– अजयकुमारवकौशलेंद्ररमणकीरिपोर्ट –
गांवों में कितना स्वराज आया यह तो शोध-सर्वेके बाद पता चलेगा, लेकिन मुखियाओं की आर्थिक हैसियत में जरूर जमीन-आसमान का फर्क आया है. कई मुखिया तो फर्श से अर्श पर पहुंच गये हैं.
110 मुखिया इओयू के रडार पर
पटना : बिहार की पंचायतों में चार अरब की गाड़ियां दौड़ लगा रही हैं. गाड़ियों के नये-नये मॉडल गांवों में पहुंच रहे हैं. पंचायत मुखियों की बात करें तो 60 फीसदी के अधिक के पास आठ से बारह लाख रुपये मूल्य की गाड़ियां हैं.
एक गाड़ी की औसत कीमत नौ लाख भी मानी जाये, तो यह कीमत साढ़े चार अरब रुपये से अधिक होती है. जमीन, मकान, ट्रैक्टर और आभूषण अलग से. कई के पास एक से ज्यादा गाड़ियां हैं. संपत्ति बटोरनेवाले करीब 110 मुखियों के बारे में आर्थिक अपराध यूनिट (इओयू) सबूत जुटा रहा है. इस संबंध में पुलिस मुख्यालय ने सभी जिलों को निर्देश दे रखा है.
60 फीसदी गाड़ियां रूरल में
महिंद्रा एंड महिंद्रा के अनुसार मोटेतौर पर 60 फीसदी गाड़ियां ग्रामीण इलाके में जाती हैं. बोलेरो व स्कार्पियो की मांग रूरल में ज्यादा है. इसकी वजह इन गाड़ियों का रफ एंड टफ होना माना जाता है. कॉमर्शियल व्हेकिल की ज्यादा खपत रूरल एरिया में ही है.
क्या कहता है पंचायती राज विभाग
भ्रष्टाचार पर जीरो टालरेंस की नीति के तहत मुखियों और त्रिस्तरीय पंचायती राज में निर्वाचित प्रतिनिधियों के बारे में आर्थिक गड़बड़ियों की जो भी शिकायतें मिलती हैं, विभाग उसकी छानबीन करता है. डीएम भी ऐसे मामलों में कदम उठाने के लिए अधिकृत हैं.
भ्रष्टाचार से जुड़े मामलों में कई मुखिया, सरपंच और अधिकारियों पर मुकदमें हुए हैं. वे जेल गये है.