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जिला में 45 हजार एमटी धान खरीद का लक्ष्य

जिला में 45 हजार एमटी धान खरीद का लक्ष्यलक्ष्य के 90 प्रतिशत धान की अधिप्राप्ति करेंगे व्यापार मंडल व पैक्स, 10 प्रतिशत अधिप्राप्ति करेगा एसएफसी पांच दिसंबर से धान अधिप्राप्ति का निर्देश प्रतिनिधि, अररिया किसानों से धान अधिप्राप्ति का काम जिले में पांच दिसंबर से प्रारंभ करने का निर्देश राज्य सरकार के द्वारा जारी किया […]

जिला में 45 हजार एमटी धान खरीद का लक्ष्यलक्ष्य के 90 प्रतिशत धान की अधिप्राप्ति करेंगे व्यापार मंडल व पैक्स, 10 प्रतिशत अधिप्राप्ति करेगा एसएफसी पांच दिसंबर से धान अधिप्राप्ति का निर्देश प्रतिनिधि, अररिया किसानों से धान अधिप्राप्ति का काम जिले में पांच दिसंबर से प्रारंभ करने का निर्देश राज्य सरकार के द्वारा जारी किया गया है, लेकिन अभी तक की तैयारियों को देखते हुए जिले में ससमय धान की अधिप्राप्ति शुरू हो पाना मुश्किल लग रहा है. खाद्य एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग के पत्रांक 9004 दिनांक एक दिसंबर 2015 के तहत मुख्य सचिव के निर्देश पर राज्य खाद्य निगम व जिला सहकारिता विभाग ने जिले में धान अधिप्राप्ति का कार्य प्रारंभ करने की तैयारी शुरू कर दी है. अधिप्राप्ति के लिए राज्य खाद्य निगम को नोडल एजेंसी नियुक्त किया गया है. डीसीपी व्यवस्था के तहत होगी अधिप्राप्तिधान अधिप्राप्ति का कार्य पंचायत स्तर पर पैक्स व प्रखंड स्तर व्यापार मंडल खरीद केंद्र करेगा. एसएफसी के द्वारा अनुमंडल स्तर पर खरीद केंद्र बनाया जायेगा. इस बार धान खरीद करने वाली एजेंसी को धान खरीद करने के बाद चावल नोडल एजेंसी को देना होगा. धान अधिप्राप्ति के लिए सरकार द्वारा न्यूनतम समर्थन मूल्य का निर्धारण किया गया है. इसके तहत साधारण धान 1410 रुपये व ग्रेड ए का धान 1450 रुपये प्रति क्विंटल खरीदा जायेगा. हालांकि मुख्यमंत्री के द्वारा अधिप्राप्ति को लेकर तीन सौ रुपये प्रति क्विंटल बोनस देने की घोषणा की बात सामने आ रही है, लेकिन अब तक विभाग को इस प्रकार का दिशा निर्देश प्राप्त नहीं हुआ है. जिला सहकारिता पदाधिकारी का मानना है कि पिछले वर्ष की भांति इस वर्ष भी किसानों को बोनस मिलेगा. प्रति किसान अधिकतम सौ क्विंटल धान खरीद निर्धारित किया गया है. धान खरीद के लिए खरीद केंद्र व सार्वजनिक स्थानों पर अधिप्राप्ति कार्य से संबंधित सूचना का बैनर व दीवार लेखन करने, भंडारण के लिए गोदाम की व्यवस्था करने, माप तौल की व्यवस्था, नमी मापक मीटर, पर्याप्त रोशनी, कर्मियों की व्यवस्था व फर्नीचर की व्यवस्था करने का निर्देश विभाग के मुख्य सचिव के द्वारा दिया गया है. किसानों को लाना होगा जमीन का रसीद व आइडी धान खरीद करने के दौरान किसानों से जमीन की रसीद, फोटो युक्त पहचान पत्र आदि लिया जायेगा. राज्य सरकार के निर्देश पर पैक्स के साथ खरीद केंद्रों का निर्धारण का कार्य जिला सहकारिता पदाधिकारी द्वारा शुरू कर दिया गया है. केंद्र पर प्रतिनियुक्त होने वाले कर्मियों की सूची तैयार की जा रही है. जिले को मिला धान अधिप्राप्ति का लक्ष्य पिछले वर्ष की तर्ज पर धान अधिप्राप्ति के लक्ष्य में जिले में कोई खास बदलाव नहीं किया गया है. हालांकि पिछले वर्ष दिशा निर्देश के क्रियान्वयन में जिला स्तर पर कुछ बदलाव हुआ था. इसका परिणाम था कि धान अधिप्राप्ति का काम बेहतर हुआ था, लेकिन इस बार पैक्स को लक्ष्य के 90 प्रतिशत धान की खरीद करनी है, जबकि एसएफसी को लक्ष्य का दस प्रतिशत धान की खरीद करने का लक्ष्य दिया गया है. एसएफसी को नोडल एजेंसी बनाया गया है, जहां पैक्स धान के बदले सीएमआर उपलब्ध करायेगा. जानकारी अनुसार जिले में खरीफ धान खरीद का लक्ष्य जिले के सिंचित भूमि के आधार पर तय किया जाता है. इस बार जिले