पटना: भ्रष्ट आचरण के आरोप में तीन जजों समेत चार लोक सेवकों को बरखास्त कर दिया गया है. कैबिनेट ने मंगलवार को बरखास्तगी के प्रस्ताव पर मुहर लगा दी है. कैबिनेट के प्रधान सचिव ब्रजेश मेहरोत्र ने बताया कि मुजफ्फरपुर परिवार न्यायालय के तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश हरि निवास गुप्ता, अररिया के तत्कालीन तदर्थ अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश व आरा के वर्तमान एडीजे जितेंद्र नाथ सिंह और अररिया के ही तत्कालीन अवर न्यायाधीश व नवादा के वर्तमान अवर न्यायाधीश कोमल राम को बरखास्त कर दिया गया है. हाइकोर्ट की अनुशंसा पर सरकार ने यह निर्णय लिया है.
तीनों जजों पर कथित रूप से नेपाल में रंगरेलिया मनाने का आरोप था. हाइकोर्ट ने उन्हें निलंबित कर दिया था. इसके पहले हाइकोर्ट की पहल पर जहानाबाद के एक जज को बरखास्त किया गया था. कैबिनेट ने बिहारशरीफ ग्रामीण कार्य प्रमंडल के तत्कालीन कार्यपालक अभियंता विजय कुमार को भी बरखास्त करने का निर्णय लिया है.
क्या था मामला
पटना हाइकोर्ट के पूर्ण पीठ ने आठ फरवरी को अपने फैसले में तीनों जजों को चरित्रहीनता का दोषी मानते हुए बरखास्त करने का फैसला किया था. मुख्य न्यायाधीश रेखा एम दोशित की अध्यक्षतावाले पूर्ण पीठ में सात जज होते हैं.
घटना 26 जनवरी, 2013 की है. तीन जज जितेंद्र नाथ सिंह, कोमल राम और हरि निवास गुप्ता नेपाल के विराटनगर स्थित पार्क के मैट्रो गेस्ट हाउस के अलग-अलग कमरों में ठहरे थे. देर रात जब नेपाल प्रहरी (पुलिस) ने छापा मारा, तो कमरे से नेपाली युवतियां बरामद हुईं. तीनों को पकड़ा गया, लेकिन उन्होंने न्यायाधीश के रूप में परिचय दिया, तो उन्हें भारतीय सीमा में लाकर छोड़ दिया गया.
बार काउंसिल ने भी की थी शिकायत : विराटनगर से प्रकाशित नेपाली भाषा के अखबार उदघोष के 29 जनवरी, 2013 के अंक में यह खबर प्रमुखता से प्रकाशित हुई थी. इस मामले की जांच पूर्णिया के जिला जज ने की और अपनी सिफारिश पटना हाइकोर्ट को भेजी थी. बिहार राज्य बार काउंसिल की ओर से घटना के एक सप्ताह के बाद मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिख कर इस घटना की जानकारी दी गयी थी. हालांकि, जांच के दौरान पता चला कि मैट्रो गेस्ट हाउस के रजिस्टर के पन्ने को भी फाड़ दिया गया था, जिसमें इन तीनों की इंट्री थी.