पटना. भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने शुक्रवार की देर शाम कहा कि लोकसभा चुनाव में जदयू का सफाया हो गया है. नैतिकता के आधार पर उन्हें इस्तीफा देना चाहिए.
उन्होंने कहा कि कांग्रेस शासित राज्य के एक मुख्यमंत्री तरुण गोगोई ने इस्तीफे की पेशकश की है. यही नहीं, कांग्रेस शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने भी पार्टी आलाकमान को इस्तीफा सौंपने का निर्णय लिया है. लोकसभा चुनाव प्रचार में नीतीश कुमार जनता से काम के आधार पर अकेले वोट मांग रहे थे. बिहार में जो भी साढ़े सात वर्षो के शासन में काम हुए, उसका श्रेय वे अकेले ले रहे थे. एनडीए सरकार के साढ़े सात वर्षो के काम को उन्होंने जनमत संग्रह में परिणत कर दिया. नतीजा क्या हुआ, उन्हें बुरी पराजय ङोलना पड़ा. अपने गृह क्षेत्र नालंदा में उन्हें 30-30 सभाएं करनी पड़ी. एक मामूली कार्यकर्ता ने उन्हें पानी पिला दिया. मुख्यमंत्री ने जनता का विश्वास खो दिया है.
पीएम की बैठकों में सीएम जायेंगे या नहीं, होगी सबकी नजर
मोदी ने कहा कि मुख्यमंत्री के पद पर वे जब तक हैं, तब तक प्रोटोकोल के नाते नरेंद्र मोदी को उन्हें बधाई देनी चाहिए. देखना है प्रधानमंत्री द्वारा बुलायी गयी बैठकों में वे जाते हैं या नहीं. केंद्र से मिलनेवाली राशि वे लेते हैं या नहीं. नरेंद्र मोदी ने जब बाढ़ राहत के लिए सहायता राशि भेजी थी, तो सीएम ने उसे लौटा दिया था, मानो वह नरेंद्र मोदी की जेब का पैसा था. वह तो जनता द्वारा दिये गये कर का पैसा था.
सुशील मोदी ने कहा कि लोकसभा चुनाव के नतीजों से साफ कर दिया है कि लालू प्रसाद या राजद का मुकाबला भाजपा ही कर सकती है. नीतीश कुमार लालू रथ को रोकने में तभी सफल हुए थे, जब तक भाजपा उनके साथ थी. उन्होंने कहा कि नरेंद्र मोदी को पीएम के रूप में जदयू के कई विधायक भी देखना चाहते थे. जदयू के विधायकों का भी बिहार में एनडीए को मिली जीत में बड़ा योगदान है. उन्होंने पार्टी कार्यकर्ताओं से संयम बरतने और उत्तेजक नारे न लगाने की सलाह भी दी.