को 45 हजार एमटी अधिप्राप्ति का लक्ष्य मिला है. इसमें चालीस हजार पांच सौ एमटी धान की अधिप्राप्ति पैक्स के माध्यम से जबकि 45 सौ एमटी धान की खरीद एसएफसी के माध्यम से होगी. अब देखने वाली बात यह होगा की पिछले वर्ष की अपेक्षा राज्य खाद्य निगम को धान के बदले में सीएमआर ससमय मिल पाता है कि नहीं. पैक्स को अधिप्राप्ति में बढ़ावा दिये जाने को लेकर को ऑपरेटिव बैंक को कैश क्रेडिट बढ़ाने का निर्देश जारी किया गया है. पैक्स किसानों से धान खरीद कर राज्य खाद्य निगम को धान के प्रति क्विंटल के हिसाब से 67 प्रतिशत चावल उपलब्ध करायेगा. लक्ष्य के हिसाब से सीएमआर को पूरा करने की जिम्मेवारी पैक्स पर बढ़ गयी है. इसके लिए पैक्स को अपने लक्ष्य के अनुरूप चावल की आपूर्ति करने के लिए मिलर से रजिस्ट्रेशन करने का निर्देश दिया गया है. जिले में दो अनुमंडल हैं, इसलिए अनुमंडल स्तर पर एसएफसी के द्वारा एक-एक खरीद केंद्र बनाये जायेंगे. धान अधिप्राप्ति में वैसे किसान भाग लेंगे, जिनका नाम पैक्स के किसान डाटा बेस में अंकित होगा. साथ ही वैसे किसान भी भाग लेंगे, जो एसएफसी के वेबसाइट पर ऑन लाइन रजिस्ट्रेशन करा चुके हैं. पिछले वर्ष बेहतर हुई थी धान अधिप्राप्ति 2013 की अपेक्षा 2014 में किसानों को अपने धान को बेचने में आसानी हुई थी, हालांकि अधिप्राप्ति का काम पिछले वर्ष भी विलंब से प्रारंभ हुआ था. अन्य वर्षों की अपेक्षा सीएमआर भी एसएफसी को ससमय प्राप्त हुआ था. बीसीओ व एसएफसी के कर्मी की प्रतिनियुक्ति प्रखंडवार की गयी थी, जबकि एसएफसी व सहकारिता कार्यालय के द्वारा सभी प्रखंडों के खरीद केंद्र का अनुश्रवण किया जा रहा था. इधर प्रखंडों में भी पैक्स व व्यापार मंडल के द्वारा धान की खरीद की जा रही थी. व्यापार मंडल, पैक्स व किसानों से धान खरीद कर एसएफसी टैग मिलर को देती थी, बाद में उनसे चावल लिया गया था. अब सीधे तौर पर पैक्स को खरीदे गये धान के एवज में नोडल एजेंसी को सीएमआर उपलब्ध कराना होगा. 2014 में 14 मिलर धान खरीद करने का काम कर रहे थे. साढ़े चार लाख क्विंटल धान का लक्ष्य जिला को मिला था, लेकिन एसएफसी व जिला सहकारिता विभाग के द्वारा पांच लाख 28 हजार क्विंटल धान की खरीद की गयी थी. इसके एवज में 1333 लाट सीएमआर तकरीबन तीन लाख 59 हजार 941 क्विंटल चावल एसएफसी को प्राप्त हुआ था. इस बार धान के एवज में सीएमआर देने का भार पैक्स पर है. इसके बावजूद रानीगंज के परिहारी पैक्स के पास 770 क्विंटल सीएमआर अब तक बांकी है. पिछले वर्ष सौ प्रतिशत से अधिक धान की अधिप्राप्ति कर सीएमआर का आवंटन करवाने में सहकारिता विभाग व एसएफसी सफल रहा था. हालांकि इस बार लक्ष्य के अनुरूप धान की अधिप्राप्ति व सीएमआर की प्राप्ति की प्रक्रिया थोड़ा जटिल होगी. कहते हैं जिला सहकारिता पदाधिकारी जिला सहकारिता पदाधिकारी कविंद्र नाथ ठाकुर ने बताया कि जिला में 218 पैक्स हैं, जबकि 2014-15 में 101 पैक्स ने ही धान की अधिप्राप्ति की थी. इस बार 125 के आसपास पैक्स धान की खरीद करेंगे. इसके बावजूद शेष पैक्स के किसानों को धान खरीद की प्रक्रिया से जोड़ने के लिए कदम उठाया जायेगा. ससमय धान अधिप्राप्ति की प्रक्रिया प्रारंभ नहीं हो पायेगी, लेकिन यह प्रयास है कि किसानों से धान खरीद की प्रक्रिया को जल्द से जल्द शुरू करायी जाय. राज्य सरकार के दिशा निर्देश के अनुसार ही धान खरीद की प्रक्रिया की जायेगी. धान के बदले में सीएमआर देने की प्रक्रिया पैक्स या व्यापार मंडल के माध्यम से होनी की बात है, लेकिन विभागीय बैठक में वरीय स्तर पर यह बात उठायी जायेगी कि सीएमआर देने की प्रक्रिया में पैक्स या व्यापार मंडल को सीधे लाना कारगर नहीं हो पायेगा, क्योंकि धान खरीद के अलावा सीएमआर भी सौ प्रतिशत विभाग को चाहिए.

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