पटना: सरकार अंतरजातीय विवाह करनेवालों के साथ है, पर आंकड़े चौंकाते हैं. निबंधन कार्यालय में दर्ज आंकड़ों के अनुसार पटना जिले में पिछले साल 770 जोड़ों ने अंतरजातीय शादी रचायी, जबकि सरकारी आंकड़ों में इनकी संख्या महज 25 है. यानी 25 जोड़ों ने ही सरकारी योजना का लाभ लिया. पिछले छह माह से इस लाभ के लिए कोई आवेदन नहीं आया है.
चार माह से नहीं आया है कोई आवेदन : आंकड़ों में इतने अधिक अंतर से पता चलता है कि बिहार में जातीय पूर्वाग्रहों को समाप्त करने के लिए सरकार का साथ देने के बाद भी अंतरजातीय शादी रचानेवाले इसका लाभ नहीं ले पा रहे हैं. हालांकि योजना को अधिक लचीला व सरल बना कर अंतरजातीय विवाह को सरकार बढ़ावा भी दे रही है. इसके लिए योजना की राशि 5000 से बढ़ा कर 25000 और अब 50 हजार कर दी गयी है. इसके बाद भी लाभार्थी पीछे रह जा रहे हैं. मार्च, 2014 के बाद शादी करनेवाले प्रति जोड़ों को 50 हजार रुपये की राशि दी जानी है. घोषणा के चार माह बीत जाने के बाद भी अब तक एक आवेदन नहीं आया है. इससे अब तक जो भी विचाराधीन लाभार्थी हैं, उन्हें पुरानी घोषणा के तहत 25 हजार ही मिलेंगे.
220 में मात्र 25 को मिली स्वीकृति : दरअसल लाभार्थी के नहीं मिलने से योजना की राशि विभाग को वापस लौटा दी जाती है. जिला बाल संरक्षण इकाई के आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2013-14 के बीच मात्र 220 आवेदन आये. इनमें से 25 को ही स्वीकृति मिली. इकाई की मानें तो ज्यादातर लाभार्थी द्वारा कोई संपर्क नंबर नहीं दिये जाने से आवेदन अस्वीकृत हो गये. अंतरजातीय मामले में ज्यादातर शादियां घर से भाग कर होती हैं. है. इसकी वजह से लाभार्थी डॉक्यूमेंट देने में असमर्थ हो जाते हैं. इसमें सही-सही जानकारी नहीं होना भी बड़ा कारण है. इसके अलावा भी कई पेच हैं. इसमें अंतरजातीय विवाह करनेवालों को लाभ से जोड़ा गया है. साथ ही इन जोड़ों में एक सामान्य जाति व दूसरा पिछड़ा जाति का रहे. अंतर धार्मिक विवाह करनेवालों को इससे वंचित रखा गया है.
मिलते हैं 50 हजार रुपये
4 मार्च, 2014 से राशि बढ़ा कर की गयी 50 हजार, पहले मिलते थे 25 हजार
शादी के तीन माह तक ही कर सकेंगे आवेदन (हालांकि यह पूर्णत: लागू नहीं है)
प्रत्येक जिले में नोडल ऑफिसर की नियुक्ति (सहायक बाल संरक्षण पदाधिकारी), ये अंतरजातीय विवाह संबंधी कार्य करेंगे
योजना की राशि अब राष्ट्रीय बचत पत्र के बजाय बैंक से एफडी द्वारा दी जायेगी
ऐसे ले सकते हैं लाभ
जिला बाल संरक्षण इकाई से आवेदन लेकर जमा कर सकते हैं. उसके साथ वर-वधू का आवासीय, जाति व जन्म प्रमाणपत्र देना होगा. साथ ही विवाह के निबंधन प्रमाणपत्र, संयुक्त फोटो व पहचानपत्र जमा करें. इसके बाद इकाई द्वारा आवेदनों की जांच के लिए बीडीओ के पास, फिर डीडीसी व डीएम द्वारा स्वीकृति मिलने पर वधू को राशि दी जाती है.
इसमें कई तरह के बदलाव किये गये हैं. इस वित्तीय वर्ष के लिए एक करोड़ 40 लाख रुपये का आवंटन किया गया है. इसमें 60 फीसदी राशि लाभार्थियों को दी जानी है. साथ ही इसके लिए अलग से नोडल पदाधिकारी की व्यवस्था की जा रही है, जिससे अधिक से अधिक लाभार्थियों को इसका लाभ मिल सके.
मोहम्मद इमामुद्दीन अहमद , निदेशक समाज कल्याण