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टालमटोल से बिगड़ी गांधी सेतु की सेहत

रामनरेश चौरसिया पटना : महात्मा गांधी सेतु की सेहत सुधारने के लिए 2005-06 से ही पथ निर्माण विभाग सक्रियता तो दिखाता रहा है, किंतु केंद्रीय सड़क-परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने विभाग की अनुशंसाओं को ठंडे बस्ते में डाल दिया. पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, पथ निर्माण विभाग के पूर्व मंत्री नंद किशोर यादव, पूर्व प्रधान सचिव […]

रामनरेश चौरसिया

पटना : महात्मा गांधी सेतु की सेहत सुधारने के लिए 2005-06 से ही पथ निर्माण विभाग सक्रियता तो दिखाता रहा है, किंतु केंद्रीय सड़क-परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने विभाग की अनुशंसाओं को ठंडे बस्ते में डाल दिया. पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, पथ निर्माण विभाग के पूर्व मंत्री नंद किशोर यादव, पूर्व प्रधान सचिव राज कुमार सिंह और वर्तमान सचिव प्रत्यय अमृत के स्तर पर राजमार्ग मंत्रालय को कई बार स्मार पत्र और प्राक्कलन दिया गया, किंतु मंत्रालय द्वारा पुल के पुनस्र्थापन के नाम पर ऊंट के मुंह में जीरा दिया जाता रहा.

गांधी सेतु के पुनस्र्थापन के लिए पथ निर्माण और राजमार्ग मंत्रालय के बीच हुई वार्ता व पहल पर एक नजर

– 1997 में राजमार्ग मंत्रालय की सहमति से गांधी सेतु की स्थिति के सर्वे का काम मेसर्स स्टूप कंसल्टेंट को दिया गया

– स्टूप कंसल्टेंट ने 1999 में ही दे दी थी अपनी रिपोर्ट

– वर्ष 2000 में स्टूप कंसल्टेंट की सलाह पर पथ निर्माण विभाग ने गांधी सेतु के पुनस्र्थापन के लिए 30.98 करोड़ का प्राक्कलन राजमार्ग मंत्रालय को भेजा.

– इस मुद्दे पर अक्तूबर, 2000 में मंत्रालय स्तर पर बैठक भी हुई. इसमें पुनस्र्थापन का कार्य दो चरणों में कराने का निर्णय लिया गया.

– पुनस्र्थापन के लिए पहले चरण में 5.53 और दूसरे चरण में 23.79 करोड़ का प्राक्कलन दिया गया.

– पहले चरण के प्राक्कलन की मंत्रालय ने स्वीकृति दी, जिस पर वर्ष 2003 तक काम भी हुआ, किंतु दूसरे चरण में काम कराने के प्राक्कलन की स्वीकृति नहीं मिली.

– 24 जनवरी, 2005 को राजमार्ग मंत्रालय की गांधी सेतु के मुद्दे पर पुन: बैठक हुई. इसमें सेतु के पश्चिमी लेन के 43 स्पैन के प्रिस्ट्रेसिंग कार्य की स्वीकृति हेतु अनुरोध किया गया. इसके लिए 52.54 करोड़ का प्राक्कलन दिया गया, किंतु मंत्रालय ने फिर स्वीकृति नहीं दी.

– 29 नवंबर, 2005 को राजमार्ग मंत्रालय ने सेतु के चार स्पैन क्रमश: 21, 22, 30 और 31 का प्रिस्ट्रेसिंग कराने की स्वीकृति दी गयी.

– 2006 में पथ निर्माण विभाग ने गांधी सेतु का पीपीपी मोड पर व्यापक पुनस्र्थापन के लिए आइएलएफएस इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड को कंसल्टेंट बनाया.

– दो मई, 2006 को सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय को एनओसी के लिए पथ निर्माण विभाग ने आवेदन दिया. एनओसी के मुद्दे पर राजमार्ग मंत्रालय के अधिकारियों के साथ उच्च स्तरीय बैठक भी हुई, किंतु एनओसी नहीं मिला.

– अगस्त, 2009 में पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राजमार्ग मंत्रालय के एनओसी के लिए पत्र भी लिखा, किंतु मंत्रालय ने एनओसी देने से फिर से इनकार कर दिया.

– पटना में 2009 में हुए इंडियन रोड कांग्रेस के 70वें अधिवेशन में भी पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने गांधी सेतु की राजमार्ग मंत्रालय के महानिदेशक से चर्चा की.

– 15 नवंबर, 2009 को सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के महानिदेशक ने सेतु का निरीक्षण भी किया, किंतु गांधी सेतु के कंपरहेंसिव रिहैविलिटेशन का कोई निर्णय नहीं लिया गया.

– पुन: मई, 2010 में सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के अधिकारियों ने सेतु का निरीक्षण किया. अधिकारियों ने डॉ वीके रैना से पुल का निरीक्षण कराने और उनके सुझाव पर सेतु के पुनस्र्थापन कराने के लिए कहा गया.

– डॉ वीके रैना ने 10 से 12 जून, 2010 तक सेतु का निरीक्षण किया और 15 जून, 2010 को अपनी रिपोर्ट मंत्रालय को सौंपी.

– 30 अगस्त, 2010 को पथ निर्माण विभाग ने पुल की पुख्ता मरम्मती के लिए 99.98 करोड़ का प्राक्कलन बना कर राजमार्ग मंत्रालय को भेजा, जिसे मंत्रालय ने खारिज कर दिया.

– राजमार्ग मंत्रालय ने पथ निर्माण विभाग को 30 अगस्त, 2010 को डॉ वीके रैना के प्रतिवेदन के आधार पर सेतु का पुनस्र्थापन का प्रस्ताव भेजने को कहा.

– राजमार्ग मंत्रालय के निर्देशानुसार 20 सितंबर, 2010 को सेतु पुनस्र्थापन का 167.13 करोड़ का प्राक्कलन पथ निर्माण विभाग ने भेजा, किंतु आज तक उसकी स्वीकृति नहीं मिली.

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