रामायण में मां दुर्गा के सातवें स्वरूप का है जिक्र
औरंगाबाद (ग्रामीण) : रावण के आतंक पर राम की विजय को विजयादशमी कहा जाता है. वैसे विजयादशमी के बारे में कई कथाएं प्रचलित हैं. लेकिन, यह त्योहार मुख्य रूप से भगवान राम द्वारा रावण पर विजय के उपलक्ष्य में मनाया जाता है.
विजयदशमी के पूर्व ही आदि शक्ति दुर्गा के त्योहार नवरात्र के रूप में सभी हिंदू मतावलंबी मनाते हैं.
इसके मूल में यह भी कहा जाता है कि अश्विनी मास में लंकाधिपति रावण को मारने के पूर्व भगवान राम ने अपनी जीत के लिए और शत्रु रावण को परास्त करने के लिए दुर्गा जी के ‘काली’ स्वरूप की आराधना की थी. उसी समय से नवरात्र मनाने की परंपरा चल पड़ी. रावण के बारे में रामायण में बहुत कुछ लिखा है. मूल रामायण वाल्मीकि ने लिखी थी, उसके बाद कई रामायण लिखे गये. सभी रामायण में राम–रावण की लड़ाई की दास्तान है.
तुलसीदास कृत रामायण तो राम–रावण के युद्ध के वर्णन सहित पूरे ‘रावणी माहौल’ को लिख कर उस एक अध्याय (कांड) का नाम ही ‘लंका कांड’ कर दिया. इस लंका कांड में राम–रावण के युद्ध का वर्णन है.
प्राप्त होता है आशीर्वाद
वैसे तो ईश्वर का आशीर्वाद हम पर सदा ही बना रहता है, किंतु कुछ विशेष अवसरों पर उनके प्रेम, कृपा का लाभ हमें अधिक मिलता है. ऐसे अवसरों को ही पावन पर्व कहा जाता है. पावन पर्व नवरात्र में देवी दुर्गा की कृपा, सृष्टि की सभी रचनाओं पर समान रूप से बरसती है.
इसके परिणामस्वरूप ही मनुष्यों को लोक मंगल के क्रिया–कलापों में आत्मिक आनंद की अनुभूति होती है. हमारे ऋषि–मुनियों ने भी इस पर्व में साधना के महत्व पर बल दिया है, इसलिए नवरात्र में आध्यात्मिक तप अवश्य करना चाहिए.