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आज से आप भी चमकेंगे सूर्य की तरह

सुनील आनंद, बगहा मकर संक्रांति को भगवान सूर्य उत्तरायण की राशि मकर में प्रवेश करेंगे. इसके साथ ही देवताओं के दिन और पितरों की रात्रि का शुभारंभ हो जायेगा. एक माह के खरमास के बाद मांगलिक कार्य, यज्ञोपवित, शादी-विवाह, गृहप्रवेश आदि शुभ कार्य आरंभ हो जायेंगे. एक तरह से सूर्य का मकर राशि में प्रवेश […]

सुनील आनंद, बगहा

मकर संक्रांति को भगवान सूर्य उत्तरायण की राशि मकर में प्रवेश करेंगे. इसके साथ ही देवताओं के दिन और पितरों की रात्रि का शुभारंभ हो जायेगा. एक माह के खरमास के बाद मांगलिक कार्य, यज्ञोपवित, शादी-विवाह, गृहप्रवेश आदि शुभ कार्य आरंभ हो जायेंगे. एक तरह से सूर्य का मकर राशि में प्रवेश पृथ्वी पर निवास करने वालों के लिए वरदान की तरह है.

मान्यता है कि सभी देवी-देवता, यक्ष, गंधर्व, नाग, किन्नर आदि महापूर्ण अविध के मध्य प्रयाग में एकित्रत होकर संगम तट पर स्नान करते हैं. मकर संति के अवसर पर किसी भी तीर्थ, नदी और समुद्र में स्नान कर दान-पुण्य मोक्ष की प्राप्ति होती है. मकर संक्रांति के दिन जो व्यक्ति प्रात:काल स्नान कर सूर्य को अघ्र्य देता है, उसे किसी भी प्रकार का ग्रहदोष नहीं लगता. क्योंकि सूर्य की किरणों शरीर को नयी ऊर्जा और आत्मबल प्रदान करती हैं. प्रात:कालीन लाल सूर्य का दर्शन करना सर्वोत्तम माना जाता है. इससे पूर्वजन्म के पापों से मुक्ति मिलती है.

सफलता और असफलता के कारक सूर्य

यदि आप ग्रह – नक्षत्रों की चाल और जन्म कुंडली में ग्रह की स्थितियों पर भरोसा करते हैं तो आपके लिए यह जानना बेहद जरूरी है कि जीवन में सफलता और असफलता के कारक सूर्य हैं. जन्म कुंडली में स्थित सूर्य की स्थिति के कारण ही जातक को सफलता और असफलता का सामना करना पड़ता है. ज्योतिष के अनुसार यदि मकर संक्रांति के दिन सूर्य की उपासना से जन्म कुंडली में सूर्य दोष का निवारण होता है.

व्यवसायी के लिए :यदि आपके जन्म कुंडली में सूर्य नीच के हैं, तो मकर संक्रांति के दिन सूर्य मंदिर में जाये और भगवान सूर्य को अहले सुबह अघ्र्य दें. फिर मंदिर प्रांगण में गरीबों के बीच वस्त्र दान करें. इससे आपको बहुत फायदा मिलेगा.

छात्र के लिए :यदि आपकी कुंडली में सूर्य नीच के है तो मकर संक्रांति को सुबह में जगे और सबसे पहले सूर्य नमस्कार करें. फिर अपने माता- पिता और परिवार के बड़े बुजुर्गो का आशीर्वाद लें.

अधिकारियों के लिए :यदि आप उच्चधिकारियों के कोप के शिकार हो रहे हैं तो निश्चित तौर पर आपकी कुंडली में सूर्य नीच के है. ऐसे में मकर संक्रांति के दिन सबसे पहले सूर्य देव को प्रणाम करें और गरीबों की मदद करें.

शिक्षकों के लिए :यदि आपके कुंडली में सूर्य नीच के है तो मकर संक्रांति के दिन गंगा या नदी में स्नान कर सूर्य की उपासना करें. गरीबों में वस्त्र दान करें. सूर्य मंत्र का जप लाभदायक होगा.

महिलाओं के लिए: यदि आपकी कुंडली में सूर्य नीच के है. घर – परिवार में अनबन चल रहा है तो मकर संक्रांति के दिन सूर्य को तांबे के लोटे से जल का अघ्र्य दें. सास, ससुर और पति का आशीर्वाद लें.

नव विवाहिता के लिए :यदि आपकी कुंडली में सूर्य नीच के है तो मकर संक्रांति के दिन सूर्य को अघ्र्य देने वाले जल में कुमकुम और लाल रंग के फूल भी मिलायें. इससे ससुराल में आपकी मान – प्रतिष्ठा बढ़ेगी. सुख – समृद्धि का वास होगा.

युवतियों के लिए :यदि आपकी कुंडली में सूर्य नीच के है. योग्य वर मिलने में कठिनाई हो रही है तो मकर संक्रांति के दिन गुड़ एवं कच्चे चावल बहते हुए जल में प्रवाहित करना शुभ रहेगा. गरीबों को भोजन करवायें तो जल्दी आपकी मनोकामना पूरी होगी.

बेरोजगारों के लिए :यदि आपकी कुंडली में सूर्य नीच के है तो मकर संक्रांति के दिन तांबे का सिक्का या तांबे का चौकोर टुकड़ा बहते जल में प्रवाहित करने से कुंडली में स्थित सूर्य दोष कम होगा.

इसके साथ-साथ लाल कपड़े में गेहूं व गुड़ बांध कर दान देने से हर इच्छा पूरी हो जाती है.

जरुर करें गंगा स्नान

मान्यता है कि इस दिन गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम प्रयाग में सभी देवी-देवता अपना स्वरूप बदल कर स्नान के लिए आते हैं. इसलिए इस दिन दान, तप, जप का विशेष महत्व है. इस दिन गंगा स्नान करने से सभी कष्टों का निवारण हो जाता है. मकर संक्रांति में चावल, गुड़, उड़द, तिल आदि चीजों को खाने में शामिल किया जाता है, क्योंकि यह पौष्टिक होने के साथ ही शरीर को गर्म रखने वाले होते हैं. इस दिन गरीबों को अनाज, वस्त्र, ऊनी कपड़े, फल आदि दान करना चाहिए.

पिता – पुत्र का शत्रु भाव

आचार्य पं मनुदेव मणि त्रिपाठी का कहना है कि मकर संक्रांति के दिन सूर्य देव धनु राशि से निकल कर मकर राशि में प्रवेश करते हैं और मकर राशि के स्वामी शनि देव हैं. शनि सूर्य देव के पुत्र हैं. लेकिन वे सूर्य से शत्रु भाव रखते हैं.

ऐसे में शनि के घर में सूर्य की उपस्थिति के दौरान शनि उन्हें कष्ट न दें, इसलिए मकर संक्रांति को तिल का दान और सेवन का विधान है. मान्यता यह भी है कि माघ मास में जो व्यक्ति रोजाना भगवान विष्णु की पूजा तिल से करता है, उसके सारे कष्ट दूर हो जाते हैं.

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