पटना: निबंधन कार्यालय, सांप और संपेरे का ड्रामा आम बात है. कार्यालय में लोगों की भीड़ सांप को देखने में एकत्रित हो जाती है. यह स्थिति किसी एक दिन की नहीं, बल्कि पिछले माह से हर दो चार दिन की है. निबंधन कार्यालय में सपेरे बुलाये जाते हैं और रेकॉर्ड रूम से सांप निकाले जाते हैं, लेकिन ये सांप रेकॉर्ड रूम के हैं या फिर सपेरे की पोटली के, यह एक ड्रामा जैसा है.
संपेरे पर लगा आरोप
शुक्रवार को भी निबंधन कार्यालय में लोगों की भीड़ रही. सांप को पकड़ने के लिये दनियावां से चार संपेरे बुलाये गये. संपेरे रिकॉर्ड रू म में गये और सांप निकाल ले आये.जिससे उपस्थित लोगों ने संपेरे पर आरोप लगाते हुए कहा कि सांप रिकॉर्ड रूम का नहीं, बल्कि संपेरे का है. निबंधन विभाग के पेशकार जवाहर सिंह ने कहा कि इतनी जल्दी सांप नहीं निकाले जा सकते हैं. संपेरे पैसे के चक्कर में सांप निकालने का काम कर रहे हैं.
500 आवेदन लंबित
सांप के कारण एक माह से रिकॉर्ड रूम का काम बाधित है. 500 से अधिक दस्तावेज लंबित पड़े हैं. दस्तावेज निकासी व जांच संबंधी कोई काम नहीं हो रहा है. स्थिति यह है कि कर्मचारी रिकॉर्ड रूम से संबंधित आवेदनों को लौटा रहे हैं.
इन तारीखों को बुलाये गये संपेरे
15 नवंबर को सपेरे बुलाये गये, पर सांप नहीं निकला. 18 नवंबर को दो सांप निकाले गये. 29 नवंबर को सांप के केचुल मिलने पर संपेरे बुलाये गये, पर सांप नहीं निकला.
निबंधन विभाग के कर्मचारी रोशन जब 12 दिसंबर को फाइल निकालने गये तब उन्हें सांप नजर आया. 16 दिसंबर को भी सपेरा बुलाया गया, पर सांप नहीं निकल सका.