक कमलकांत चौबे की हत्या कर दी तो पुलिस हरकत में आयी.
इस घटना के बाद अचानक से शहर का माहौल बुरी तरह बिगड़ गया. दरअसल नगर थाना से महज 50 मीटर की दूरी धर्मशाला चौक पर हुई इस हत्या की घटना की खबर पूरे शहर में रात में ही आग की तरह फैल गयी. सिनेमा देख कर नारेंद्र टॉकिज से शिक्षक कमलकांत धर्मशाला चौक पहुंचा था, कि बेखौफ अपराधी ने शिक्षक से उलझते हुए धारदार हथियार से अनगिनत प्रहार कर उसकी निर्मम हत्या कर दी. इस घटना के बाद शहर के लोगों में खौफ का माहौल बना हुआ है. स्थानीय लोग व व्यवसायी तो यहां तक कह रहे हैं कि औरंगाबाद की स्थिति पूरे बिहार में सबसे ज्यादा असुरक्षित है.
सोने की तैयारी में जुटे थे लोग : जैसा की लोग बताते हैं कि शिक्षक की हत्या रात के 10 बजे हुई. अभी शहर सोने की तैयारी में भी जुटा था, कि सरेआम हत्या हो गयी. शहर की सड़कों पर अक्सर 11 बजे रात तक चहल-पहल का आलम रहता है. व्यवसायी अपने काम से लौट कर घर जा रहे होते हैं और शहर की सड़कों पर यातायात भी जारी रहता हैं. लेकिन, ऐसे में किसी की सरेआम हत्या होना नगर थाने की पुलिस सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़ा करता है. शहर के लोग कहते हैं कि गश्ती दल में नगर थाने की दो-तीन जीप शहर का मुआयना कर रही होती है, ऐसे वक्त में आखिर नगर थाने की पुलिस कहां थी. ऐसी बातें काफी चर्चा में हैं और लोग थानेदार को कोस रहे हैं.
शहर में नहीं है कहीं पुलिस नाका : शहर में जब भी कोई हत्या या कोई बड़ी वारदात होती है, तो लोगों की एक मांग अक्सर उठती है. लोग ऐसे घटनाओं पर एसपी से पुलिस नाका की मांग करते आये हैं. शहर के ओवरब्रिज, रमेश चौक, रामाबांध बस स्टैंड, दानी बिगहा स्टैंड, जसोइया मोड़, कामा बिगहा मोड़, धर्मशाला चौक, सिन्हा कॉलेज मोड़ आदि जगहों पर पुलिस नाके की जरूरत लोग शुरू से महसूस करते आ रहे हैं. पूर्व की घटना पर नजर डालें तो रामाबांध बस स्टैंड के पास व्यवसायी नवीन सिंह की हत्या, रमेश चौक के समीप प्रियव्रत पथ में राजू गुप्ता की हत्या, अहरी में दुर्गा मंदिर के समीप संजय शर्मा की हत्या शहर के लोग अभी तक भूल नहीं पाये हैं.
हालांकि, नवीन सिंह की हत्या के बाद रामाबांध बस स्टैंड के समीप कुछ दिनों तक पुलिस बल के जवान तैनात रहे. चौकी के रूप में स्थापित की गयी पुलिस नाका पर रात में भी जवान रहा करते थे, लेकिन इन दिनों ऐसा नहीं देखा जा रहा.
गश्ती के नाम पर होती है खानापूर्ति : नगर थाने की पुलिस हो या मुफस्सिल थाने की पुलिस. अधिकारियों के निर्देश को ईमानदारी से नहीं मानते. तभी तो, शहर में हत्या जैसे बड़े अपराध खुलेआम सड़कों पर हो जाते हैं और अपराधी पुलिस के हाथ भी नहीं आते. क्राइम मीटिंग में अक्सर पुलिस अधिकारी द्वारा आपराधिक घटनाओं को रोकने के लिये रणनीति तैयार की जाती है.
बैठक में थानेदारों को निर्देश भी दिये जाते हैं कि वे अपनी ड्यूटी ईमानदारी से करें और पुलिस गश्ती की कार्रवाई नियमित करते रहें, लेकिन, बैठक से निकलने के बाद थानेदार ऐसा करना भूल जाते हैं.
नगर थानाध्यक्ष को घेरे हुए गुस्साये लोग.

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