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मजदूरी मिली, तो फिर करूंगा नेतृत्व : नीतीश

पटना: हम लोगों के बीच फिर से जायेंगे. लोग अगर जनादेश देंगे, तो फिर से बिहार सरकार का व्यक्तिगत रूप से नेतृत्व करेंगे. हम ऐसे व्यक्ति नहीं हैं, जो लोगों से मजदूरी मांगी और वह नहीं मिली, तो उनके पास न जाएं. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सोमवार को विधायक दल की बैठक के बाद सीएम […]

पटना: हम लोगों के बीच फिर से जायेंगे. लोग अगर जनादेश देंगे, तो फिर से बिहार सरकार का व्यक्तिगत रूप से नेतृत्व करेंगे. हम ऐसे व्यक्ति नहीं हैं, जो लोगों से मजदूरी मांगी और वह नहीं मिली, तो उनके पास न जाएं. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सोमवार को विधायक दल की बैठक के बाद सीएम हाउस के बाहर खड़े कार्यकर्ताओं को समझाते हुए ये बातें कहीं.

कार्यकर्ताओं की लगातार नारेबाजी के बीच नीतीश 4:15 बजे सीएम हाउस से बाहर आये और राजेंद्र गोलंबर पर खड़े होकर कार्यकर्ताओं से कहा कि सीएम हाउस में आवाज आ रही थी कि आप दो दिनों से लगातार नारेबाजी कर रहे हैं. मुझसे रहा नहीं गया. आप हमारे सुख-दुख के साथी हैं. मेरे मुख्यमंत्री बनने का प्रश्न नहीं है. नये साथी का चयन होगा और राज्यपाल को नये नेता के साथ सरकार बनाने का दावा पेश किया जायेगा. उन्होंने कहा कि लोग इस सरकार के सामने बाधा उत्पन्न करने की कोशिश करेंगे. हम बाहर से मिल-जुल कर उसे सफल नहीं होने देंगे. मन को मजबूत करें और लंबी लड़ाई के लिए तैयार रहें. हमें विश्वास है कि जनता फिर से जनादेश देगी.

नीतीश कुमार ने कहा कि यह फैसला भवावेश में लिया गया फैसला नहीं है. आपसे विनम्र प्रार्थना है कि फैसले को समझने की कोशिश करें. लोकसभा चुनाव के जो नतीजे आये हैं, मैंने जिम्मेदारी कबूल की. ऐसा करना भी चाहिए था, यह भवावेश में नहीं था. मैंने अंतर्मन से फैसला किया. जैसे नतीजे आ रहे थे, तो पार्टी के प्रमुख साथियों व राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद यादव से भी सलाह ली, लेकिन वे इसके लिए तैयार नहीं हो रहे थे. मैंने एक दिन का इंतजार किया और दूसरे दिन उच्च नैतिक मूल्यों को ध्यान में रखते हुए त्यागपत्र देने का फैसला लिया और राज्यपाल से मिल कर उन्हें अपना इस्तीफा सौंपा. इसके बाद हमने जदयू विधानमंडल दल की बैठक बुलायी. मैंने इस्तीफा देने का कारण बताया, लेकिन विधायक इसे मानने को तैयार नहीं थे.

माहौल भावुक हो गया था. वे कह रहे थे कि जब आपने इस्तीफा दे दिया, तो अब हम आपको ही फिर से विधानमंडल दल का नेता चुनते हैं. मैंने उनसे सोचने के लिए एक दिन का समय मांगा. सोमवार को दोबारा विधानमंडल दल की बैठक बुलायी. विधायकों से अकेले और समूह में भी बातचीत की. उनका मोरल ऊंचा हुआ. विधायकों ने कहा कि उन्हें इस पर गर्व है. नीतीश कुमार ने कहा कि हमारे पास असाधारण परिस्थिति है.

हमने लंबा संघर्ष किया है. छात्र रहते संघर्ष किया. जेपी आंदोलन में शामिल हुए. जब भी जनप्रतिनिधि चुने गये, जनसमस्याओं को उठाया. बिहार की जनता ने जनादेश देकर मुङो मुख्यमंत्री बनाया. साढ़े आठ साल तक लगातार काम किया. कोई नहीं कह सकता कि मैंने काम नहीं किया. लेकिन, जिस तरह का लोकसभा चुनाव में जनादेश आया, इसके कारणों की तलाश जरूरी है. इसके लिए हम बैठेंगे, समीक्षा करेंगे. इसकी कार्ययोजना भी बनायेंगे. इस बार अलग-अलग क्षेत्रों में वोट पड़ा है. भ्रम, अफवाह और प्रचारतंत्र के कारण लोगों को बहकाया गया है. बावजूद इसके जनता का फैसला है, इसका सम्मान करना चाहिए. मैं इंतजार कर रहा था कि मुङो क्या करना चाहिए? लोगों ने इसको मंजूर किया. रविवार को हमारे साथी धरने पर बैठ गये थे. सोमवार को सभी ने मेरे फैसले को स्वीकार किया है. लोगों ने हम पर भरोसा जताया है.

अब बढ़ी और जिम्मेदारी

नीतीश कुमार ने कहा कि अब मेरी जिम्मेदारी और बढ़ गयी है. हमने लोगों से विशेष राज्य का दर्जा के लिए ताकत देने की मांग की थी, लेकिन वह नहीं मिली. यह वक्त का तकाजा है. अब हम पार्टी के बाहर से ही मंत्रिमंडल को ताकत प्रदान करेंगे. वक्त को बरबाद करने का समय नहीं है. आगे चुनौतियां कठिन हैं. एक के बाद एक निर्णय लेने हैं. इसके लिए आप तैयार रहें. मैंने नैतिक मूल्यों पर आधारित फैसला लिया है. ऐसे करने की हिम्मत किसी में नहीं हो सकती. जो परिस्थिति बनी है, उस पर मजबूती से अब काम करना होगा. अब नयी कहानी की शुरुआत हो रही है. पार्टी के काम में लगना है. बैठकों में शामिल होंगे और पार्टी के लिए काम करना है.

जानबूझ कर भाजपा को दिया था मौका

नीतीश कुमार ने कहा कि भाजपा के नेता कहते थे कि जदयू के 50 विधायक उनके साथ हैं. मैंने तो त्यागपत्र दे दिया. अगर सक्षम हैं, तो सरकार बनाये. 48 घंटे का उन्हें समय दिया. एक भी विधायक उनके साथ नहीं है. भाजपा नेता हॉर्स ट्रेडिंग करने की बात कही, लेकिन हॉर्स ट्रेडिंग तो वह कर रहे हैं. 50 विधायक दो तिहाई बहुमत नहीं होता है. जब वे कह रहे थे, तो उसे साबित करना चाहिए था. ऐसी बयानबाजी तो राजनीतिक रूप से अनैतिक है और गैर संवैधानिक है. हमने उन्हें जानबूझ कर मौका दिया था, लेकिन वह सरकार नहीं बना सके. जदयू को सीपीआइ के एक और दो निर्दलीय विधायकों का समर्थन प्राप्त है, जबकि कांग्रेस पहले से ही हमें समर्थन दे रही है.

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