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वज्रपात से पति व बेटा खोया, नहीं मिली है अनुग्रह अनुदान राशि

अररिया: सरकारी काम काज के तौर तरीकों व प्रशासनिक संवेदनशीलता की पोल गुरुवार को उस समय खुल कर सामने आयी जब एक गरीब महिला ये शिकायत लेकर डीएम के जनता दरबार पहुंची कि वज्रपात से लगभग डेढ़ साल पहले उसके पति व पुत्र की मौत हो गयी थी, पर दफ्तरों के बार बार चक्कर लगाने […]

अररिया: सरकारी काम काज के तौर तरीकों व प्रशासनिक संवेदनशीलता की पोल गुरुवार को उस समय खुल कर सामने आयी जब एक गरीब महिला ये शिकायत लेकर डीएम के जनता दरबार पहुंची कि वज्रपात से लगभग डेढ़ साल पहले उसके पति व पुत्र की मौत हो गयी थी, पर दफ्तरों के बार बार चक्कर लगाने के बावजूद उसे अब तक अनुग्रह अनुदान की राशि नहीं मिल पायी है.

मामला फारबिसगंज अंचल के मिर्जापुर का है. वज्रपात एक नवंबर 2013 को हुआ था. हालांकि राशि के भुगतान में विलंब के कई कारण हैं.

लेकिन हैरत में डालने वाली बात ये है कि पुत्र के नाम में हुई मामूली त्रुटि सुधार को लेकर ही फाइल छह माह से इधर-उधर घूम रही है. पीड़िता अहमरी खातून ने बताया कि ठनका गिरने से वर्ष 2013 में एक नवंबर को उसके पति मो ईसा व पुत्र की मृत्यु हो गयी थी. शव का पोस्टमार्टम हुआ. अभिलेख भी तैयार हुए. जल्द मुआवजा भुगतान का भरोसा दिलाया गया, पर चक्कर लगाने के बावजूद भुगतान नहीं हो पाया है.

उन्होंने बताया कि जनता दरबार में बैठे अधिकारी ने उसकी फरियाद सुनने के बाद कर्मचारी को मामले का पता लगाने का निर्देश दिया. भुगतान का भरोसा दिलाया है. वहीं प्रभात खबर की पड़ताल में ये बात सामने आयी कि इस मामले में अभिलेख संख्या 4/2013-14 खोल कर भुगतान की कार्रवाई शुरू तो की गयी, पर अबतक कार्रवाई पूरी नहीं हो पायी है. पता चला कि पुत्र के नाम में कुछ त्रुटि सामने आने के बाद सुधार के लिए फारबिसगंज बीडीओ को संचिका भेजी गयी है.

बताया गया कि मृत्यु प्रमाण पत्र में पुत्र का नाम फैजान दर्ज है, जबकि अभिलेख में फैजा लिखा गया है. हैरत में डालने वाली बात ये है कि फारबिसगंज एसडीओ को संचिका फरवरी 2015 में ही भेजी गयी है, पर फाइल लौटी नहीं है. मिली जानकारी के अनुसार गुरुवार को जनता दरबार में कुल तीन दर्जन फरियादी पहुंचे. अधिकांश मामले छोटे मोटे भूमि विवाद से जुड़े थे. जनता दरबार में एडीएम, डीडीसी व सदर एसडीओ सहित अन्य अधिकारी भी मौजूद थे.

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