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हर साल डायरिया से होनेवाली बच्चों की मौत में आयेगी कमी

औरंगाबाद सदर : डायरिया बच्चों में मृत्यु का एक सामान्य कारण है. देश में कुल मृत्यु का 10 प्रतिशत पांच साल तक के बच्चों की मौत डायरिया से ही होती है. डायरिया से ग्रसित बच्चे बौनापन, सूखापन के शिकार हो जाते हैं. हर वर्ष देश में 32 लाख 70 हजार बच्चे डायरिया से ग्रसित होते […]

औरंगाबाद सदर : डायरिया बच्चों में मृत्यु का एक सामान्य कारण है. देश में कुल मृत्यु का 10 प्रतिशत पांच साल तक के बच्चों की मौत डायरिया से ही होती है. डायरिया से ग्रसित बच्चे बौनापन, सूखापन के शिकार हो जाते हैं. हर वर्ष देश में 32 लाख 70 हजार बच्चे डायरिया से ग्रसित होते हैं. इनमें से आठ लाख 72 हजार बच्चों को अस्पताल में भर्ती कराया जाता है और आखिर में 78 हजार बच्चों की मृत्यु हो जाती है.

यह बातें सिविल सर्जन डॉ सुरेंद्र प्रसाद सिंह ने सदर अस्पताल में प्रेसवार्ता में कहीं. उन्होंने बताया कि डायरिया से बचाव का नया टीकाकरण अब आ गया है, जिसे रोटा वायरस वैक्सीन कहा जाता है. यह रोटा वायरस वैक्सीन डायरिया से बच्चों को प्रतिरक्षित करेगा. रोटावायरस वैक्सीन को नियमित टीकाकरण में शामिल किया गया है. तीन जुलाई से जिले के सभी पांच साल तक के बच्चों को स्वास्थ्य केंद्र व आंगनबाड़ी केंद्रों पर टीका लगाया जायेगा.
जिला स्तर पर कार्यशाला का आयोजन कर आशा व एएनएम को प्रशिक्षित किया गया है. आशा अपने-अपने क्षेत्र में बच्चों को टीका लगायेंगी. डीएम टीकाकरण का उदघाटन करेंगे. प्रेसवार्ता में डीपीएम कुमार मनोज, डीसीएम उपेंद्र कुमार चौबे, एसएमसी कामरान खान, डॉ नवल किशोर सिंह, डॉ मिथिलेश सिंह आदि मौजूद थे.
11 राज्यों में चल रहा टीकाकरण
सिविल सर्जन डॉ सुरेंद्र प्रसाद सिंह ने बताया कि भारत एशिया का पहला देश है, जहां 2016 में अंतरराष्ट्रीय नियमित टीकाकरण में रोटावायरस वैक्सीन को शामिल किया गया है. देश के 11 राज्यों में सफलतापूर्वक यह टीकाकरण चल रहा है. इसमें भारत सरकार को डब्ल्यूएचओ, यूनिसेफ, यूएनडीपी, जेएसआई, आईटीएसयू जैसी संस्था सहयोग कर रही है.
पांच बूंद बच्चों के लिए साबित होगी अमृत
हर बच्चों को पांच बूंद की खुराक दी जायेगी. हर बच्चे को तीन बार टीका लगाया जायेगा. रोटा वायरस पांच बूंद बच्चों के लिए अमृत साबित होगी. इस टीकाकरण के बाद डायरिया से हर साल होने वाली बच्चों की मौत रुकेगी और मृत्यु दर में कमी आयेगी.
सिविल सर्जन ने कहा कि वायरल बीमारी का कोई इलाज नहीं है. टीकाकरण व पानी की पर्याप्त मात्र से बच्चों की जान बचेगी. अगर बच्चा नियमित अंतराल पर पेशाब करता है तो ये इस बात का प्रतीक है उसमें पानी का लेबल ठीक है और वे खतरे से बाहर है.
24 से ही चल रहा सघन दस्त नियंत्रण पखवारा
औरंगाबाद जिले में 24 जून से पांच जुलाई तक सघन दस्त नियंत्रण पखवारा चल रहा है. जिस घर में पांच साल तक के बच्चे है वहां आशा, एएनएम जाकर ओआरएस का पैकेट दे रही है. अगर बच्चा दस्त से प्रभावित है, तो उसे ओआरएस के पैकेट के साथ जिंक की गोली देनी है.
जिले के कुल 2337 गांवों में तीन लाख 82 हजार 494 बच्चों के बीच ओआरएस का पैकेट वितरण जायेगा. इसके लिए सभी प्रखंडों में 331 ओआरएस कार्नर खोला गया है. मलिन बस्तियों में 104 मोबाइल टीम ओआरएस का वितरण करेंगी.

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