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शिक्षकों की बहादुरी से बचीं जानें
त्रासदी. उफनती पुनपुन में कलेन गांव के कई लोग एक झटके में बह गये औरंगाबाद कार्यालय : औरंगाबाद जिले में पहली बार किसी नदी की धार में एक दर्जन से भी अधिक लोगों को समा जाने की घटना से लोगों का दिल दहल गया है. मंगलवार के दिन उफनती पुनपुन नदी की धार में कलेन […]
त्रासदी. उफनती पुनपुन में कलेन गांव के कई लोग एक झटके में बह गये
औरंगाबाद कार्यालय : औरंगाबाद जिले में पहली बार किसी नदी की धार में एक दर्जन से भी अधिक लोगों को समा जाने की घटना से लोगों का दिल दहल गया है. मंगलवार के दिन उफनती पुनपुन नदी की धार में कलेन गांव के एक दर्जन से भी अधिक लोग बह गये या लापता हो गये. मध्य विद्यालय के शिक्षक अगर तुरंत नदी में कूदते तो कई और लोगों की जान भी खतरे में पड़ती. घटना के तुरंत बाद नदी किनारे मौजूद विनोद प्रसाद, अजीत कुमार, अजय कुमार, विजय कुमार तुरंत उफनती धार के बीच कूद पड़े. इन शिक्षकों ने जान की परवाह किये बगैर लीला देवी, नेउरी पासवान, वृक्ष साव, अमोद कुमार, मंटु कुमार और अरविंद कुमार की जान बचा दी. पुनपुन की तट पर खड़े लोगों ने शिक्षकों की इस बहादुरी को सलाम किया.
मध्य विद्यालय खुदवां से पढ़कर लौट रही थीं कंचन व रेणु : कलेन गांव के कई बच्चे प्रतिदिन मध्य विद्यालय खुदवां में पढ़ाई करने जाते थे. वैसे बरसात के मौसम में आम तौर पर उनकी सवारी नाव ही होती है. बाजार कर नदी पार करने वाले लोगों के साथ स्कूली बच्चे भी शामिल हो गये. इसमें विनय पासवान की पुत्री व 9वीं क्लास की छात्रा कंचन कुमारी, विनय साव की पुत्री रेणु कुमारी भी शामिल थी. जब इन दोनों बच्चों के माता-पिता को पता हुआ तो वे दहाड़ मारते पुनपुन के तट पर पहुंचे . रेणु की मां उर्मिला देवी का हाल बेहाल था. वह कभी भीड़ में अपने को खोजती तो कभी अपनी बेटी को. कभी नदी किनारे से नदी में कूदने को करती, लेकिन लोगों ने उसे रेणु को वापस लौटने का ढाढ़स बंधाया.
पति-पत्नी बाजार कर लौट रहे थे घर: खुदवां व सिहाड़ी बाजार से कई दंपति अपने बच्चों को खाने-पीने व अन्य समान लेकर नाव से लौट रहे थे. इसमें राम कुमार दास और इनकी पत्नी मरछी देवी, कृष्णा यादव और इनकी पत्नी सुकेश्वरी देवी भी शामिल थी. घर के बच्चे उनका इंतजार कर रहे थे. लेकिन, जब हादसे की सूचना घर में पहुंची तो कोलाहल मच गया.
इसी वर्ष हुई थी सीता की शादी: नाव हादसा में वीरेंद्र यादव की 19 वर्षीय पुत्री सीता कुमारी के भी लापता होने की भी जानकारी मिली है. पता चला कि सीता की शादी इसी वर्ष हुई थी. वह अपने मायके में ही रह रही थी .मंगलवार की सुबह खुदवां बाजार जल्द लौटने की बात कह कर गयी थी. जब उसके परिजनों को घटना की सूचना मिली तो सभी अवाक रह गये.
सब्जी विक्रेता संजय साव भी लापता
40 वर्षीय संजय साव को भी लापता होने की जानकारी मिली है. संजय खुदवां का रहने वाला बताया जाता है. पता चला कि वह प्रतिदिन कलेन गांव में सब्जी बेचने जाता था.जिस वक्त नाव कलेन के लिये खुदवा से खुली थी,उस वक्त संजय भी टोकरी में सब्जी लेकर बैठा था. उसके घर के लोग खुदवां से खोजते -खोजते नदी के उस पार पहुंच गये.हर काम के लिए खुदवां जाने की मजबूरी : कलेन गांव में न तो हाई स्कूल है, न कोई बाजार है.
स्थिति यह थी बीमार मरीजों के इलाज के लिये कलेन जाना पड़ता है. मिडिल स्कूल से लेकर हाई स्कूल की शिक्षा पाने के लिये बच्चों को खुदवां जाना पड़ता है. घर की सब्जी लाने के लिये खुदवां जाना पड़ता है, यानी कि किसी भी काम के लिये इस गांव के लोगों को पुनपुन नदी पार कर खुदवां जाना ही पड़ता है.
कई माताओं को है बच्चे के लौटने का इंतजार: इसमें कई स्कूली बच्चे भी थे, जिनकी मां घर आने के इंतजार कर रही थी, लेकिन मां की गोद तक पहुंचने के पहले पुनपुन की जल धारा में समाहित हो गये.
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कलेन गांव के साथ-साथ आसपास गांवों के लोग पुनपुन नदी पर पुल बनाने की मांग पिछले एक दशक से कर रहे थे. इसके लिये सांसद, विधायक से लेकर केंद्रीय मंत्री व मुख्यमंत्री तक गुहार लगायी. लेकिन, इन लोगों का फरियाद कहीं नहीं सुनी गयी. घटनास्थल पर इस बात को बयां कर रहे ओम प्रकाश, रामकुश सिंह, विनोद प्रसाद, धनंजय कुमार ने बताया कि पुल के लिए दर्जनों बार इन लोगों के पास गये, अनेकों आवेदन दिये, लेकिन आश्वासन के सिवा कुछ नहीं हुआ. चार माह पूर्व एक नेताजी के पास गये थे, जो इसी बार जीते हैं, लेकिन उन्होंने फटकार लगा कर भगा दिया.
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