– 11 साल में भी नहीं मिला सेवांत लाभ
– सोच-सोच कर परेशान हैं गोपाल जी उपाध्याय
– बकाया राशि लेने के लिए लगा रहे परिवहन निगम का चक्कर
– प्रमोद झा –
पटना : सयानी हो चुकी मुनिया की शादी कैसे हो? इसे लेकर गोपाल जी उपाध्याय परेशान हैं. वे क्या करें, उन्हें कुछ सूझ नहीं रहा है. अगर कहीं शादी की बात बनती भी है, तो खर्च के रुपये कहां से लायेंगे? यह सोच-सोच कर वे खुद बीमार हो गये हैं. पत्नी की अस्वस्थता को लेकर भी वे काफी परेशान रहते हैं.
इसके बावजूद मन में छोटी बेटी की शादी का अरमान लेकर जी रहे हैं कि अगर मेहनत की कमाई मिल जाती, तो जीते जी बिटिया की शादी कर लेता. इस आस में वे हर माह दो बार परिवहन निगम का चक्कर लगाते हैं, लेकिन बकाया राशि नहीं मिल रही है. रिटायर होने के बाद उन्हें अंशदान, पीएफ और एरियर की राशि नहीं मिली है. निगम पर उनका लगभग पांच लाख बकाया है.
नौकरी में रहते ही पहली बिटिया की शादी धूमधाम से की थी. हालांकि, इसके लिए भी उन्हें कुछ जमीन बेचनी पड़ी थी.अब तो नौकरी से रिटायर हुए ग्यारह साल हो गये. उन्होंने कभी भी यह नहीं सोचा था कि निगम में 38 वर्षो की निष्ठापूर्वक सेवा करने का यह अंजाम भुगतना होगा. पैसे के अभाव में बेटों की भी पढ़ाई बाधित हुई. तीन बेटों में बड़ा पुजारी बन कर जीवनयापन कर रहा है. बाकी दो बेरोजगार हैं.
सुप्रीम कोर्ट के आदेश का भी असर नहीं : सुप्रीम कोर्ट ने 12 अगस्त 2008 को अपने आदेश में निगम के सभी कार्यरत कर्मियों को वेतन और सेवानिवृत्त कर्मियों को बकाया वेतन सहित सभी राशि देने का आदेश बिहार सरकार को दिया.
इसके बाद भी सरकार ने जून 2001 से अप्रैल 2004 के बीच झारखंड में कार्यरत कर्मियों व सेवानिवृत्त कर्मियों की बकाया राशि का भुगतान नहीं किया. ऐसे कर्मियों की संख्या चार सौ से अधिक है.