प्रतिनिधि, कुर्साकांटाप्रखंड में धान अधिप्राप्ति केंद्र के नहीं खुलने के कारण किसान अपने धान को औने-पौने कीमत में बेचने को विवश हैं. एक तो अधिक लागत लगा कर कम पैदावार होने के कारण किसान निराश हैं. उस पर भी धान को कम कीमतों पर किसान बिचौलिया के हाथों बेचने को विवश हैं. धान अधिप्राप्ति केंद्र के खुलने की आस में किसानों की ओर से रखे धान बरबाद हो रहा है. किसान रूपेश वर्मा, भूपेंद्र सिंह, देव कुमार सिंह, मो नफीस हैदर, डॉ सफीकु र्रहमान, तेज नारायण ततमा, धर्मनाथ ततमा आदि का कहना है कि मौसम की मार के बावजूद डीजल खरीद कर धान की पैदावार की गयी. इसमें अपेक्षाकृत ज्यादा लागत लगा. अधिप्राप्ति केंद्रों पर अधिक मूल्य मिलने की आस थी. वह भी बेकार साबित हो रही है. अधिप्राप्ति केंद्र खुलने की आस में धान बरबाद हो रहा है. वे मजबूर होकर धान औने-पौने दाम पर बेच देंगे. इसका फायदा आगे चल कर बिचौलियों को होगा. इधर बीसीओ अमित कुमार का कहना है कि धान अधिप्राप्ति केंद्रों के नहीं खुलने का मुख्य कारण है कि अब तक धान क्रय को लेकर मिलर से समन्वय स्थापित नहीं हो पाया है. बातचीत चल रही है. एक सप्ताह के अंदर अधिप्राप्ति केंद्रों पर धान की खरीद प्रारंभ हो सकती है.
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धान अधिप्राप्ति केंद्र नहीं खुलने से किसान परेशान
प्रतिनिधि, कुर्साकांटाप्रखंड में धान अधिप्राप्ति केंद्र के नहीं खुलने के कारण किसान अपने धान को औने-पौने कीमत में बेचने को विवश हैं. एक तो अधिक लागत लगा कर कम पैदावार होने के कारण किसान निराश हैं. उस पर भी धान को कम कीमतों पर किसान बिचौलिया के हाथों बेचने को विवश हैं. धान अधिप्राप्ति केंद्र […]
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