अररिया : मंगलवार के दरे शाम शुरू हुआ सितमगर पछुआ हवा बुधवार को भी जिलेवासियों को ठंड के सिहरन का एहसास कराता रहा. मुगलवार की देर शाम को ही लोगों ने यह अंदाजा लगा लिया था कि बुधवार का दिन ठंड का कहर बरपायेगा. लोगों का अंदाजा एकदम सही था. बुधवार को पूरा दिन धुप के लिए लोग ललालियत रहे. धुप तो नहीं निकला लेकिन ठंड का प्रकोप बढ़ता ही चला गया.
ऐसे में घरों से आवश्यक काम के लिए ही लोग निकले. जो बाहर निकले वे कहीं न कहीं आलाव का सहारा लेकर शरीर को गर्म करने का प्रयास करते दिखे. खास कर गरीब व असहाय तबके के लोगों के लिए अलाव ही शरीर को गर्म करने का सहारा बनता दिखा. इस दरम्यान जिले के सुदुरवर्ती गांवों से आये मजदूर तबके के लोगों व सदर अस्पताल में इलाज कराने पहुंचे लोगों के लिए नप अररिया द्वारा बनाया गया रैन बसेरा ठिकाना का जरिया बनता दिखा.
यहां रह रहे लोगों ने रैन बसेरा में सभी प्रकार की सुविधा मिलने के दावा किया तो संतुष्टि दिखे. वहीं शहरवासियों में इस बात की भी नाराजगी दिखा कि इस शीतलहर में भी प्रशासन के द्वारा कहीं भी अलाव की व्यवस्था नहीं की गयी है. वार्ड के जन प्रतनिधियों के पास भी लोगों के इन सवालों का कोई जबाव नहीं था.
कंबल की बाट जोह रहे जरूरतमंद : शहर में रिक्शा चालक, रैन बसेरा में रह रहे लोगों व मजदूरों के पास इस भीषण ठंड में दिन व रात काटनी महंगी पड़ रही है. रिक्शा चालक देवनारायण पासवान व मो गयास ने कहा कि रिक्शा चालकर रोजी रोटी की जुगाड़ करते हैं. लेकिन इस ठंड में सवारी नहीं मिलता है. ठंड भी काफी पड़ रही है. अगर कमाई नहीं होगी तो पेट कहां से भरेंगे. इस ठंड में पहनने के लिए ऊनी वस्त्र नहीं हैं. बाबुओं के द्वारा अलाव की भी व्यवस्था नहीं की गयी है. ऐसे में दिन काटना मुश्किल लग रहा है. फल दुकानदार मंजीत दास ने कहा कि उनकी रोजी रोटी का मुख्य साधन फल व्यवसाय ही है. चांदनी चौक पर उनका दुकान चलता है. लेकिन इस ठंड में जान गंवाने के लिए भला कौन घर से निकलेगा. इसलिए आमदनी का तो पता नहीं.
फिर भी इस इंतजार में हैं कुछ फल बिक जाये तो रोटी-दाल का जुगाड़ हो जाए. ठेला चालक जावेद ने कहा कि इस इंतजार में हैं कि कोई सामान ले जाने वाला उन तक पहुंचे. कुछ कम ही किराया देगा तो मान जायेंगे. क्योंकि भीषण ठंड में कोई भी किराया अब तक नहीं पहुंचा है. ऐसे में शाम का भोजन का जुगाड़ कर पाना मुश्किल होगा.
फारबिसगंज प्रतिनिधि के अनुसार, ठंड में लगातार इजाफा हो रहा है. मौसम विभाग के अनुसार इस सप्ताह पारा 09-10 डिग्री से नीचे जा सकता है. साथ ही इस सप्ताह बाद कुहासा भी और घना होगा. ठंड के कारण बुधवार को दिन भर आकाश में धुंध छाई रही. बुधवार को पारा घटकर अब तक के निचले स्तर 11.9 पहुंच गया. तीन दिनों में पारा में तीन डिग्री की गिरावट दर्ज की गई है. दिसंबर की शुरूआत के साथ धूप की तीव्रता भी कम होती जा रही है. जिसके कारण न्यूनतम के साथ-साथ अधिकतम तापमान भी गिर रहा है और ठंड बढ़ रही है. बताया जा रहा है कि वेस्टर्न डिस्टर्बेस के कारण पूरे उत्तर भारत में ठंड बढ़ रही है.
ठंड बढ़ने के कारण छात्र संगठनों ने स्कूल, कॉलेज व शिक्षण संस्थानों के समय में बदलाव किए जाने की मांग डीएम से की है. तेज पछुआ हवा चलने से कनकनी बढ़ गई. दिन में धूप नहीं रही. मौसम पूर्वानुमान में बताया गया है कि उत्तर बिहार में अगले कुछ दिनों तक आसमान में हल्के बादल छाए रहेंगे. हालांकि, इस दौरान मौसम के शुष्क रहने का अनुमान है. तेज पछुआ हवा चलने से ठंड बढ़ेगी.
कड़ाके की ठंड घरों में दुबके लोग, नहीं हुई अलाव की व्यवस्था
कुर्साकांटा. रूह को कंपा देने वाली ठंढ ऊपर से तेज पछुआ हवा जो ठंढ का पारा निम्नतम स्तर पर ला दिया. ऐसे तो ठंड से प्रखंड क्षेत्र विगत तीन दिन से ठिठुर रहा है. लेकिन बुधवार की अहले सुबह से ही बह रही पछुआ हवा ने आम जनों को देर सुबह तक गर्म रजाई व अलाव के साथ घर में दुबकने को मजबूर कर दिया.
लेकिन यह ठिठुरन वाली ठंड उन मजदूरों के लिये या फिर उनके लिये जिसके पास अदद गर्म कपड़ा तो गर्मी देने वाला कोई भी सामान न हो और मजदूरी भी करना पड़े तो सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है कि उन्हें किस तरह की कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा होगा. जब प्रखंड सिहरन वाली ठंड से आम आवाम ठिठुर रहा हो, वैसी विषम परिस्थिति में भी सरकारी स्तर पर चौक-चौराहे, सार्वजनिक स्थल में अलाव तक कि व्यवस्था नहीं किया जाना शायद पदाधिकारी का असंवेदनशीलता को दिखाता प्रतीत होता है. आमजन जिला प्रशासन से इस ठिठुरन वाली ठंड से निजात पाने के लिये प्रखंड क्षेत्र में अलाव की व्यवस्था करने की मांग की है.
ठंड से जनजीवन होने लगा प्रभावित अलाव जलाने की मांग
पलासी. लगातार जारी शीतलहर को लेकर पलासी प्रखंड क्षेत्रों में जनजीवन प्रभावित होने लगा. शीतलहर के साथ पछुआ हवा लोगों को घर बाहर निकलने से रोक रही है. रोजमर्रा की जिंदगी काट रहे लोगों के बीच भुखमरी की समस्या उत्पन्न हो गयी है. लोग अलाव जलाकर किसी तरह जीवन निर्वाह कर रहे हैं. स्थानीय प्रशासन द्वारा चौक-चौराहों पर अलाव की व्यवस्था नहीं की गयी है. इससे लोगों में प्रशासन के प्रति खास नाराजगी है. लोगों ने चौक-चौराहों पर अलाव जलवाने की मांग की है.