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औरंगाबाद नगर : अल्ट्रासाउंड नहीं चलाने पर दो चिकित्सकों से शो-कॉज
औरंगाबाद नगर : सरकारी अस्पतालों में आने वाले मरीजों को सभी प्रकार की सुविधा उपलब्ध कराने के लिए एक तरफ सरकार ने करोड़ों रुपये खर्च कर रही है. साथ ही साथ सरकार की सोच है कि मरीजों को एक कैंपस में ही जांच से लेकर इलाज तक की सुविधा मिल सके. लेकिन, जिनके कंधों पर […]
औरंगाबाद नगर : सरकारी अस्पतालों में आने वाले मरीजों को सभी प्रकार की सुविधा उपलब्ध कराने के लिए एक तरफ सरकार ने करोड़ों रुपये खर्च कर रही है. साथ ही साथ सरकार की सोच है कि मरीजों को एक कैंपस में ही जांच से लेकर इलाज तक की सुविधा मिल सके. लेकिन, जिनके कंधों पर जिम्मेदारी सौंपी गयी है वे ही लापरवाह बने हुए है. ऐसे में मरीजों को जो लाभ मिलना चाहिए, वह नहीं मिल पा रहा है. ऐसा ही एक मामला सदर अस्पताल से जुड़ा हुआ है. पिछले महीने सदर अस्पताल में लाखों रुपये की लागत से अल्ट्रासाउंड मशीन की खरीदारी की गयी थी.
गर्भवती महिलाओं को समय-समय पर जांच करने के लिए विभाग द्वारा कहा गया था. इसके लिए स्वास्थ्य विभाग के तत्कालीन सिविल सर्जन डॉ सुरेंद्र प्रसाद ने दो महिला चिकित्सक डॉ लालसा सिन्हा व डॉ निर्मला कुमारी को अल्ट्रासाउंड करने की जिम्मेदारी दी थी. लेकिन, दोनों की लापरवाही के कारण यह सुविधा फिलहाल ठप है. मरीज इस सेवा से वंचित हैं.
उद्घाटन के एक से दो दिनों तक ही गर्भवती महिलाओं का अल्ट्रासाउंड किया गया था. इसके बाद यह सेवा बंद हो गयी. जब नये सिविल सर्जन के रूप में डॉ अकरम अली ने जिले में योगदान दिया, तो उन्हें दिखाने के लिए एक दिन अल्ट्रासाउंड की सुविधा शुरू की गयी थी. इसका लाभ मरीजों को मिला. लेकिन, फिर पुन: अल्ट्रासाउंड सुविधा ठप हो गयी.
जब इसकी सूचना सिविल सर्जन को मिली तो वह नाराज हो गये. फिर क्या था. सिविल सर्जन डॉ अकरम अली ने कार्रवाई के लिए कदम उठाते हुए दोनों महिला चिकित्सकों से स्पष्टीकरण पूछा है. इधर, सिविल सर्जन द्वारा पूछे गये स्पष्टीकरण से अन्य चिकित्सकों में दहशत व्याप्त हो गया है. गौरतलब है कि सदर अस्पताल में प्रत्येक दिन 150 से 200 महिला मरीज इलाज कराने के लिए जिले के कोने-कोने से पहुंचती हैं.
सिविल सर्जन ने तीन दिन के अंदर मांगा जवाब
सिविल सर्जन ने दोनों महिला चिकित्सक डॉ लालसा सिन्हा व डॉ निर्मला कुमारी से स्पष्टीकरण पूछते हुए तीन दिनों के अंदर जवाब मांगा है. सिविल सर्जन ने कहा कि यदि संतोषजनक जवाब नहीं दिया जाता है तो अनुशासनिक कार्रवाई करने की दिशा में पहल की जायेगी. विभाग को इसके लिए अनुशंसा की जायेगी.
जो सेवाएं मरीजों को देने के लिए लागू की गयी है उसका लाभ उन्हें मिलना चाहिए. यदि किसी डॉक्टर या कर्मी की लापरवाही से मरीज किसी सुविधा से वंचित हैं तो यह कतई बर्दाश्त नहीं किया जायेगा. कड़ी कार्रवाई की जायेगी.
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