सरकारी फरमान से परेशान हैं पंचायत चुनाव के संभावित प्रत्याशी प्रतिनिधि, सिकटी बिहार सरकार के आदेशानुसार वैसे लोग जिनके पास शौचालय नहीं है वे पंचायत चुनाव से वंचित हो सकते हैं. सरकार के इस फरमान से पंचायत चुनाव लड़ने वाले वैसे उम्मीदवारों के होश उड़ गये हैं जिनके घर में शौचालय नहीं है. जानकारी अनुसार प्रखंड क्षेत्र में अधिकांश घरों में शौचालय नहीं है. इनमें बहुत सारे ऐसे उम्मीदवार हैं जो पंचायत चुनाव लड़ने का मन बनाया है लेकिन उनके घर भी शौचालय नहीं है. चुनाव लड़ने वाले ऐसे भी उम्मीदवार हैं जिन्हें अपनी जमीन तक नहीं है. वे दूसरों की जमीन में बसे हुए हैं, ऐसे शौचालय की उम्मीद उनसे करना बेईमानी होगी. ऐसे उम्मीदवार शौचालय बनायें तो कैसे और कहां. इस सरकारी फरमान के मद्देनजर बहुत सारे प्रत्याशी शौचालय बनवाने व पीएचडी से एनओसी लेने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगाये हुए हैं. ऐसे में शौचालय विहीन प्रत्याशियों की सरकारी फरमान ने नींद उड़ा दी है. आज भी प्रखंड क्षेत्र की 80 फीसदी आबादी खुले में शौच को विवश है. सरकारी प्रयासों के मद्देनजर स्वच्छ भारत अभियान, मनरेगा तथा पीएचडी द्वारा चलाये जा रहे संयुक्त अभियान को अब तक आधी सफलता भी नहीं मिली है जिससे सतही तौर पर प्रखंड की 80 फीसदी आबादी खुले में शौच कर बीमारी को आमंत्रण देते है. बहरहाल शौचालय विहीन उम्मीदवारों के चुनाव लड़ने की बंदिश से उम्मीदवारों में काफी बेचैनी है.
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सरकारी फरमान से परेशान हैं पंचायत चुनाव के संभावित प्रत्याशी
सरकारी फरमान से परेशान हैं पंचायत चुनाव के संभावित प्रत्याशी प्रतिनिधि, सिकटी बिहार सरकार के आदेशानुसार वैसे लोग जिनके पास शौचालय नहीं है वे पंचायत चुनाव से वंचित हो सकते हैं. सरकार के इस फरमान से पंचायत चुनाव लड़ने वाले वैसे उम्मीदवारों के होश उड़ गये हैं जिनके घर में शौचालय नहीं है. जानकारी अनुसार […]
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