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महानंदा नदी उफनाई, गांवों में घुसा पानी

परेशानी . तिस्ता बराज से पानी छोड़े जाने के बाद बढ़ा नदियों का जलस्तर, फसल बरबाद बाढ़ का पानी घर में घुस जाने के कारण लोगों का अनाज सहित घर के अन्य सामान बरबाद हो गये. प्रखंड के बड़ा पासेखर आदिवासी टोला, मुसलिम टोला तथा महादलित टोला में ज्यादा नुकसान हुआ है. छत्तरगाछ : स्ता […]

परेशानी . तिस्ता बराज से पानी छोड़े जाने के बाद बढ़ा नदियों का जलस्तर, फसल बरबाद

बाढ़ का पानी घर में घुस जाने के कारण लोगों का अनाज सहित घर के अन्य सामान बरबाद हो गये. प्रखंड के बड़ा पासेखर आदिवासी टोला, मुसलिम टोला तथा महादलित टोला में ज्यादा नुकसान हुआ है.
छत्तरगाछ : स्ता बराज से पानी छोड़े जाने तथा रात को अधिक वर्षा होने के कारण बुधवार को महानंदा नदी का जल स्तर अचानक बढ़ जाने से प्रखंड के फाला पंचायत के बड़ा पोखर आदिवासी टोला, महादलित टोला, मुससुम टोला तथा कस्बाकलियागंज के बालबबाड़ी, कलियागंज मध्य विद्यालय तथा गौरीहाट के दर्जनों परिवार एक बार फिर बाढ़ की चपेट में आ गया है़ घरों में बाढ़ का पानी घुस जाने से लोगों का अनाज सहित अन्य सामान बरबाद हो गया है़
इधर, बाढ़ की सूचना पाकर बीडीओ संदीप कुमार पांडे, सीओ समीर कुमार, आपदा प्रबंधक प्रभारी रामाशंकर, एडीएम रामजी साह, डीपीआरओ सत्य नारायण मंडल तथा किशनगंज बीडीओ ओम प्रकाश ने मौके पर पहुंच कर बाढ़ प्रभावित गांवों का जायजा लिया़ प्राप्त जानकारी के अनुसार बड़ा पासेखर आदिवासी टोला, मुसलिम टोला तथा महादलित टोला में बाढ़ से व्यापक क्षति का नजारा देखने को मिल रही है़ गांव वालों को मुख्य सड़क से जोड़ने वाली सड़क इस बार पूरी तरह कट चुकी है़ मौके पर ग्रामीणों ने बताया कि लगभग 75 एकड़ धान की फसल बाढ़ की चपेट में आ गयी है,
जबकि गत 23 जुलाई को आयी भीषण बाढ़ में गांव वालों का दर्जनों एकड़ फसल खेतों में बालू भर जाने से बरबाद हो गयी थी. अभी तक उन पीड़ित लोगों को न फसल क्षति मुआवजा मिला और न ही बाढ़ राहत अनुदान राशि मिल पायी है़ बाढ़ पीड़ितों ने बताया कि गांव में 350 परिवारों को सर्वेक्षण कर प्रतिनियुक्त कर्मचारी द्वारा चिह्नित किया गया था़ जिसका अब तक महज 74 परिवारों को ही बाढ़ राहत अनुदान राशि मिल पायी है जो प्रखंड प्रशासन की उदासीनता को दर्शाता है़ वहीं भाजपा नेता सह समाजसेवी नीरंजन राय, मदन पांडे ने बाढ़ प्रभावित गांव का जायजा लेने के दौरान कहा कि गत जुलाई माह को आयी बाढ़ में प्रखंड क्षेत्र में सबसे ज्यादा क्षति बड़ा पासेखर गांव में हुआ था तथा ग्रामीणों का दर्जनों एकड़ खेती योग्य भूमि रेत का खेत बन कर रह गया है
