।। बेदी झा ।।
अररिया : चर्चित हाथी दांत तस्करी के मामले में गिरफ्तार मजीद खां का नाम पूर्व में एक बेहद संवेदनशील मामले में भी सामने आया था. लेकिन एसपी के आदेश के बाद भी रानीगंज थानाध्यक्ष ने प्राथमिकी दर्ज नहीं की. ज्ञात हो कि इस मामले में प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश तत्कालीन पुलिस कप्तान शिवदीप लांडे ने रानीगंज थानाध्यक्ष को दिया था.
इसकी प्रतिलिपि पुलिस निरीक्षक रानीगंज को ही नहीं अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी अररिया को भी दी गयी थी. इसके बावजूद आज तक इस मामले को लेकर प्राथमिकी दर्ज नहीं हो पायी. एसपी लांडे के तबादले के बाद उनके द्वारा दिया गया आदेश बिना अमल के पड़ा रह गया.
* क्या था मामला
यह मामला वज्रपात से हुई मौत बाद दफनाये गये उस शव को उखाड़ने से जुड़ा था. यह मामला सुर्खियों में तब आया था जब 23 मार्च 2013 को कब्र से शव गायब करने का खबर अखबारों की सुर्खियों में थी. लेकिन इस मामले को पुलिस प्रशासन ने शायद गंभीरता से अब तक नहीं लिया.
जबकि हाथी दांत तस्करी को लेकर नगर थाना में दर्ज कांड संख्या 72/13 की समीक्षा के दौरान अपराध अनुसंधान विभाग के आइजी (कमजोर वर्ग) अरविंद पांडेय ने लिखा है कि सीमावर्ती क्षेत्र में ठनका (वज्रपात ) से हुई मौत वाले शव को गायब करने में मजीद खां का नाम संलिप्त पाया गया था. इस बाबत तत्कालीन एसपी लांडे ने ज्ञापांक 1651/अप शा दिनांक 24 मार्च 2013 के द्वारा थानाध्यक्ष रानीगंज को प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दिया था.
पत्र में कहा गया था कि फारबिसगंज थाना कांड संख्या 5/13 के अनुसंधान के क्रम में यह बात सामने आयी कि कांड के प्राथमिकी अभियुक्त मजीद खां व अन्य को ग्राम मधुलता में वज्रपात से हुई मौत के बाद निति ऋषिदेव के दफनाये शव को उखाड़ते वक्त मृतक के परिजनों व पुत्र ने पकड़ा था.
इसी तरह मधुलता गांव के ही नेबत ऋषिदेव व कमलपुर गांव के कुमोद कुमार सिंह व रीना देवी की मौत वज्रपात से हुई थी. इनके शव को कजरा धार कमलपुर के किनारे दफनाया गया था. ये शव भी गायब पाये गये. इस बाबत अलग से प्राथमिकी दर्ज कर अनुसंधान करने का निर्देश दिया गया था. बताया जाता है कि इस दौरान शव उखाड़ने के एवज में तथाकथित लोगों द्वारा आर्थिक प्रलोभन भी दिया गया था. लेकिन लांडे के तबादला के बाद इस संवेदनशील मामले को लेकर प्राथमिकी दर्ज करने के लिए दिया गया निर्देश अब तक संचिकाओं में धूल चाट रहा है.
अहम बात यह कि मानवीय संवेदनाओं को झक झोरने वाली इस वारदात के विरुद्ध तत्कालीन एसपी लांडे द्वारा प्राथमिकी दर्ज करने के दिये गये निर्देश की अवहेलना कई सवालों को जन्म देती है. खास कर ऐसे समय में जब आइजी (कमजोर वर्ग) ने अपने समीक्षा प्रतिवेदन में वर्तमान एसपी व डीआइजी पूर्णिया प्रक्षेत्र के पर्यवेक्षण टिप्पणी को निरस्त करते हुए तत्कालीन एसपी लांडे के पर्यवेक्षण टिप्पणी को सही करार दिया है.