एक ऐसा गांव जहां पल-पल मंडराती है मौत ,तीन साल के भीतर 40 से अधिक लोग समा गये काल के गाल में ,एक परिवार का उजड़ा संसार-पेज तीन का लीड फोटो नंबर-5 से 9 तक ,परिचय-हाइवे से गुजरती वाहन और वाहन के इंतजार में खड़े लोग,जगनारायण सिंह,नागेंद्र यादव,सुरेंद्र प्रसाद सिन्हा,मुखिया अनिल कुमार,अपने घर के सामने बैठा विकलांग भाई औरंगाबाद,ग्रामीण.एक गांव ऐसा जहां लोगों के ऊपर पल-पल मंडराती है मौत. स्वभाविक मौत की कल्पना भी नहीं कर सकते. जब भी सुबह सो कर उठते है तो ईश्वर से बेहतर दिन और सुखद जिंदगी की कामना करते है. बावजूद कई परिवारों के जिंदगी तहस-नहस हो गयी. 40 से अधिक लोग काल के गाल में समा गये. वह भी तीन वर्ष के भीतर. अकेले वर्ष 2015 में 28 लोगों की मौत हुई और इन सब मौत का कारण लापरवाह भरी जिंदगी और रफतार बनी.हम बात कर रहे है सदर प्रखंड के ओरा गांव का. लगभग पांच हजार की आबादी वाला ओरा गांव राष्ट्रीय राजमार्ग -दो पर बसा है. इस गांव के समीप जरा सी लापरवाही भरी ड्राइविंग एक बड़ी घटना को अंजाम दे सकता है. कई दफे ऐसा हुआ भी है,जब एक साथ आधे दर्जन लोगों की जान गयी है. इन मौत के पीछे रोजमर्रे की जिंदगी और शौचालय का अभाव है. खेती करने वाले किसान,पढ़ने वाले बच्चे,नौकरी व मजदूरी करने वाले लोग प्रतिदिन सड़क से पैदल या तो पार करते है या वाहन के इंतजार में खड़े रहते है. इस क्रम में कई दुर्घटनाएं हुई. शौचालय का अभाव भी कई मौत का कारण बना है. शौचालय के अभाव में गांव के अधिकांश लोग, चाहे महिला हो या पुरूष सड़क के किनारे ही शौच करने जाते है.इस क्रम में भी कई लोगों की जाने गयी है. वर्ष 2001 से फोरलेन का कार्य एनएच दो पर प्रारंभ हुआ था. वर्ष 2006 में कार्य पूर्ण कर लिया गया था, उस वक्त गांव के लोगों में सुगम और सरल रास्ता को लेकर हर्ष व्याप्त हो गया था, लेकिन जब सुविधा नुकसान देने लगी तो सरलता और सुगमता अचानक गायब हो गये. गांव के लोगों की माने तो 2006 से अब तक 50 से अधिक मौतें हुई है.इन घटनाओं के बाद अब गांव के लोगों को विद्यालय के समीप अंडर पास या ओवर ब्रिज की कमी सताने लगी. आठ नवंबर 2015 को गांव के पास हुई सड़क दुर्घटना में जब एक साथ पांच लोगों की जान गयी तो अंडर पास व ओवरब्रिज जरूरत बन गयी. जन सुरक्षा संघर्ष समिति के माध्यम से जिलाधिकारी को एक ज्ञापन सौंप कर दुर्घटना पर नियंत्रण के लिये अंडर पास व ओवरब्रिज की मांग की गयी. एक माह बीत गये,लेकिन उनकी मांगों पर कोई सुनवाई अभी तक नहीं हुई है. हालांकि एनएचआइ के कुछ पदाधिकारियों ने स्थल का निरीक्षण कर लोगों को सांत्वना जरूर दे दिया. सड़क दुर्घटना में तबाह हो गया पपली का परिवार,दोनो बेटा हुए विकलांगओरा गांव के समीप सड़क दुर्घटना में एक परिवार पूरी तरह तबाह व बरबाद हो गया. पहले घर के मुखिया पपली मिस्त्री की पत्नी की मौत हुई,फिर खुद पपली मिस्त्री की मौत हो गयी. कुछ ही दिन बाद इनकी बेटी की मौत हो गयी. यह परिवार मौत के सदमे से उबरा भी नहीं था कि पपली मिस्त्री के के घर में बचे दो बेटे भी सड़क हादसे के शिकार हो गये. हालांकि इन दोनों की जानें बच गयी. लेकिन विकलांगता की टीस पूरी जिंदगी झेलने को दोनों विवश हो गये.