13.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

श्मशान की लकड़ी पर बनाते हैं खाना, फिर भी मनाते हैं गणतंत्र दिवस

ाक्सर इस वर्ष देश 65 वां गणतंत्र दिवस हर्षोल्लास के साथ मना रहा है. चारों तरफ आजाद भारत के गीत गूंज रहे हैं. लेकिन जिला मुख्यालय में ऐसी भी दलित बस्ती है. जिनमें रहने वालों को आज भी आजादी के जश्न से कोई सरोकार नहीं है. वे आजाद भारत के तिरंगे को देखते जरूर हैं, […]

ाक्सर
इस वर्ष देश 65 वां गणतंत्र दिवस हर्षोल्लास के साथ मना रहा है. चारों तरफ आजाद भारत के गीत गूंज रहे हैं. लेकिन जिला मुख्यालय में ऐसी भी दलित बस्ती है. जिनमें रहने वालों को आज भी आजादी के जश्न से कोई सरोकार नहीं है. वे आजाद भारत के तिरंगे को देखते जरूर हैं, लेकिन उसमें यह अपनी आजादी को महसूस नहीं करते. लेकिन गणतंत्र दिवस के दिन यह पूरे उत्साह के साथ स्वादिष्ट भोजन की जुगाड़ कर, अपने परिवार के साथ कुछ समय खुशी से जरूर व्यतीत करते हैं. यह हाल जिला मुख्यालय स्थित किला के समीप बसे दलित बस्ती के लोगों का हैं. यहां आज भी बस्ती के लोगों का भोजन श्मशान की लड़कियों पर बनता है. नहर के किनारे बसे इनकी झोपड़ियां कभी भी स्थायी रूप से नहीं बसी. समीप के किला में हर वर्ष 15 अगस्त और 26 जनवरी को झंडात्ताेलन किया जाता है. लेकिन ये दो वक्त की रोटी की जुगाड़ में झंडोत्ताेलन को भी भूल जाते हैं. बस्ती के धन जी डोम, कलिका डोम, प्लान डोम एवं लालबाबू कहते हैं कि बस्ती में लगभग सौ लोग रहते हैं परंतु इनमें से अधिकांश: का अभी तक वोटर आइ डी कार्ड भी नहीं बना है. 50 वर्षो से रह रहे बस्ती के लोगों को यहां के अधिकारियों ने कभी भी स्थायी निवासी नहीं माना.
किला में जब कभी मंत्री या बड़े नेताओं की रैलियों या सभाओं का आयोजन होता है, तो इन्हें विस्थापित कर दिया जाता है. अपना दर्द बयां करते हुए बस्ती की वृद्ध महिला प्रभावती देवी कहती हैं कि सरकार हम गरीबों के लिए भले ही योजनाएं बनाती हो, लेकिन योजनाओं का हम तक पहुंच पाना, आज भी मुश्किल बना हुआ है. 65 वर्षो में भले ही देश का नाम विकासशील देशों में शुमार हुआ हो लेकिन आज भी यह गरीबी की गुलामी सहने को विवश हैं.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें