भोरे (गोपालगंज).
गंडक नदी के दियारे से यूपी के व्यवसायी धीरज नथानी को 10 दिन बाद बरामद किया गया है. इससे यूपी और बिहार की पुलिस ने राहत की सांस ली है. यूपी के कुशीनगर जिले के सेवरही बाजार से अपहृत कपड़ा व्यवसायी धीरज नाथानी को यूपी की एसटीएफ, क्राइम ब्रांच की टीम ने छापामारी कर अपहर्ताओं के चंगुल से मुक्त कराया. इस दौरान अपहरण में शामिल छह अपराधियों को भी यूपी पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है. गिरफ्तार अपराधियों से पुलिस को कई महत्वपूर्ण सुराग हाथ लगे हैं. हालांकि अभी यूपी पुलिस इस संबंध में कुछ बताने से परहेज कर रही है. बता दें कि तीन दिसंबर की शाम सेवरही थाना क्षेत्र के वार्ड नंबर नौ निवासी धीरज नाथानी का उस समय अपहरण कर लिया गया था, जब वे शाम में अपने घर से वापस दुकान जा रहे थे. इस घटना के बाद कुशीनगर जिले के व्यापारियों ने बाजार बंद कर प्रदर्शन किया था. यह मामला यूपी के विधानसभा में भी गूंजा था. यहां तक कि नाथानी की सकुशल रिहाई के लिए व्यापारियों ने यूपी के सीएम अखिलेश यादव से मुलाकात की थी.
अपहर्ताओं का सेफ जोन बना दियारा
कहते हैं कि इतिहास दुहराता है. गंडक नदी का दियारा भी आज अपने इतिहास को दुहरा रहा है. गंडक का इलाका फिर से अपहृताओं का सेफ जोन बनने लगा है. यूपी के प्रमुख व्यवसायी धीरज नथानी की गंडक नदी के दियारा इलाके से की गयी बरामदगी ने भले ही पुलिस को राहत पहुंचायी हो, लेकिन यह तय है कि दियारा का यह इलाका फिर अपराधियों का गढ़ बनने लगा है. गोपालगंज शहर के प्रमुख व्यवसायी नितेश टिवड़ेवाल के अपहरण के बाद उसे गंडक नदी के दियारे में ही रखा गया था. पुलिस के पांच दिन तक गंडक के इलाके को खंगालने पर दबाव में आये अपहरणकर्ताओं ने 30 लाख की फिरौती लेकर 25 सितंबर, 2013 को छोड़ दिया था. नाटकीय ढंग से बेतिया पहुंचे नितेश टिबड़ेवाल ने पुलिस के समक्ष बयान दिया था कि उसे मलाही के दियारा इलाका में रखा गया था. मांझा प्रखंड के ख्वाजेपुर से अपराधियों ने उसे रातों-रात नदी को पार करा कर झील में खरपतवार और पटेर के बीच रखा था. यूपी के सेवरही से गत तीन दिसंबर को अपहृत प्रमुख व्यवसायी धीरज नथानी की बरामदगी भी इसी गंडक नदी के दियारे से हुई है. दो बड़े व्यवसायियों के अपहरण के बाद यहां फिरौती लेने के बाद मुक्त करना, यह साबित करता है कि पूर्व की स्थिति की ओर दियारा लौटने लगा है. बता दें कि एक दशक पूर्व गंडक नदी का यह इलाका पूरी तरह से अपहरण उद्योग के लिए जाना जाता था. वर्ष 2000 में मुंबई के उद्योगपति पीयूष कोठारिया का अपहरण ऋषि मुनी तिवारी गैंग ने किया था. इस अपहरण कांड में साठ करोड़ रुपये लेने के बाद उसे मुक्त किया गया था. इतना ही नहीं, सीमेंट उद्योगपति राजेंद्र सिंह का अपहरण सीवान से किया गया और उन्हें भी दियारा इलाका में रख कर 50 लाख से अधिक की फिरौती वसूली गयी थी. कोलकाता के उद्योगपति पंकज कनौजरिया का अपहरण कर उसे भी यहीं रख कर करोड़ों की फिरौती वसूली गयी थी. अब नितेश टिबड़ेवाल के बाद धीरज नाथानी के अपहरण और दियारे से बरामदगी ने यह साबित कर दिया है कि दियारे में एक बार फिर से अपराधियों का नेटवर्क तेजी से मजबूत हो रहा है.