नयी दिल्ली/पटना : जदयू से हाल ही में निष्कासित नेता शिवानंद तिवारी ने आज कहा कि करीबी लोगों एवं समर्थकों की ओर से भाजपा में शामिल होने के दबाव के बावजूद वह इस दल की विचारधारा से सहमत नहीं होने के कारण उसमें नहीं जाएंगे.
तिवारी ने कहा, ‘‘हमारे उपर इस बारे में :भाजपा में शामिल होने: लोगों का काफी दबाव है. लेकिन हमने सिद्धांत के रुप में आरएसएस की विचारधारा का विरोध किया है.’’ उन्होंने दावा किया कि उनके पिताजी को जनसंघ ने मुख्यमंत्री बनने की पेशकश की थी. लेकिन उन्होंने स्वीकार नहीं किया था. कपरूरी ठाकुर जनसंघ के समर्थन से मुख्यमंत्री बने. हालांकि मेरे पिता उस सरकार में मंत्री थे. शिवानंद तिवारी ने कहा कि वह 1964 से राजनीति में है लेकिन कभी भी संघ की विचारधारा का समर्थन नहीं किया.
यह पूछे जाने पर कि क्या उनके भाजपा में जाने की कोई संभावना है, जैसी कि खबरों में कहा जा रहा है, तिवारी ने कहा, ‘‘कोई संभावना नहीं है.’’ उन्होंने कहा कि एक समय कांग्रेस काफी मजबूत थी, उस समय गैर-कांग्रेसवाद को मजबूत बनाने के लिए लोहिया ने जनसंघ को साथ लिया था. तब जनसंघ और भाकपा एक साथ सरकार में भी थीं. जयप्रकाश नारायण ने भी भाजपा को साथ लिया था लेकिन उसकी विचारधारा का विरोध किया था. तिवारी ने कहा, हम फिर से दोहरा रहे हैं कि हमारे भाजपा में जाने की कोई संभावना नहीं है.