पटना: पटना विवि में न तो तदर्थ शिक्षकों की नियुक्ति हुई और न ही अभ्यर्थियों को आवेदन शुल्क वापस किया गया. सैकड़ों अभ्यर्थियों का डिमांड ड्राफ्ट विवि में यों ही जमा है. उधर, बहाली को लेकर अभ्यर्थी परेशान हैं. वहीं विवि प्रशासन इस मामले पर हाथ-पर-हाथ धरे बैठा है. जब से सरकार ने शिक्षकों की बहाली जल्द कराने की बात कही है, विवि भी इस मामले पर मौन साधे हुए है. प्रभारी कुलपति होने की वजह से भी इस मामले का न तो कोई हल निकल पा रहा है और न ही इस पर कोई निर्णय ही हो पा रहा है.
शिक्षकों की भारी कमी : विवि में शिक्षकों की भारी कमी है. इससे पढ़ाई-लिखाई बाधित हो रही है. कई कक्षाएं खाली रहती हैं. नयी बहाली हो नहीं रही है और पुराने लोग धीरे-धीरे रिटायर होते जा रहे हैं. फिलहाल विश्वविद्यालय के पास नियमित शिक्षक सिर्फ चालीस प्रतिशत ही हैं. साठ प्रतिशत सीटें खाली हैं. अगले पांच-दस वर्षो में भी बड़ी संख्या में शिक्षकों को रिटायर होना है. ऐसे में अभी जो समस्या है वह तो है, आने वाले दिनों में शिक्षकों की कमी की समस्या बहुत बड़ी हो जायेगी. सरकार द्वारा शिक्षकों की बहाली के लिए सिर्फ घोषणाएं की जा रही हैं.
कोई ठोस पहल अभी तक नहीं हुआ है. नेट और पीएचडी करके कर बड़ी संख्या में अभ्यर्थी ऐसे ही बेरोजगार हैं या फिर इधर-उधर कॉलेजों में गेस्ट फैकल्टी के तौर पर काम कर रहे हैं या कोई दूसरा रोजगार कर रहे हैं. इनमें कई ने पीयू में तदर्थ शिक्षक के लिए आवेदन जमा किया है. फिलहाल जो शिक्षक पढ़ा रहे हैं उनमें ज्यादातर उक्त कोर्स के को-ऑर्डिनेटर या विभागाध्यक्ष द्वारा गेस्ट के तौर पर रखे जाते हैं.
तदर्थ शिक्षकों की बहाली के लिए पूर्व कुलपति प्रो यूके सिन्हा के नेतृत्व में एक कमेटी बनायी गयी थी. कमेटी ने सभी विभागों से कुल खाली पदों की जानकारी मांगी थी, ताकि आवश्यकता अनुसार बहाली की जाये. इसके लिए साक्षात्कार भी होना था. लेकिन अब तक सिर्फ आवेदन फॉर्म की स्क्रूटनी होने के अलावा कुछ नहीं हुआ है. अभ्यर्थियों का कहना है, अगर बहाली नहीं करनी थी, तो आखिर आवेदन क्यों लिया गया.