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कृषि भूमि को बना दिया आवासीय

भूअर्जन घोटाला . जांच रिपोर्ट से प्रकृति में हेराफेरी का मामला आ रहा सामने सिकटी व कुर्साकांटा में जांच का काम पूरा हो गया. जांच टीम ने लगभग 43 प्रतिशत भूिम की खेसरा की प्रकृति बदल दी. अररिया : जिले में सीमा सड़क निर्माण के लिए अधिगृहीत जमीनों की प्रकृति में छेड़छाड़ का माला नरपतगंज […]

भूअर्जन घोटाला . जांच रिपोर्ट से प्रकृति में हेराफेरी का मामला आ रहा सामने

सिकटी व कुर्साकांटा में जांच का काम पूरा हो गया. जांच टीम ने लगभग 43 प्रतिशत भूिम की खेसरा की प्रकृति बदल दी.
अररिया : जिले में सीमा सड़क निर्माण के लिए अधिगृहीत जमीनों की प्रकृति में छेड़छाड़ का माला नरपतगंज प्रखंड तक ही सीमित नहीं है. अब कथित हेराफेरी का मामला कुर्साकांटा व सिकटी प्रखंड में भी सामने आया है. डीएम के निर्देश पर गठित जांच दल ने स्थल निरीक्षण के बाद अपनी रिपोर्ट सौंप दी है. रिपोर्ट से प्रकृति में हेराफेरी की आशंका को बल मिलता है.
गौरतलब है कि जिले में भारत नेपाल सीमा सड़क निर्माण लिये नरपतगंज सहित चार प्रखंडों के सीमावर्ती क्षेत्रों में भूमि का अधिग्रहण किया गया था. कुछ माह पहले नरपतगंज प्रखंड में प्रकृति निर्धारण में छेड़छाड़ की मिल रही शिकायतों के मद्दे नजर डीएम ने प्रखंड में अधिगृहीत जमीन का बारीकी से स्थल निरीक्षण करवाया. निरीक्षण के क्रम में बेला, भौरोगंज व गुवारपुच्छरी सहित कई अन्य मौजा में कृषि भूमि को आवासीय श्रेणी में अधिसूचित करने के मामले का पर्दाफाश हुआ था.
बताया जाता है नरपतगंज प्रखंड में की गयी जालसाजी के सामने आने के बाद डीएम ने कुर्साकांटा व सिकटी प्रखंडों में अधिगृहीत की गयी जमीनों का स्थल निरीक्षण कर वास्तविक प्रकृति के बाबत रिपोर्ट बनाने के लिए अधिकारियों की अलग-अलग टीम गठित की थी. बताया जाता है कि भूअर्जन कार्यालय में जमा की गयी जांच रिपोर्ट से प्रकृति में छेड़छाड़ का मामला उजागर हुआ है.
जिला भूअर्जन कार्यालय द्वारा दी गयी जानकारी के मुताबिक कुर्साकांटा के 20 मौजा के कुल 751 व सिकटी के 14 मौजा के कुल 729 खेसरा की प्रकृति की जांच अधिकारियों ने की. पूर्व की अधिसूचना में दोनों प्रखंडों के ये सभी 1480 खेसरा आवासीय श्रेणी में रखे गये थे. पर जांच के बाद लगभग 43 प्रतिशत खेसरा को कृषि श्रेणी में रखा गया है. कुल 634 खेसरा को अधिकारियों की टीम ने कृषि भूमि करार दिया है.
जांच रिपोर्ट के मुताबिक सिकटी प्रखंड के कमोबेश सभी 14 मौजा में कुछ न कुछ हेराफेरी की गयी है. मिसाल के तौर पर आमगाछी में जांच के क्रम में केवल 47 खेसरा की जमीन को आवासीय पाया गया, जबकि पूर्व में 146 खेसरा को आवासीय ठहराया गया था. इसी प्रकार कुर्साकांटा प्रखंड के बटराहा मौजा में 53 के बजाये केवल दो खेसरा ही आवासीय मिला, जबकि बिशनपुर मौजा के सभी 23 खेसरा कृषि निकले.
आंकड़ों की पुष्टि करते हुए जिला भूअर्जन पदाधिकारी नीरज नारायण पांडे ने बताया कि जांच रिपोर्ट के बाद अब छह सदस्यीय टीम एक बार दावा आपत्ति को लेकर स्थल निरीक्षण करेगी. उसके बाद ही अंतिम तस्वीर सामने आयेगी.

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