पटना: पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी ने सरकार से अवैध व अनियंत्रित बालू खनन पर अविलंब रोक लगाने की मांग की है. उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय ग्रीन ट्रिब्यूनल के आदेश के बावजूद बालू का खनन जारी है. सरकार मंत्रिमंडलीय उपसमिति की सिफारिशों को सख्ती से लागू करे. साथ ही 27 फरवरी, 2012 को सुप्रीम कोर्ट द्वारा बालू घाटों की बंदोबस्ती व खनन के लिए जारी आदेशों व दिशा- निर्देशों को भी पूरी तरह से लागू करने की जरूरत है.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि बालू घाटों की बंदोबस्ती कम-से-कम पांच साल के लिए होनी चाहिए. साथ ही 50 हेक्टेयर से अधिक रकबा में बालू खनन के लिए पर्यावरण एवं वन मंत्रलय व उससे कम रकबा में खनन के लिए राज्य स्तर पर गठित राज्य के पर्यावरण प्रभाव आकलन प्राधिकरण से मंजूरी लेना अनिवार्य होगा.
कोर्ट ने बालू घाटों के माइनिंग प्लान सुपुर्द करने के साथ ही यह भी हिदायत दी थी कि किसी भी बालू घाट से अधिकतम तीन मीटर तक ही बालू का खनन हो. इसके साथ ही रेलवे पुल व अन्य पुल- पुलियों के साथ ही सिंचाई साधनों से न्यूनतम दूरी निर्धारित कर बालू का खनन हो.