आयोजन. भागवत कथा ज्ञान यज्ञ में चौथे दिन बोलीं कथा व्यास अदिति भारती
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अध्यात्म से हुई है विज्ञान की उत्पत्ति
आयोजन. भागवत कथा ज्ञान यज्ञ में चौथे दिन बोलीं कथा व्यास अदिति भारती दिव्य ज्योति जागृति संस्थान गोढ़ियारे चौक पर सात दिवसीय श्रीमद देवी भागवत कथा ज्ञान यज्ञ का आयोजन कर रहा है. इसके चौथे दिन कथा व्यास अदिति भारती ने श्रद्धालुओं को संबोधित किया. उन्होंने कहा कि अगर हमें ब्रह्मज्ञान नहीं होता है तो […]
दिव्य ज्योति जागृति संस्थान गोढ़ियारे चौक पर सात दिवसीय श्रीमद देवी भागवत कथा ज्ञान यज्ञ का आयोजन कर रहा है. इसके चौथे दिन कथा व्यास अदिति भारती ने श्रद्धालुओं को संबोधित किया. उन्होंने कहा कि अगर हमें ब्रह्मज्ञान नहीं होता है तो हमारी वैज्ञानिक उन्नति भी हमें अंत की ओर ले जायेगी.
फारबिसगंज : हमारे ऋषि मनीषियों के पास दिव्य दृष्टि थी. आज हमारे पास संसाधन होने के बावजूद हम प्रकृति का दोहन करते चले जा रहे हैं, क्योंकि ब्रह्मज्ञान का इस लोभ के ऊपर अंकुश नहीं है. इस लोभ दुर्गम का वध करने के लिए दुर्गा को जन्म लेना पड़ता है. दुर्गा कोई और नहीं वो ज्ञान शक्ति है.
अगर ब्रह्मज्ञान नहीं होता है तो हमारी वैज्ञानिक उन्नति भी हमें अंत की ओर ले जायेगी. जिस विज्ञान की ओर बढ़ कर हम अपने वैदिक विज्ञान को तिलांजलि देते हैं उस विज्ञान की उत्पत्ति भी अध्यात्म से हुई है. वैज्ञानिकों को ज्ञान का अभाव है. वेद के मूल ज्ञान से वो अपरिचित हैं
तथा उनके पास दिव्य दृष्टि नहीं है. इस कारण आविष्कार विनाशकारी भी सिद्ध होते हैं. उक्त बातें दिव्य ज्योति जागृति संस्थान द्वारा गोढ़ियारे चौक पर आयोजित सात दिवसीय श्रीमद देवी भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के चौथे दिन कथा व्यास सुश्री अदिति भारती ने अपने संबोधन में कही.
साध्वी ने कहा कि वर्चस्व की लड़ाई में अमेरिका के लड़ाकू विमान ने अपने को बड़ा सिद्ध करने के लिए छह अगस्त 1945 के दिन के 11 बजे जापान के नागाशाकी में एटम बम गिरा दिया. इसके कारण हजारों लोग अपंगता के शिकार हुए थे. केरल का उदहारण देते हुए कहा कि वहां एक गांव है जिसका नाम स्वर्ग है. वहां का एक-एक बच्चा दिमागी बीमारी व अपंगता से ग्रसित है. इसका कारण भी प्रकृति नहीं विज्ञान ही है, क्योंकि वहां के लोग काजू की खेती करते
थे और उन दिनों साइंस ने एंडो सल्फान केमिकल पेस्टिसाइज निकाल दिया. लोगों ने सोचा कि इसके उपयोग से एक भी काजू कीड़े से खराब नहीं होंगे और खेतों में इसका हेलीकॉप्टर से छिड़काव कर दिया. इसके कारण आज तक बच्चे पीड़ित हो रहे हैं. उन्होंने कहा कि प्राकृतिक आपदाएं ईश्वर की नहीं,
बल्कि इनसान की ही देन है. विकास की दौड़ में हमने पर्यावरण का नुकसान किया है. जिसे आप उद्योग लगाने की बात कहते हैं, उस क्रांति के नाम पर वनों की कटाई कर प्रकृति का विनाश किया जा रहा है. कारखानों के मलवे को चुपके से नदियों में बहाया जा रहा है. हरित क्रांति की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि गांव- गांव में किसानों ने देसी बीज को छोड़ विदेशी बीज अपना लिया है.
नतीजा उत्पादन तो बढ़े, लेकिन पेस्टिसाइज से धरती विशक्त हो गयी और किसानों को आत्महत्या के लिए मजबूर होना पड़ रहा है. दुग्ध क्रांति की चर्चा करते हुए कहा कि दूध की नदियां बहाने की क्रांति आयी, लेकिन वो दूध की नदियां नहीं, वो तो विष की नदियां हैं, जिसे वैज्ञानिक भी गाय नहीं मानते. वो कहते हैं कि गाय जैसा दिखने वाला प्राणी है. इसके दूध से निकलने वाला रसायन सीधे तौर पर दिमाग पर प्रहार करता है. साध्वी ने कहा कि ब्रह्मज्ञान से ही समस्त उन्नति संभव है, क्योंकि इसके अभाव में विनाश ही विनाश है.
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