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सेफ्टी डिवाइस नहीं, पटाखे से ही कोहरे से निबटेगी रेलवे

प्रभात रंजन पटना : ठंड के मौसम में घना कोहरा छाया रहता है. विजिबिलिटी कम होने के कारण गाड़ियों की रफ्तार धीमी हो जाती है. ट्रेनें घंटों विलंब से स्टेशन पहुंचती हैं. ट्रेनों के सुरक्षित और ससमय परिचालन सुनिश्चित कराने के लिए रेलवे बोर्ड ने वर्ष, 2014 में ट्रेनों की इंजन में फोग सेफ्टी डिवाइस […]

प्रभात रंजन
पटना : ठंड के मौसम में घना कोहरा छाया रहता है. विजिबिलिटी कम होने के कारण गाड़ियों की रफ्तार धीमी हो जाती है. ट्रेनें घंटों विलंब से स्टेशन पहुंचती हैं. ट्रेनों के सुरक्षित और ससमय परिचालन सुनिश्चित कराने के लिए रेलवे बोर्ड ने वर्ष, 2014 में ट्रेनों की इंजन में फोग सेफ्टी डिवाइस लगाने की योजना बनायी. इस योजना के तहत नॉर्दर्न रेलवे, नॉर्थ इस्टर्न रेलवे और नॉर्थ वेस्टर्न रेलवे जोन के 1018 ट्रेनों में फॉग सेफ्टी डिवाइस लगाया जा चुका है, लेकिन पूर्व मध्य रेल के किसी ट्रेन में अब तक डिवाइस नहीं लगाया जा सका है. स्थिति यह है कि कोहरे के दिनों में पटाखा से ही काम चलाना पड़ रहा है. इससे ट्रेनें घंटों विलंब से चल रही हैं.
कोहरे में 60 किमी की स्पीड की सीमा निर्धारित: सामान्य दिनों में रेलमंडल के मुख्य रेलखंड पर 110 से 120 किमी की रफ्तार से ट्रेन दौड़ रही है. हालांकि, कोहरे के दिनों में निर्धारित स्पीड में ट्रेनों का परिचालन सुरक्षित नहीं है. कोहरे में ट्रेनों का परिचालन सुरक्षित हो, इसके लिए ट्रेनों की रफ्तार 60 किमी प्रतिघंटा निर्धारित की गयी है. इसके साथ ही लोको पायलट और सहायक लोको पायलट से कहा गया है कि सिगनल पर ध्यान देने के साथ-साथ बगल के रेलवे लाइन पर भी नजर रखेंगे. अगर कहीं कोई अवरोध दिखता या महसूस होता है, तो तुरंत वरीय अधिकारी को सूचना दें.
पटाखों से किया जाता है सिगनल नियंत्रित : दानापुर रेलमंडल में ट्रेन सिगनल को पटाखा से नियंत्रित किया जाता है. प्रशिक्षण में बताया जाता है कि पहले पटाखे की आवाज होने पर ट्रेन को रोक दें और ट्रेन की रफ्तार 15 किमी/प्रतिघंटा करना है. दूसरे पटाखे की आवाज का मतलब सिगनल के नजदीक पहुंच गये हैं. तीसरे पटाखे की आवाज का मतलब 15 किमी की रफ्तार से अगले 1.5 किमी तक जाना है. पटाखा के माध्यम से सिगनल नियंत्रित होने पर लोको पायलट को ट्रेन चलाने में काफी परेशानी होती है और ट्रेन भी विलंब से पहुंचती है.
ऐसे करता है काम : ट्रेनों के इंजन में लगनेवाला फॉग सेफ्टी डिवाइस ग्लोबल पॉजेसनिंग सिस्टम(जीपीएस) पर आधारित है, जो रूट की मैपिंग करता है. इस डिवाइस में रूट की सभी सिगनल की जानकारी होती है. इससे सिगनल के एक किमी पहले ही डिवाइस का बजट बजने लगता है और लोको पायलट सतर्क हो जाते है.

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