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न खराब लाइटें ठीक होतीं, न साफ-सफाई, कहने पर नियम के अनुरूप नहीं निकलती निविदा भी

औरंगाबाद : शहर में खराब लाइटें ठीक नहीं होती. लाखों खर्च के बावजूद गली-मुहल्लों की साफ-सफाई नहीं होती. यहां तक कि नियम के अनुरूप निविदा भी नहीं कराया जाता है. यह हाल नगर पर्षद का है. यही नहीं नगर पर्षद में व्यापक रूप से भ्रष्टाचार कायम है. यह आरोप पूर्व अध्यक्ष सह वार्ड 11 की […]

औरंगाबाद : शहर में खराब लाइटें ठीक नहीं होती. लाखों खर्च के बावजूद गली-मुहल्लों की साफ-सफाई नहीं होती. यहां तक कि नियम के अनुरूप निविदा भी नहीं कराया जाता है. यह हाल नगर पर्षद का है. यही नहीं नगर पर्षद में व्यापक रूप से भ्रष्टाचार कायम है. यह आरोप पूर्व अध्यक्ष सह वार्ड 11 की पार्षद संगीता सिंह ने नगर पर्षद के पदाधिकारियों पर लगाया है.

संगीता सिंह ने नगर पर्षद में व्याप्त भ्रष्टाचार से आहत होकर निविदा समिति सदस्य पद से त्याग पत्र दे दिया है. उक्त पद से इस्तीफा देने के बाद सोमवार को उन्होंने नगर पर्षद के कार्यपालक पदाधिकारी डॉ अमित कुमार को त्याग पत्र सौंप दिया है. उन्होंने पत्र में कहा है कि नगर पर्षद में अब तक जो भी टेंडर हुआ है, वह नियमित प्रक्रिया के तहत नहीं किया गया है.
बार-बार मौखिक रूप से पीडब्ल्यू कोड के अनुसार निविदा कराने के लिए कहती रहीं, लेकिन उस पर कोई विचार नहीं किया गया. यहां तक कि अपने चहेतों को निविदा में प्राथमिकता दी गयी. उन्होंने त्याग पत्र के माध्यम से नगर पर्षद की पूरी कार्यशैली पर सवाल उठाते हुए कई गंभीर आरोप लगाया है. वैसे पूर्व अध्यक्ष सह वार्ड पार्षद के इस्तीफा देने के बाद यह मामला सुर्खियों में है. शहर में यही चर्चा का विषय बना हुआ है.
सुधार नहीं हुआ, तो होगा आंदोलन
पार्षद संगीता सिंह ने कहा कि उक्त मुद्दों से आहत होकर निविदा समिति सदस्य से उन्होंने त्याग पत्र दिया है. यदि उक्त बिंदुओं पर जल्द सुधार नहीं होता है तो नगर पर्षद के खिलाफ आंदोलन का शंखनाद करते हुए नगर पर्षद के समाने धरना दिया जायेगा.
कम से कम मेन रोड से आवारा पशुओं को हटा देते
संगीता सिंह ने कहा कि कहते-कहते थक गयी, लेकिन मांगों पर अमल तक नहीं हुआ. पिछले छह महीने से शहर की लाइटें बंद है. मरम्मत नहीं करायी गयी. शहरवासियों के लिए परेशानी के सबब बने आवारा पशुओं को हटाने के लिए कहा, लेकिन उसे भी नहीं हटाया. जबकि आवारा पशुओं के कारण लोग दुर्घटना के शिकार हो रहे हैं. शायद विरोधी मानकर जनसरोकार के कामों को भी नहीं किया. कम से कम मेन रोड से आवारा पशुओं को हटा देते, ताकि लोगों को परेशानी नहीं झेलनी पड़ती.
मूल काम साफ-सफाई के मामले में भी फेल
आरोप लगाते हुए कहा कि नगर पर्षद का मूल काम शहर की साफ-सफाई है. लेकिन, इसमें भी नगर पर्षद फेल है. हर महीने सरकार का लगभग 17 लाख रुपए सफाई पर खर्च होता है.
बावजूद शहर में कहीं भी सफाई नहीं दिखती. जगह-जगह कूड़े का अंबार लगा रहता है और गंदगी फैली रहती है. वार्ड पार्षद संगीता सिंह ने कहा कि कुछ पार्षद सफाई करने वाली एजेंसी को अपनी जेब में रखते हैं. अपने घरों के आसपास व मुहल्लों में अधिक सफाई करवाते हैं. आम लोगों के लिए कोई योजना नहीं है.
न नक्शे के अनुसार घर बनता, न ही अतिक्रमण से मिली मुक्ति
उन्होंने कहा कि शहर में नक्शा के अनुसार घर भी नहीं बन रहा है. नियम के अनुसार नक्शा पहले पास होना चाहिए. लेकिन घर पहले बन रहा है, बाद में नक्शा पास होता है. वह भी मशक्कत के बाद. शहर में अतिक्रमण की समस्या भी गंभीर बनी है. इसे हटाने के लिए कोई कार्य नहीं किया जा रहा है. जबकि बोर्ड की बैठक में इस मुद्दे को हमेशा उठाया जाता है. फिर भी ध्यान नहीं दिया जाता.

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