औरंगाबाद नगर : एक सितंबर से पूरे देश में लागू हुए संशोधित सख्त यातायात नियमों की जिले के बस व ऑटो चालक अनदेखी कर खुलेआम यात्रियों की जान से खिलवाड़ कर रहे हैं. जिला परिवहन विभाग या यातायात पुलिस ऐसे वाहनों के खिलाफ कार्रवाई करने की जहमत नहीं उठा रहे हैं. बस मालिकों पर कार्रवाई नहीं करना कई सवाल खड़े कर रहा है.
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नियम विरुद्ध चलनेवाले वाहनों पर हो कार्रवाई
औरंगाबाद नगर : एक सितंबर से पूरे देश में लागू हुए संशोधित सख्त यातायात नियमों की जिले के बस व ऑटो चालक अनदेखी कर खुलेआम यात्रियों की जान से खिलवाड़ कर रहे हैं. जिला परिवहन विभाग या यातायात पुलिस ऐसे वाहनों के खिलाफ कार्रवाई करने की जहमत नहीं उठा रहे हैं. बस मालिकों पर कार्रवाई […]
बदले यातायात के सख्त नियमों में बसों में क्षमता से अधिक यात्री बैठाने पर प्रत्येक सवारी एक हजार रुपये जुमाने का प्रावधान है. बावजूद इसके अभी तक बस स्टैंड से खुलने वाली डेहरी, दाउदनगर, गोह व गया की बसों की छतों पर यात्रियों को बैठ कर यात्रा करते हमेशा देखा जा सकता है.
ओवरलोड पर कार्रवाई की सख्त जरूरत : जिला मुख्यालय से विभिन्न मार्गों पर चलने वाले लगभग सभी यात्री वाहनों का संचालन ओवरलोड के बाद ही होता है. आठ सीट वाले ऑटो पर 12-14 लोगों को बिठाया जाता है. जबकि, 42 सीट वाली बस में 60 से 70 यात्रियों को बैठाया जाता है. ऑटो, टाटा 407, बस, सिटी राइड सहित अन्य वाहनों पर यात्रियों को भेड़-बकरियों की तरह लाद दिया जाता है. बावजूद परिवहन विभाग इन पर कोई कार्रवाई नहीं करता है.
महिला यात्रियों की होती है फजीहत
महिला यात्रियों के लिए सीटें रिजर्व होती है, लेकिन जिले से परिचालित हो रही लगभग बसों में इस नियम की अनदेखी हो रही है. बस संचालक अपनी आमदनी के हिसाब से सीटों की प्राथमिकता तय करते हैं.
कई बसों में भी महिला सीटों पर पुरुषों को स्थान दे दिया जाता है. इस संबंध में पूछे जाने पर डीटीओ अनिल कुमार सिन्हा ने कहा कि अभियान चलाया जा रहा है. यदि ऐसा है तो अभियान चलाकर जांच की जायेगी. पकड़े जाने पर कार्रवाई की जायेगी. बसों व अन्य यात्री वाहनों को हर हाल में नियम का अनुपालन करना होगा.
बसों में सुरक्षा मानकों की उड़ रहीं धज्जियां
मोटरयान अधिनियम 1988 व समय-समय पर यात्रियों की सुरक्षा के लिए बने मानकों की पूरी तरह अनदेखी हो रही है. जिले में चलनेवाले लगभग सभी यात्री वाहनों में न्यूनतम सुरक्षा के उपाय भी उपलब्ध नहीं है. विभाग द्वारा जारी निर्देश के अनुसार, इन यात्री वाहनों में प्राथमिक चिकित्सा के लिए फस्ट एड बॉक्स होना चाहिए, जिससे किसी दुर्घटना होने पर यात्रियों को प्राथमिक उपचार मिल सके. आगजनी से बचाव के लिए अग्निशमन यंत्र होना जरूरी है.
लेकिन, जिले के सभी यात्री वाहनों में ये साधन नदारद देखे गये हैं. बसों में आपातकालीन खिड़कियों की हालत बदतर रहती है. लगभग सभी वाहनों में लगे आपातकालीन खिड़कियों के शीशे जाम रहते हैं. किराया सूची के सार्वजनिक नहीं होने से नये यात्रियों से अधिक भाड़ा वसूला जाता है. बावजूद परिवहन विभाग यात्री वाहनों में किराया-सूची लगवाने को लेकर उदासीन रवैया अपनाता है.
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