कच्ची सड़क पर आने-जाने को विवश हैं ग्रामीण प्रतिनिधि, दिघलबैंकआजादी के छह दशक बाद भी प्रखंड के कुछ गांव सड़क जैसी मूलभूत सुविधा से वंचित है. यहां के लोग को कच्ची सड़क एवं गड्ढेनुमा सड़क पर चलने को मजबूर हैं. धनतोला चौकस से पूरब मुड़ते ही पक्की सड़क का अभाव साफ तौर पर देख जा सकता है. यहां से डोरिया पांचगाछी गांव जाने के लिए लोगों को कड़ी कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है. यह सड़क नहीं धूल और बालू का ढेर है. कहीं-कहीं पर सड़क को देख कर पता करना मुश्किल हो जाता है कि खेत है या सड़क. धनतोला से शुरू यह कच्ची सड़क नेपाल की सीमाओं को छूती है. इस लिए इस सड़क पर ग्रामीणों के अलावा एसएसबी के जवान भी सीमा की सुरक्षा के लिए इन रास्तों से गुजरना पड़ता है. हालांकि बरसात के दिनों में एसएसबी के जवानों को सीमा के अंतिम छोड़ पर जाने में काफी कठिनाई होती है. डोरिया निवासी जय नारायण गणेश, अपूर्व कुमार सिन्हा, निर्मल कुमार सिन्हा, सुखी राम हांसदा सहित दर्जनों लोगों ने बताया कि बरसात के दिनों में यह सड़क खतरनाक हो जाती है. अगर संभल कर रही चले तो हाथ पैर टूटना जरूरी है. ग्रामीणों ने जिलाधिकारी का ध्यान इस ओर आकृष्ट कराते हुए कहा कि अगर सड़क जल्द नही बनायी गयी तो चुनाव के समय वे लोग वोट का बहिष्कार करेंगे.
कच्ची सड़क पर आने-जाने को विवश हैं ग्रामीण
कच्ची सड़क पर आने-जाने को विवश हैं ग्रामीण प्रतिनिधि, दिघलबैंकआजादी के छह दशक बाद भी प्रखंड के कुछ गांव सड़क जैसी मूलभूत सुविधा से वंचित है. यहां के लोग को कच्ची सड़क एवं गड्ढेनुमा सड़क पर चलने को मजबूर हैं. धनतोला चौकस से पूरब मुड़ते ही पक्की सड़क का अभाव साफ तौर पर देख जा […]
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