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कितने निवेशक आये, श्वेतपत्र करें जारी: सुशील मोदी

पटना: पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी ने बिहार सरकार से श्वेत पत्र जारी कर लोगों को यह बताने को कहा है कि 15 माह में कितने निवेश के प्रस्ताव आये और कितना निवेश हुआ. फेसबुक पर उन्होंने कहा कि सरकार उद्योग कैबिनेट गठित कर उद्यमियों और निवेशकों को आकर्षित करना चाहती है, लेकिन हकीकत यह है […]

पटना: पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी ने बिहार सरकार से श्वेत पत्र जारी कर लोगों को यह बताने को कहा है कि 15 माह में कितने निवेश के प्रस्ताव आये और कितना निवेश हुआ. फेसबुक पर उन्होंने कहा कि सरकार उद्योग कैबिनेट गठित कर उद्यमियों और निवेशकों को आकर्षित करना चाहती है, लेकिन हकीकत यह है कि जब से राजद-जदयू का गंठबंधन हुआ है लोग डरने लगे हैं. सरकार कोई भी कैबिनेट गठित कर ले या नीति बना ले. जब तक लालू यादव जैसे लोगों के साथ गंठबंधन रहेगा. कोई उद्यमी या निवेशक बिहार नहीं आयेगा.

राजद से गंठबंधन के बाद बिहार में अपराध तेजी से बढ़ा है. रंगदारी शुरू हो गयी है. सूबे में फिर से भय का माहौल कायम होने लगा है. ‘जगल-राज-2’ की आहट से ही उद्यमी और कारोबारी डरे सहमे हैं. जब-तक भाजपा सरकार के साथ थी, उद्यमियों और निवेशकों के मन में सुरक्षा और शांति का भरोसा था. भाजपा के सरकार से अलग होते ही निवेश के महत्वपूर्ण प्रस्ताव देने वाले अधिकतर वापस हो गये. कोई नया प्रस्ताव नहीं आया है. उद्यमी पंचायत और बिहार राज्य उद्योग व निवेश सलाहकार पर्षद पहले से ही मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में गठित है. राज्य बुनकर व दस्तकार आयोग तथा बिहार राज्य उद्यमी एवं व्यवसायी आयोग समेत कई आयोग भी हैं. बावजूद 15 महीने में उद्योग व निवेश के एक भी महत्वपूर्ण प्रस्ताव नहीं आये.

जवाब देने का साहस नहीं है नीतीश को . बिहार में भ्रष्टाचार बढ़ा है पर मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी की स्वीकारोक्ति पर पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी ने कहा है कि अपने ही बनाये मुख्यमंत्री की पीड़ा पर खुल कर बोलने का साहस नीतीश कुमार को नहीं है. उन्होंने कहा कि बिहार इस बार कोसी की बाढ़ से तो बच गया, लेकिन भ्रष्टाचार की बाढ़ में डूब गया.

बिहार में गंठबंधन की सरकार टूटने के 15 महीनों में रिश्वतखोरी ब्लॉक तक पहुंच गयी है. मुख्यमंत्री भी यह कड़वा सच नहीं पचा पाये. इस हालात के लिए जिम्मेवार पूर्व सीएम नीतीश कुमार चारा घोटाले में सजायाफ्ता लालू प्रसाद से मिल भ्रष्टाचार को कैसे रोक पायेंगे?

लोकसभा चुनाव में कांग्रेस सुप्रीमो सोनिया गांधी और महासचिव राहुल गांधी ने भ्रष्टाचार के मामले में सजायाफ्ता राजद प्रमुख का नाम तक नहीं लिया था. लालू प्रसाद के 15 वर्ष के ‘जंगल राज’ में चारा, अलकतरा और जमीन के घोटाला समेत भ्रष्टाचार के दर्जनों मामले सामने आये. सभी जगह बिहार की बदनामी हुई. सत्तारूढ़ दल के ही एक विधायक ने खुलासा किया कि मनचाहा ट्रांसफर-पोस्टिंग कराने वालों से 250 करोड़ रुपये की काली कमाई की गयी. नैतिकता को ताक पर रख नीतीश ने भ्रष्टाचार के प्रतीक बन चुके लालू प्रसाद से भी हाथ मिला लिया. उपचुनाव में जागरूक मतदाता जदयू सरकार के बढ़ते भ्रष्टाचार के खिलाफ अपना गुस्सा जाहिर करेंगे.

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