साहेबगंज (मुजफ्फरपुर): जान लेने पर उतारू अपनों को इंदु पर उस समय भी तरस नहीं आया, जब उसका शरीर जल रहा था, तब भी वो अपने जिगर के टुकड़े चार साल के राहुल को सीने से चिपकाये हुए थी. आसपास रहनेवाले जिन लोगों ने भी ये दृश्य देखा, उनका कलेजा मुंह को आ गया. इंदु एक हाथ से राहुल को सीने से चिपकाये हुए थी, दूसरे हाथ से खुद को बचाने के लिए कपड़ों को फाड़ कर शरीर से अलग कर रही थी, ताकि वह बच सके. लेकिन ये सब उसके अपने ही देखते रहे.
उन्हें उस इंदु पर तनिक भी तरस नहीं आया, जिसके साथ वो दिन-रात रहते थे. हां, संपत्ति को लेकर कुछ तनाव जरूर होता था, लेकिन इतना भी नहीं कि आदमी-आदमी नहीं रह कर हैवान हो जाये. कहते हैं, होश रहने तक इंदु ने अपने बच्चे को बचाने का हर जतन किया, जब होश नहीं रहा, तो राहुल जमीन पर गिर गया.
राहुल की बहन खुशबू भी अपनी मां के पीछे-पीछे लगी थी. नौ साल की खुशबू जमीन को लेकर घर में होनेवाले झगड़ों को आये दिन देखती थी. वो उनके बारे में समझ भी रही थी, लेकिन जालिमों ने जो हालत खुशबू की बना दी, अब तो वो उसके बारे में बता भी नहीं पा रही है. अस्पताल में नि:शक्त भाव से पड़ी है. जिन मामा के घर आने पर वो शोर मचाने लगी थी, वहीं मामा अब उसके सामने खड़ा है. हाल पूछ रहा है, लेकिन खुशबू चाह कर भी कुछ नहीं बोल पा रही. डॉक्टर उसकी हालत को गंभीर बता रहे हैं.
यही वजह है, मोतिहारी के सदर अस्पताल से हटा कर उसे निजी अस्पताल में भर्ती करा दिया गया है. दिन में साहेबगंज के थानेदार खुशबू से घटना के बारे में जानकारी लेने पहुंचे थे, लेकिन उसकी हालत देख कर वापस लौट आये.
कानून के रखवालों के लिए खुशबू अहम कड़ी है. अगर वो बोलती है, तो उन लोगों का राजफाश हो जायेगा, जिन्होंने उसको, मां इंदु व भाई राहुल को जलाया था. वह वो सब चीजें बता देगी, जो शनिवार की आधी रात के बाद उसके हिम्मतपट्टी के घर में हुई थी. लेकिन, इसमें शक ही लग रहा है क्योंकि डॉक्टरों का कहना है, पचास फीसदी से ज्यादा जल चुकी है खुशबू.
वहीं, राहुल का तो शव मिल चुका है. खुशबू की मां इंदु के बारे में भी ये सूचना मिली है, उसकी भी मौत हो गयी. जिन जालिमों पर उसको जलाने का आरोप है. बताते हैं, वही उसको नैनो कार से इलाज के लिए पटना के लिए जा रहे थे, लेकिन रास्ते में उसकी मौत हो गयी, तो हाजीपुर में ही उसका अंतिम संस्कार कर दिया. इसमें कितनी सच्चई है, ये तो पुलिस जांच के बाद ही खुलासा होगा, लेकिन हिम्मतपट्टी के ग्रामीणों में जो चर्चा है, वो यही बता रही है.
वहीं, खुशबू का पिता सुजीत कुमार जिसे बहाने से शनिवार को कटहल लेकर मोतिहारी भेज दिया गया था, वो सदमे में तो है ही. उसे अपने ऊपर भी खतरा सता रहा है. ग्रामीणों की मानें, तो घटना की जानकारी मिलने के बाद वो किसी ग्रामीण के घर में रह रहा है. उसे पुलिस के साथ उन आरोपितों का डर भी सता रहा है, जो उसके सगे-संबंधी हैं.
ग्रामीण बताते हैं, शनिवार को दिन में इंदु के जेठ का ससुर श्याम नारायण सिंह दिन में अपनी नैनो कार से हिम्मतपट्टी आया था. इसके बाद रात के समय फिर से वो कार से गांव आया. उसी कार से इंदु व उसके बच्चों को गांव से ले जाया गया था. तब ग्रामीणों को उन पर शक जरूर हुआ था, लेकिन इन लोगों ने उन्हें इसलिए नहीं रोका था, क्योंकि वे लोग इंदु के संबंधी थे.
मामले के आरोपितों में इंदु की जेठानी को पुलिस ने हिरासत में ले लिया है. अन्य आरोपितों की तलाश जारी है. जिस जमीन के टुकड़े के लिए इन लोगों ने इंदु व उसके फूल जैसे बच्चों को मिटाने की कोशिश की, अगर कानून के मुताबिक ये सच साबित हो गया, तो जमीन का वो टुकड़ा इन लोगों के भी काम नहीं आ सकेगा, क्योंकि इन्हें भी बाकी बची जिंदगी जेल की सलाखों के पीछे ही बितानी पड़ेगी. इन सबसे इतर, लोभ व लालच के चक्कर में हंसती-खेलती दो जिंदगियां हमेशा के लिए खामोश हो गयीं, जिनमें एक चार साल का राहुल भी है, जिसे अभी अपनी पूरी जिंदगी देखनी थी. उसकी बड़ी बहन खुशबू जिंदगी-मौत से जूझ रही है.