पटना: पीएमसीएच के जेनरल सजर्री विभाग में दवाओं का धंधा चल रहा है. किसी बीमारी पर जितना खर्च बाहर होता है, उतना ही पीएमसीएच में भी होता है. ऐसे में मरीजों का हाल बुरा है. मरीजों के परिजनों से बार-बार बाहर से दवाएं मंगवायी जाती हैं.
यह सजर्री के सभी यूनिटों का हाल है. कुछ यूनिट ऐसे भी हैं, जो अस्पताल की दवा लिखते ही नहीं हैं और मरीजों को बाहर से ही खरीदनी पड़ती हैं. मरीजों को इंडोर व आउटडोर में दवाएं मुफ्त देने की व्यवस्था है. लेकिन, मरीजों को अस्पताल में दवाएं रहने के बावजूद बाहर से खरीदनी पड़ती हैं. ऑपरेशन के दौरान कॉटेन तक बाहर से लाना पड़ता है. हर मरीज को 50 रुपये का आहार देना है, लेकिन इसके बदले महज ब्रेड व सेब दिया जाता है. मरीजों के वार्ड में पंखे नहीं चलते हैं. खुद ही इसकी व्यवस्था करनी पड़ती है.
मेरे 10 साल के बेटे रवि कुमार का अपेंडिक्स का ऑपरेशन आरा में हुआ था. ऑपरेशन की जगह घाव हो गया. इसे पीएमसीएच लाया गया. यहां ऑपरेशन में दवाओं पर छह हजार खर्च हो चुके हैं. हर दिन दवाएं मंगवायी जाती हैं. अस्पताल से दवा के नाम पर कुछ नहीं दिया जाता है. खाने की जगह मात्र सुबह में ब्रेड, अंडा व सेब दिया जाता है. नर्स समय पर नहीं आती हैं.
कांति देवी, भोजपुर
मेरे पति मुकेश की किडनी में स्टोन था. वह पांच अगस्त से भरती हैं. स्टोन निकाल दिया गया है. अभी तक हम बाहर से लगभग 20 हजार की दवाएं खरीद चुके हैं. ऑपरेशन के समय भी सभी दवाइयां बाहर से मंगवायी गयीं. डॉक्टर बोले हैं कि दो-चार दिन मे छोड़ देंगे. नर्स समय से नहीं आती हैं. बहुत बुलाने पर आती हैं. खाना नहीं दिया जाता है.
गुड़िया, शिवहर
मेरे बेटे सुनील कुमार के सिर में चोट लगी है. उसे तीन दिन पहले भरती कराया गया है. अभी तक बाहर से दो हजार तक की दवाइयां खरीद कर ला चुके हैं. अस्पताल से दवा के नाम पर कभी-कभी स्लाइन की बोतल ही दी जाती है. खाने के नाम पर सुबह में ब्रेड मिलता है. पंखा खराब है. गरमी से हालत काफी खराब रहती है.
रामनाथ ठाकुर, बेतिया