औरंगाबाद (ग्रामीण) : भाई–बहन के बीच अटूट प्रेम का प्रतीक रक्षा बंधन जिले भर में उल्लास के साथ मनाया गया. बहनों ने भाइयों की कलाई पर रेश्मी धागों के रूप में प्रेम का बंधन बांध उनके लंबी उम्र की कामना की. भाइयों ने हर संकट में बहनों का साथ निभाने का वादा किया.
गौरतलब हो कि मंगलवार की रात आठ बजे बाद से पूर्णिमा शुरू हो जाने के कारण कई स्थानों पर रात में भी राखी बांधने का दौर शुरू हो गया. यह कार्यक्रम बुधवार को पूरे दिन भर चला.
रक्षाबंधन का पौराणिक महत्व
पौराणिक कथाओं के अनुसार द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण ने अत्याचारी शिशुपाल का वध किया था. इस युद्ध में श्रीकृष्ण को चोट आयी थी. तब द्रोपदी ने इनके हाथ में खून बहता देख अपने साड़ी को फाड़ कर उसकी पट्टी कृष्ण की कलाई में बांधी थी. भगवान श्रीकृष्ण ने द्रोपदी के हृदय प्रेम व रक्षा का भाव देख कर उसी दिन से उन्हें बहन के रूप में मानने लगे और रक्षा करने का वचन दिया था.
कैदियों को बांधी राखी
बुधवार की सुबह प्रजापिता ब्रह्मकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय की बहनों ने मंडल कारा में कैदियों और अधिकारियों को राखी बांधी. इस दौरान कई कैदी रो पड़े. माहौल ऐसा था कि बड़ा से बड़ा खूंखार कैदी भी बहनों के सामने अपने आप को असहज महसूस कर रहा था.
मंडल कारा में बंद उमाकांत दूबे, विकास कुमार, पिनू पांडेय, संतन सिंह, पिंटू कुमार, राजेश कुमार सहित कई कैदियों को रक्षा सूत्र में बंधना पड़ा. जेलर लाल बाबू सिंह से यह कार्य प्रारंभ हुआ. बहनों ने बारी–बारी से सभी लोगों को तिलक लगा कर राखी बांधी. फिर उन्हें मिठाई खिलाते हुए कोई भी गैर कानूनी कार्य नहीं करने का वादा दिलाया साथ ही ईश्वर के प्रति आस्था रखने की बात कही.
राखी बांधने वालों में सविता बहन, संगीता बहन उपस्थित थीं. जेल प्रशासन द्वारा भी रक्षा बंधन के अवसर पर जेल में बंद कैदियों को राखी बांधने की छूट दी थी. शहर के अन्य स्थानों पर भी इस विश्वविद्यालय से जुड़ी बहनों ने भाई और बहनों की कलाई पर राखी बांध कर ईश्वर से उनकी लंबी उम्र की कामना की और रक्षा बंधन के महत्व पर प्रकाश डाला.
मदनपुर प्रतिनिधि के अनुसार, पूरे प्रखंड में रक्षा बंधन का त्योहार हर्षोल्लास के साथ मनाया गया. बहनों ने भाइयों की कलाई पर रेशम की डोर में प्यार का बंधन बांध कर रक्षा का बंधन लिया.