पटना: हिंदुत्व हिंदुस्तान की पहचान है. यह भारत की एकता का आधार है. जब-जब अलगाव की बात आयी, हिंदुत्व में ही हिंदू-मुसलमानों ने साथ रहने का रास्ता निकाला. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ हिंदुत्व पर आधारित देश के रूप में भारत को खड़ा करना चाहता है. ये बातें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सर संघ चालक डॉ मोहन भागवत ने रविवार को श्रीकृष्ण मेमोरियल हॉल में गुरु पूर्णिमा उत्सव को संबोधित करते हुए कहीं. उन्होंने कहा कि इस देश में रहनेवालों की मातृभूमि है हिंदुस्तान. यहां जन्म लेनेवाले मुसलमानों के दफन के वक्त भी इसकी मिट्टी जरूरी होती है.
मातृभूमि हमारा देहपोषण ही नहीं करती, बल्कि स्वभाव भी देती है. हिंदू संस्कृति में सबको अपनी-अपनी श्रद्धा में रहने की छूट है. हिंदुत्व में सभी पूजा पद्धतियां स्वीकार्य हैं. इनमें किसी को समाप्त करने का कभी कोई प्रयास नहीं हुआ. हिंदुत्व में विविधता में एकता स्पष्ट दिखती है. हिंदुत्व के आधार पर समाज को संगठित कर आदर्श राष्ट्रीय जीवन की स्थापना की जा सकती है. आज की राजनीतिक स्थिति पर उन्होंने सीधे-सीधे तो कुछ नहीं कहा, किंतु इतना अवश्य कहा कि नेता और पार्टियां तो सहायक की भूमिका में होते हैं, उन्हें ठीक करने का काम समाज ही कर सकता है. उन्होंने साफ-साफ कहा कि आरएसएस हिंदू संगठन का काम करता है.
संघ के स्वयंसेवक समाज के दुख-दर्द को दूर कर रहे हैं. संघ के बारे में कई तरह की भ्रांतियां हैं. इस भ्रांति को दूर करने के लिए लोगों से उन्होंने संघ में शामिल होने, संघ को देखने-समझने और इसकी परीक्षा लेने की अपील की. उन्होंनेकहा कि लोग यदि अपने महापुरुषों का आचरण खुद में उतारे, तो देश महान बनेगा. उत्सव में पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी, विधानसभा में विपक्ष के नेता नंद किशोर यादव, पूर्व मंत्री अश्विनी चौबे, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष मंगल पांडेय सहित भाजपा के अधिकतर विधायक व विधान पार्षद शामिल हुए. मंच पर संघ के तीन पदाधिकारी शिवनाथ सिंह, धरनी धर सिंह व डॉ पवन अग्रवाल को जगह मिली.