पटना/ नयी दिल्ली: दिल्ली के निकट 2012 में सेना की दो इकाइयों की गतिविधि पर एक नया विवाद पैदा हो गया है. दरअसल तत्कालीन डीजीएमओ लेफ्टिनेंट जनरल ए के चौधरी ने कहा है कि ऐसा हो सकता है कि इस मामले पर सेना और सरकार के बीच ‘‘अविश्वास’’ था लेकिन उन्होंने सैन्य तख्तापलट के खतरे की बात को खारिज कर दिया.
न्होंने पटना में संवाददाताओं से कहा, ‘‘सैन्य तख्तापलट की संभावना अकल्पनीय थी.’’ चौधरी के हवाले से एक साक्षात्कार में कहा गया है कि तत्कालीन रक्षा सचिव शशि कांत शर्मा ने उनसे सैन्य बलों को वापस भेजने को कहा था क्योंकि सरकार का शीर्ष नेतृत्व इस बारे में ‘‘चिंतित’’ था.चौधरी के हवाले से यह बयान आने के बाद उन्होंने आज कहा, ‘‘इस मामले में गलतफहमी थी या समझ का अंतर था या अविश्वास हो सकता है.’’ इस बारे में पूछे जाने पर एनएसए शिवशंकर मेनन ने कहा कि सेना और सरकार के बीच किसी प्रकार के अविश्वास की स्थिति नहीं थी.उन्होंने कहा, ‘‘
मुझे नहीं लगता कि अविश्वास था. मैं ऐसी चीज पर टिप्पणी कैसे कर सकता हूं जो मुझे नजर नहीं आती. मैं एक असैन्य अधिकारी हूं, मैं प्रतिदिन सेना के साथ बहुत निकटता से काम करता हूं. मुझे ऐसा नहीं लगता.’’