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शहर में बिना लाइसेंस के ऑटो चला रहे अनट्रेंड चालक

शहर में बिना लाइसेंस के ऑटो चला रहे अनट्रेंड चालक यातायात व्यवस्था पर पड़ रहा असरसड़कों पर कम उम्र के बच्चे भी अक्सर दिखते हैं वाहन चलातेजांच के नाम पर होती केवल खानापूर्ति (लीड) फोटो नंबर-28,29,30,परिचय-ऑटो चलाता कम उम्र का युवक ,स्कूटी पर मासूम जिंदगी,वाहन जांच करती पुलिसऔरंगाबाद,(ग्रामीण).औरंगाबाद शहर की यातायात व्यवस्था ठीक नहीं रहने […]

शहर में बिना लाइसेंस के ऑटो चला रहे अनट्रेंड चालक यातायात व्यवस्था पर पड़ रहा असरसड़कों पर कम उम्र के बच्चे भी अक्सर दिखते हैं वाहन चलातेजांच के नाम पर होती केवल खानापूर्ति (लीड) फोटो नंबर-28,29,30,परिचय-ऑटो चलाता कम उम्र का युवक ,स्कूटी पर मासूम जिंदगी,वाहन जांच करती पुलिसऔरंगाबाद,(ग्रामीण).औरंगाबाद शहर की यातायात व्यवस्था ठीक नहीं रहने से हर दिन लोगों को परेशानी हो रही है. इसके पीछे पुरानी जीटी रोड पर आये दिन लगनेवाला जाम कारण होता है. आम लोग व पुलिस प्रशासन का मानना है कि सड़क जाम के पीछे अतिक्रमण जिम्मेवार हैं. लेकिन आम लोगों को और प्रशासन के पदाधिकारियों को सड़कों पर फर्राटे भरते कम उम्र के अप्रशिक्षित चालकों पर नजर नहीं पड़ती है. सच कहा जाये तो यातायात व्यवस्था की धज्जियां उड़ाते ऐसे चालकों पर परिवहन विभाग व पुलिस की नजर भी नहीं पड़ती है. शहर में लगभग एक हजार ऑटो का परिचालन हो रहा है. लगभग 200 से ऊपर ऑटो चलाने की जिम्मेवारी 18 वर्ष से कम उम्र के युवक संभाल रहे हैं, जिन्हें यातायात व्यवस्था की जरा सी भी जानकारी नहीं है. जिनकी उम्र अभी पढ़ने की है वे वाहन चला कर अभी से ही अपनी जिम्मेवारी को दर्शाने लगे हैं. इसके पीछे परिवार की हामी व गरीबी भी एक कारण है. ताज्जुब की बात तो यह है कि शहर में बगैर लाइसेंस के ऑटो चला रहे ऐसे चालकों पर कार्रवाई भी नहीं हो रही है. जबकि हर दूसरे-तीसरे दिन शहर में जांच अभियान परिवहन विभाग द्वारा पुलिस के सहयोग से चलाया जाता है. ऑटो के साथ-साथ दोपहिये वाहन की सवारी भी कम उम्र के युवकों को भा रही है. बगैर हेलमेट, जूते, हैंड गल्बस के फर्राटे भरते हुए कभी भी उन्हें देखा जा सकता है. यही नहीं अपने साथ तीन से चार युवाओं को बैठा कर सवारी भी करते दिखते हैं. पुलिस भी उन्हें बच्चा मानकर छोड़ देती है. सवाल यह उठता है कि आखिर कम उम्र के युवाओं को सबक कौन सिखायेगा. सोमवार की सुबह नगर थाने के समीप पुलिस जांच कर रही थी. दर्जनों बाइक चालकों के कागजात की जांच की गयी. एक भी व्यक्ति के पास वाहन की पूरी कागजात नहीं थी. कम उम्र के युवा भी जांच में पकड़े गये. हालांकि, उन्हें कागजात की जांच में सही नहीं पाये जाने के बाद जुर्माना कर छोड़ दिया गया, लेकिन परिवहन विभाग व पुलिस से जुर्माने के बाद छुटे युवाओं के चेहरे व उनकी उम्र पर किसी की नजर नहीं पड़ी. रूट निर्धारण की घोषणा साबित हुई हवा-हवाई शहर में ऑटो की बढ़ती संख्या से शहरी यातायात पर बुरा असर डाल रहा है. हालांकि, आम लोगों की सुविधा सरल हुई है. लेकिन ऑटो की संख्या शहर के लोगों के लिए सिरदर्द साबित हो रहा है. एक ही रूट में अधिकतर ऑटो का परिचालन होना कहीं न कहीं चिंता का कारण है. तीन वर्ष पहले एक चलती ऑटो में युवती के साथ छेड़छाड़ की घटना के बाद प्रशासनिक पदाधिकारियों ने ऑटो चालकों पर शिकंजा कसने के लिए एक योजना बनायी थी. तत्कालीन अनुमंडल पदाधिकारी केडी प्रौज्जवल ने ऑटो संघ के अध्यक्ष, सचिव व ऑटो चालकों के साथ रूट का निर्धारण किया था. नावाडीह, दानी बिगहा, रामाबांध सहित अन्य जगहों पर जाने के लिए अलग-अलग रूट के साथ ऑटो को चिह्नित किया गया था. स्पष्ट निर्देश दिया गया था कि ऑटो पर वाहन मालिक का नाम व नंबर के साथ रूट की जानकारी अंकित करना है. ऑटो चालकों के लिए ड्रेस कोड भी लागू किया गया था, लेकिन समय के साथ परिवर्तन नहीं हुआ. प्रशासन के रूट निर्धारण व ड्रेस कोड की घोषणा हवा-हवाई साबित हुई. अब देखना यह है कि प्रशासन की नींद कब खुलती है.—————- ”’औरंगाबाद मोटरयान निरीक्षक रंजीत कुमार ने इस मसले पर कहा कि लगभग 10 हजार लाइसेंस कार्यालय से दिये गये है. जांच अभियान चला कर कम उम्र के अप्रशिक्षित युवकों पर जुर्माना भी लगाया जाता है. विभाग की नजर ऐसे युवकों पर हमेशा रहती है. दोपिहये व चारपहिये वाहनों की हमेशा जांच की जाती है,ताकि कागजात की जांच की सके.

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