पटना : भाजपा विधानमंडल दल के नेता सुशील मोदी ने मुख्यमंत्री से पूछा है कि अब तक सूखाग्रस्त किसानों को कितनी राहत दी गयी? पांच जिलों को सूखाग्रस्त क्यों नहीं घोषित किया गया? अब तक सूखाग्रस्त क्षेत्रों का आकलन करने केंद्रीय टीम क्यों नहीं आयी? उन्होंने कहा कि उन्होंने कहा कि किसानों को सहायता व राहत दिलाने में मुख्यमंत्री को कोई रुचि नहीं है.
सुखाड़ से जहां किसानों को अरबों का नुकसान हुआ है, वहीं चक्रवाती तूफान से भी भारी क्षति उठानी पड़ी है. बची–खुची फसलें भी बरबाद ही गयी हैं. सूखे से हुई क्षति का आकलन करने में विफल रही सरकार क्या चक्रवाती तूफान से हुई बरबादी का हिसाब लगा पायेगी? सच तो यह है कि सरकार मात्र कागजी घोषणाएं कर रही है.
सरकार की इस बेरुखी और उपेक्षा का यहां के किसान अगले आम चुनाव में करार जवाब देंगे. उन्होंने कहा कि एक ओर 40 दिनों की देरी से 33 जिलों को सूखाग्रस्त घोषित किया गया, वहीं इसके एक माह बाद बैंकर्स कमेटी की बैठक बुलायी गयी. उक्त बैठक में भी सीएम को भाग लेने की फुरसत नहीं थी. अब इस महीने के अंत तक बैंकर्स कमेटी की बैठक होगी. उसके बाद किसानों को कर्ज देने की कार्रवाई शुरू होगी. यह किसानों के साथ मजाक नहीं, तो और क्या है?