जो बची-खुची धान की फसल खेत में लगी थी वह भी आज बरबाद हो गयी है़ भाजपा नेता ने कहा कि प्रखंड प्रशासन जल्द से जल्द बाढ़ पीड़ितों को बाढ़ राहत अनुदान राशि तथा फसल क्षति मुआवजा नहीं दिया तो हम लोग आंदोलन करने को बाध्य हो जायेंगे़ तैयबपुर केंद्रीय जलायोग के कुशल सहायक मोहन लाल उरांव ने बताया कि तिस्ता बराज से 40 प्वाइंट पानी छोड़े जाने तथा रात को अधिक वर्षा होने से महानंदा नदी का जल स्तर में वृद्धि हुई है़ उन्होंने कहा कि तीन बजे तक महानंदा का जल स्तर खतरे के निशान से सात सेमी ऊपर बह रहा था़ हालांकि देर शाम तक महानंदा नदी का जल स्तर घटने से लोगों ने राहत की सांस ली़
बलिया गांव कटाव की चपेट में, दहशत में रतजगा कर रहे लोग
कोचाधामन प्रतिनिधि के अनुसार विगत कई दिनों से हो रही बारिश से जहां प्रखंड क्षेत्र के विभिन्न नदियों में जल स्तर की वृद्धि से नदी तट पर बसे लोगों की नींद हराम हो गयी है. वहीं धीरे-धीरे जल स्तर में गिरावट से नदी के तेज धार के तेवर में बदलाव से भीषण कटाव जारी है़ बताते चलें कि बीते पांच दशक से कटाव का दंश झेल रहे प्रखंड के बलिया गांव वासी आज भी दहशत में जीवन जी रहे है़ उन्हें अब भी डर सता रहा है कि न जाने किस घड़ी पुन: पूरा गांव नदी के गर्भ में समा जाये़ ग्रामीण राम प्रसाद यादव, ज्योतिष कर्मकार, महेश लाल यादव, मो फारूक, चैतु मिया,
सालेहा खातून, मो नजीर, हाजी सलीमउद्दीन, हाजी मो हसनैन, अब्दुल कैयुम व अन्य पीड़ित परिवार के लोगों ने बताया कि 70 के दशक से पहले उक्त गांव विभिन्न जातियों का सुसंगठित व संपन्न गांव था़ अधिकतर किसान थे परंतु कनकई नदी के कहर ने आज इन किसान परिवार को मजदूरी करने पर मजबूर कर दिया़ परिवार का भरण पोषण के लिए आज उन्हें अन्य राज्यों में मजदूरी करना पड़ रहा है़ क्येांकि कटाव का तांडव ऐसा हुआ कि सभी बेघर होकर विस्थापित का जीवन जीने लगे़ गांव का अस्तित्व समाप्त हो गया़ ढाई सौ एकड़ उपजाऊ जमीन नदी के गर्भ में समा गया़. बहरहाल, जैसे-तैसे लोग जीवन जीने लगे़
बात वर्तमान की पांच दशक पूर्व कलिया निवासी जो कटाव का दंश झेल कर अब संभलने वाली ही हूं कि कनकई नदी ने फिर अपना तेवर बदल कर पूरे गांव को अपने ग्रास बनाने पर तुले हुए है़ हाल के कटाव ने कई परिवार के घरों को अपने गर्भ में समा चुके है़
स्थिति यही रही तो निश्चित रूप से गांव सहित प्रधानमंत्री सड़क,
प्राथमिक विद्यालय भवन, आंगनबाड़ी भवन, मौजा का आधे से अधिक उपजाऊ भूमि कनकई नदी के गर्भ में चला जायेगा़ सैकड़ों परिवार बेघर हो जायेगा़ भविष्य की सुरक्षा को लेकर पीड़ित ग्रामवासी ने विधायक, सांसद एवं जिलाधिकारी का ध्यान आकृष्ट कराते हुए कटाव से सुरक्षित करने की स्थायी समाधान की मांग की है़

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