एक भाई दिवाना विश्वकर्मा कृत्रिम पैर के सहारे तो दूसरा दीपक विश्वकर्मा लंगड़ाकर अपनी जीवन की गाड़ी खिंच रहा है . दोनों का कहना है कि ग्रामीणों की मांग अगर सरकार पूरी कर देती है ,तो हमारे परिवार जैसी स्थिति किसी दूसरे की नहीं होगी. सड़क दुर्घटना में इन लोगों ने गंवायी जानओरा गांव के समीप हुए सड़क दुर्घटना में यदुनंदन मिस्त्री की पत्नी बिंदा देवी,पिपली मिस्त्री,इनकी पत्नी लखेशरी देवी, रघुनाथ साव की पत्नी लक्ष्मी देवी,धर्मेंद्र प्रजापत की पुत्री सुमन कुमारी, स्व जयपाल यादव के पुत्र रमेश्वर यादव, शिवजतन साव की पुत्री छोटी कुमारी, रामस्वरूप पासवान की पत्नी मुनरवा देवी, मुनारिक राम की पत्नी सोमरिया देवी,स्व सुर्यदेव सिंह के पुत्र मुन्ना सिंह, फौदार यादव की पत्नी लक्ष्मिनिया देवी,मुखदेव प्रजापत की पत्नी कबूतरी देवी, भीक्षण ठाकुर का पुत्र छोटू कुमार,रघुनंदन यादव का पुत्र कामता यादव, रामेश्वर यादव का पुत्र बलराम यादव,राजकुमार प्रजापति का पुत्र मुन्ना कुमार, शिवनारायण साव का पुत्र यमुना साव, शंकर प्रसाद गुप्ता का पुत्र अनिल गुप्ता, रामनंदन यादव की पत्नी मनिया देवी, दुखन यादव,भगवान दास, कुंति कुमारी, मुन्नी कुमारी, मुन्नी देवी, कुंवर यादव की मौत हुई है.प्रशासन को जनवरी तक का वक्त ,नहीं तो आंदोलन ओरा पंचायत के मुखिया अनिल कुमार ने बताया कि एक साल के भीतर 28 लोगों की मौत हुई है. ओरा में लगातार सड़क दुर्घटना की घटना हो रही है. बीते आठ नवंबर को एकही परिवार के चार मासूमों की मौत हो गयी थी. एक महिला भी मौत का शिकार हुयी थी. आये दिन हो रहे दुर्घटना को अंडर पास या ओवरब्रिज से रोका जा सकता है. ओरा गांव के विद्यालय के पास अंडर पास के जरूरतों को देख कर जिलाधिकारी को जन सुरक्षा संघर्ष समिति के माध्यम से जानकारी दी है, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई. अब आंदोलन ही एक मात्र रास्ता बचा है. आखिर कब तक लोगों की जान जाती रहेगी. नये वर्ष के जनवरी माह तक अगर ग्रामीणों की मांग नहीं मानी गयी तो सिक्सलेन के कार्य को बंद करा दिया जायेगा और ग्रामीण अनिश्चितकालीन आंदोलन करेंगे. लगभग 300 घर शौचालय विहीनलगभग पांच हजार की आबादी वाले ओरा गांव में 300 परिवार ऐसे है ,जिनके घर में शौचालय नहीं है और वे सड़क पर ही शौच करने को मजबूर है. शौचालय विहीन लोगों का कहना है कि उनके पास इतनी रकम नहीं की शौचालय का निर्माण करा सके.लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग से शौचालय का लाभ मिलता भी है तो निर्माण के बाद पैसे का भुगतान करने की बात कही जाती है. निर्माण कार्य पूरा होने के बाद भी पैसे के लिये दौड़ लगानी पड़ती है और अंत में पुराना होने का हवाला देकर पैसे भी रोक दी जाती है. मुखिया अनिल कुमार कहते है कि 300 परिवार के अलावे अधिकांश लोगों ने अपना शौचालय बनवा लिया है. चार लाख 80 हजार रूपये शौचालय निर्माण के लिये पंचायत को मिला था. जिसकी राशि आनंदपुरा,अजरकबे हसौली और यारी गांव में समाप्त हो गया है. क्या कहते है पदाधिकारीसदर अनुमंडल पदाधिकारी सुरेंद्र प्रसाद ने कहा कि एसडीपीओ के साथ ग्रामीणों से दो-चार दिनों के भीतर वार्ता की जायेगी. उनकी जरूरतों को पूरा कराने का हर प्रयास किया जायेगा. ग्रामीणों से वार्ता के बाद ही वरीय अधिकारी को मामले से अवगत करायेंगे और फिर सरकार को लिखा जायेगा. एसडीओ ने यह भी कहा कि लोगों को स्वयं भी सावधान रहना चाहिए. जिंदगी अनमोल है और उस पर ध्यान रखना होगा.
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